Movie Review 72 Hours: राइफलमैन की वीरता को दर्शाती सच्ची कहानी, मिले इतने स्टार्स

चार गढ़वाल राइफलों को पीछे हटने के आदेश दिए गए थे लेकिन राइफलमैन जसवंत सिंह अपनी जगह पर बने रहे और तीन दिनों तक चीनी सैनिकों का सामना किया था। जसवंत सिंह रावत पर बनी यह फिल्म सच्ची घटना को बतलाती है।

By Rahul soniEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 11:00 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 02:30 PM (IST)
Movie Review 72 Hours: राइफलमैन की वीरता को दर्शाती सच्ची कहानी, मिले इतने स्टार्स
Movie Review 72 Hours: राइफलमैन की वीरता को दर्शाती सच्ची कहानी, मिले इतने स्टार्स

- पराग छापेकर

- निर्देशक: अविनाश धयानी। 

- स्टारकास्ट: अविनाश धयानी, मुकेश तिवारी, अल्का अमीन, शिशिर शर्मा और वीरेंद्र सक्सेना

- निर्माता: जेएस रावत, तरुण रावत और प्राषिल रावत

फिल्म 72 हॉवर्स मार्टियर हू नेवर टाइड (72 Hours Martyr Who Never Died) सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है जिसमें राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की रियल लाइफ स्टोरी को दर्शाया गया है। जसवंत सिंह रावत ने 1962 में हुए इंडो-चाइना वॉर में मुश्किल हालातों के बीच दुश्मनों को मौत के घाट उतारा था। फिल्म भारतीय जवान की वीरता को दर्शाती है और अच्छे मैसेज के साथ बनाई गई है। खास बात यह है कि, फिल्म को बेहतरीन ढंग से शूट किया गया है। लेकिन एक कमी नजर आती है परफॉर्मेंस को लेकर। पूरी फिल्म में परफॉर्मेंस का मिस मैच नजर आता है। 

भारत के वीर जवानों द्वारा दिए गए बलिदान और उनकी वीरगाथा को बतलाती कई फिल्में बनी हैं जो देशभक्ति को दर्शाती हैं और इसके प्रति प्रेरित भी करती हैं। इस श्रेणी में डायरेक्टर अविनाश धयानी की फिल्म '72 हॉवर्स मार्टियर हू नेवर टाइड' भी शामिल हो गई है जो सच्ची घटना पर आधारित है। राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की वीरगाथा को बतलानी फिल्म हर एक के अंदर देशभक्ति की लौ जलाने में कामयाब नजर आती है। राइफलमैन जसवंत ने किस प्रकार विपरित परिस्थितयों में दुश्मनों के छक्के छुड़ाए यह फिल्म बखूबी दिखाती है। जसवंत सिंह रावत चार गढ़वाल राइफल्स, उत्तराखंड के एक भारतीय राइफलमेन सिपाही थे जिन्होंने 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश में नूरानंग की लड़ाई में मरणोपरांत महा वीर चक्र जीता था। बताया जाता है कि, चार गढ़वाल राइफलों को पीछे हटने के आदेश दिए गए थे लेकिन राइफलमैन जसवंत सिंह अपनी जगह पर बने रहे और तीन दिनों तक चीनी सैनिकों का सामना किया था। 

डायरेक्शन की बात करें तो इसमें अविनाश सफल नजर आते हैं क्योंकि वे अपनी बात कहने में कामयाब रहे हैं। साथ ही शूटिंग कमाल की हुई है और बड़े परदे पर फिल्म देखने में अच्छा लगता है। परफॉर्मेंस लेवल पर बात करें तो थोड़ा और काम किया जा सकता था। क्योंकि फिल्म में आर्टिस्ट के परफॉर्मेंस को लेकर मिस मैच नजर आता है। परफॉर्मेंस को लेकर कोई ग्राफ नजर नहीं आता। अविनाश धयानी ने डायरेक्शन के साथ अभिनय भी किया है। मुकेश तिवारी, अल्का अमीन, शिशिर शर्मा और वीरेंद्र सक्सेना ने अपनी सशक्त उपस्थित दर्ज करवाई है। कुल मिलाकर फिल्म अच्छी है जिसे एक बार जरूर देखा जा सकता है। 

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: पांच (5) में से ढाई (2.5) स्टार

अवधि: 2 घंटा 10 मिनट

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