Swatantrya Veer Savarkar के जन्म स्थान पहुंचे Randeep Hooda, बोले- 'समय में पीछे चला गया...'

Randeep Hooda इन दिनों अपनी फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। हालांकि उनकी इस मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं किया। अब मूवी रिलीज होने के कुछ दिन बाद उन्होंने एक बार फिर स्वातंत्र्य वीर सावरकर के जन्म स्थान का दौरा किया है। इसके साथ ही एक खास नोट भी लिखा है।

By Rajshree Verma Edited By: Rajshree Verma Publish:Fri, 05 Apr 2024 06:36 PM (IST) Updated:Fri, 05 Apr 2024 06:36 PM (IST)
Swatantrya Veer Savarkar के जन्म स्थान पहुंचे Randeep Hooda, बोले- 'समय में पीछे चला गया...'
सावरकर के जन्म स्थान पहुंचे रणदीप (Photo Credit: Instagram)

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) और अंकिता लोखंडे स्टारर फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर (Swatantrya Veer Savarkar) 22 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। इस फिल्म में अभिनेता ने विनायक दामोदर सावरकर का किरदार निभाया, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर मूवी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई।

हालांकि, अभिनेता को फिल्म में अपने अद्भुत अभिनय कौशल के लिए काफी प्रशंसा और प्यार मिला। अब फिल्म की रिलीज के कुछ दिनों बाद, रणदीप ने नासिक के भगूर में विनायक दामोदर सावरकर के जन्म स्थान का दौरा किया, लोगों से मुलाकात की और उसके बाद एक दिल छू लेने वाला नोट भी शेयर किया।

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सावरकर के जन्म स्थान पहुंचे रणदीप

रणदीप हुड्डा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल इंस्टाग्राम पर कई तस्वीरें शेयर की हैं। इन फोटोज में वह लोगों से मिलते हुए, विनायक दामोदर सावरकर के बारे में किताबों पर हस्ताक्षर करते हुए और उनकी मूर्ति के साथ पोज देते हुए दिखाई दे रहे हैं।

तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा कि स्वातंत्र्य वीर सावरकर के जन्मस्थान पर जाकर, जिनका जीवन और कहानी हमेशा रहस्य, संदेह और विवादों से घिरी रहती है। पहले अंग्रेजों द्वारा और फिर आजादी के बाद भारतीय राजनेताओं द्वारा और फिर भी जो हार नहीं मानते, किसी न किसी तरह से लड़ते रहते हैं, प्रेरणा देते रहते हैं और क्रांतिकारियों को प्रभावित करना, उनके जाने के दशकों बाद भी प्रासंगिक बना हुआ है।

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इसके आगे उन्होंने लिखा कि इस जगह की ऊर्जा में कोई भी डूब जाता है, जहां बलिदान और साहस को काला पानी से पुरस्कृत किया गया और महिमा से वंचित किया गया, जहां भारत के पहले गुप्त समाज के बीज अंतिम नाम वाले भाइयों द्वारा लगाए गए थे,  सावरकर वन्दे मातरम।

विनम्र महसूस हुआ और समय में पीछे चला गया। फिल्म रिलीज होने के बाद से उन्होंने एक लाख से ज्यादा किताबें बेची हैं। अधिक लोगों को आना चाहिए और शिवाजी चौक भगूर, नासिक में वीर सावरकर स्मारक देखनी चाहिए।

बता दें कि फिल्म को रिलीज हुए 15 दिन हो गए हैं और अभी तक इस मूवी ने 18 करोड़ का बिजनेस कर लिया है।

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