'आप उसको यूं ही Indian Chinese कहते हैं', जब गोरखा बता सेना में शामिल हुआ था चीनी जासूस; कैसे हुआ था भर्ती?

देश में आम चुनाव हैं तो चुनावी किस्से की भी भरमार है। आज हम आपके लिए लाए एक ऐसा चुनावी किस्सा जो उस वक्त की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गया था। चीनी जासूस के भारतीय सेना में भर्ती होने का बड़ा मुद्दा हिसार से सांसद मनी राम बागड़ी ने अन्य के साथ उठाया था। इसमें सरकार के केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि ...

By Jagran NewsEdited By: Deepti Mishra Publish:Wed, 03 Apr 2024 02:58 PM (IST) Updated:Wed, 03 Apr 2024 02:58 PM (IST)
'आप उसको यूं ही Indian Chinese कहते हैं', जब गोरखा बता सेना में शामिल हुआ था चीनी जासूस; कैसे हुआ था भर्ती?
Lok Sabha Chunav 2024: गोरखा बता सेना में शामिल हुआ था चीनी जासूस।

HighLights

  • 10 हजार 867 चीनी नागरिक 1962 के युद्ध से पहले रह रहे थे भारत में।
  • 24 जनवरी 1963 को सदन में उठाया गया था चीनी जासूस का मुद्दा।

 अमित पोपली, झज्जर। पतझड़ के मौसम में भारत-चीन का युद्ध 20 अक्टूबर 1962 से 21 नवंबर तक चला। जिसकी गूंज आज तक सुनाई देती है। बात युद्ध से पहले की करें या बाद की, चीन की ओर से होने वाली भारत विरोधी हरकतें देश के लिए हमेशा बड़ी परेशानी का कारण बनीं।

इस विषय पर संसद के पन्नों को पलट कर देखें तो एक चीनी जासूस के भारतीय सेना में भर्ती होने का बड़ा मुद्दा हिसार से सांसद मनी राम बागड़ी ने अन्य के साथ उठाया था। इसमें सरकार के केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि स्वयं को गोरखा बताकर एक चीनी नागरिक दार्जिलिंग के एरिया में फौज में भर्ती हुआ। सदन की  यह बात 24 जनवरी 1963 की है।

कैसे हुआ था सेना में चयन?

दरअसल, युद्ध विराम के करीब एक माह बाद ही यह मामला सामने आया था। जब 14 दिसंबर को फौज में भर्ती हुए चीनी नागरिक का 30 दिसंबर को पता चला। गंभीर मुद्दे पर बढ़ती चर्चा के बीच सांसद बागड़ी का साथ अन्य ने भी दिया। एक के बाद एक पूछे गए सवालों पर मंत्री ने बताया कि नेपाल के व्यापारी से बनवाए सर्टिफिकेट के आधार पर उसका चयन हुआ था।

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मंत्री के जवाब पर एतराज...

एक चीनी कैसे भारतीय हो सकता है... इस मुद्दे पर चली बहस के बीच करनाल से जनसंघ के सांसद रामेश्वरानन्द ने यहां सरकार के मंत्री के जवाब पर एतराज भी व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने पकड़े गए जासूस को इंडियन चीनी बताया था।

दरअसल, मंत्री ने कहा, इसकी मां इंडियन गोरखा है और पिता चीनी है। जिस पर सांसद ने कहा कि एक भारतीय कैसे चीनी हो सकता है, क्या मैं जान सकता हूं कि आपको पता भी चला या आप उसको यूं ही इंडियन चीनी कहते हैं।

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62 के जून माह तक 56 को कहा था भारत से जाओ...

1 अगस्त 1962 के लोकसभा सत्र में मंत्री ने बताया कि 1 जनवरी से 30 जून तक 56 चीनी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा गया। जिसमें से एक ने अदालत की शरण भी ली। सांसद बागड़ी सहित अन्य द्वारा पूछे गए प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि 1 जनवरी 1962 तक की जनगणना के हिसाब से 10 हजार 867 चीनी नागरिक भारत में रह रहे हैं।

इसमें 262 दिल्ली एरिया में और शेष नागरिकों में से बड़ी संख्या पश्चिम बंगाल में है। मुद्दे के बढ़ने पर गृह मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सदन को बताया, जहां तक मेरी जानकारी है।

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चीनी, पिछले 4 या 5 वर्षों के दौरान नहीं, बल्कि उससे भी बहुत पहले, छोटी दुकानें, कपड़े धोने की दुकानें, दंत चिकित्सकों की दुकानें या अन्य सामान की दुकानें में लगे हुए हैं। हाल ही में कलकत्ता में कुछ शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए प्रत्येक दुकान की जांच की गई और उनसे संबंधित सभी मामलों पर गौर किया गया।

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