डिप्रेशन में बीते 'पंचायत 3' के 'बनराकस' के दिन, इस कारण से एडल्ट फिल्मों में करना पड़ गया था काम

ओटीटी पर इन दिनों पंचायत सीरीज की धूम मची है। इस शो का तीसरा सीजन रिलीज हो चुका है। पंचायत सीरीज का हर कलाकार फेमस है। सचिव जी का रोल प्ले करने वाले जितेंद्र कुमार हों या फिर बनराकस बने दुर्गेश कुमार जिनकी स्ट्रगल स्टोरी कुछ कम इंट्रेस्टिंग नहीं है। बनराकस उर्फ दुर्गेश कुमार की इस सीरीज ने किस्मत बदल कर रख दी।

By Karishma Lalwani Edited By: Karishma Lalwani Publish:Sun, 02 Jun 2024 12:31 PM (IST) Updated:Sun, 02 Jun 2024 12:31 PM (IST)
डिप्रेशन में बीते 'पंचायत 3' के 'बनराकस' के दिन, इस कारण से एडल्ट फिल्मों में करना पड़ गया था काम
एक्टर दुर्गेश कुमार. फोटो क्रेडिट - इंस्टाग्राम

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर गदर काटने वाली सीरीज 'पंचायत 3' का हर एक किरदार फेमस है। इस शो की खास बात है कि छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा कैरेक्टर भी लोगों के दिलों को छू रहा है। 'सचिव जी' और 'प्रधान जी' के अलावा पंचायत सीरीज के कई और कैरेक्टर्स हैं, जिन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीत लिया है। इनमें से ही एक हैं दुर्गेश कुमार।

पंचायत सीरीज से फैंस के फेवरेट बने 'बनराकस'

पंचायत वेब सीरीज में भूषण के किरदार को कई तरह से दिखाया गया है। गांव की राजनीति में 'बनराकस' यानी कि दुर्गेश कुमार की भी अहम भूमिका रही है। पहले सीजन में दुर्गेश का किरदार काफी छोटा था। दूसरे सीजन में वह इस सीरीज की जान बन गए और तीसरे सीजन में वह पहले से भी ज्यादा एंटरटेन कर रहे हैं। दुर्गेश का 'भूषण' किरदार लोगों के दिलों में उतर गया है। 

दुर्गेश कुमार 'पंचायत' सीरीज में अब तक जितने पसंद किए गए और अब भी किए जा रहे हैं, उससे उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ती जा रही है। लेकिन दुर्गेश कुमार के लिए यहां तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। 

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद ज्वाइन कर लिया थिएटर

बिहार के दरभंगा के रहने वाले दुर्गेश कुमार की शुरुआती पढ़ाई भी यहीं से हुई। पिता की चाह पर उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन दुर्गेश के दिल में बसी को एक्टिंग ही थी। दुर्गेश के बड़े भाई डॉ. शिवशक्ति चौधरी यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने अपनी ग्रोथ के लिए थिएटर ज्वाइन किया। 

पहला नाटक किया 'ताजमहल का टेंडर'

50 दिन तक थिएटर में एक्टिंग सीखने के बाद दुर्गेश ने पहला नाटक 'ताजमहल का टेंडर' किया। इसमें उन्होंने चपरासी का रोल किया था। इसके बाद दुर्गेश ने एक्टिंग में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। दुर्गेश ने श्रीराम सेंटर ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स एंड कल्चर से दो साल का डिप्लोमा किया। उन्होंने NSD में भी एक्टिंग का गुर सीखा, जिसका उन्हें फायदा हुआ। 

मुश्किल में कटे मुंबई में शुरुआती दिन

जिस वक्त दुर्गेश थिएटर कर रहे थे, तब वह अक्सर मनोज बाजपेयी की अखबार में तस्वीर देख सोचा करते थे कि जब बिहार का ये लड़का फिल्मों में हीरो बन सकता है, तो वह भी कुछ कर सकते हैं। जब उन्हें शो के ऑफर आने लगे, तो दिल्ली से मुंबई जाने के बाद उन्हें काफी परेशानी हुई। छोटे-मोटे किरदार तो मिल रहे थे, लेकिन अच्छा काम नहीं मिल रहा था। रहन सहन का खर्च भी भारी पड़ने लगा था।

सॉफ्ट पॉर्न में किया काम

दुर्गेश कुमार ने हाईवे, सुल्तान, फ्रीकी अली जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाए। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब उनके पास काम की किल्लत हो गई। दुर्गेश ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह इस मुश्किल दौर से गुजर रहे थे, तब उन्होंने सॉफ्ट पोर्न फिल्मों में भी काम किया। उन्होंने कहा, 'मैं एक्टिंग के बिना नहीं रह सकता। किरदार कैसा भी हो मैं उसमें जान लगा देता हूं। मैंने बालाजी की वर्जिन भास्कर में भी काम किया।'

डिप्रेशन का शिकार हो गए थे दुर्गेश

'पंचायत' के बनराकस की लाइफ में वो वक्त भी आया, जब वह डिप्रेशन का शिकार हो गए। वो ऑडिशन देते, लेकिन उसे क्लियर नहीं कर पाते। इसी बीच उन्हें 'पंचायत' का ऑफर आया। इसमें एक सीन है, जिसमें दुर्गेश कुमार कहते हैं, 'सचिव जी, ये क्या लिखवा रहे हैं।' चंद शब्दों का ये डायलॉग दुर्गेश कुमार ने जिस अंदाज में बोला, वो वायरल हो गया। यहीं से इनकी किस्मत पलटी और पंचायत के 'बनराकस' को एक पहचान मिली।

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