Gurmeet Ram Rahim: डेरा प्रमुख को हाईकोर्ट से राहत नहीं, फरलो अर्जी पर SGPC व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह (Gurmeet Ram rahim) को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। डेरा प्रमुख की फरलो अर्जी पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने 31 जुलाई तक स्थगन लगा दिया है। साथ ही मुख्य याचिका के साथ सुनवाई करने का निर्णय किया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एसजीपीसी और सरकार को नोटिस जारी किया है।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena Publish:Tue, 02 Jul 2024 08:52 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jul 2024 08:52 PM (IST)
Gurmeet Ram Rahim: डेरा प्रमुख को हाईकोर्ट से राहत नहीं, फरलो अर्जी पर SGPC व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हाईकोर्ट से राहत नहीं (फाइल फोटो)।

HighLights

  • डेरा प्रमुख ने फरलो पर रिहाई की रखी मांग
  • कोर्ट ने तुरंत राहत न देते हुए मुख्य याचिका के साथ सुनवाई का लिया निर्णय
  • हाईकोर्ट ने एसजीपीसी व सरकार को जारी किया नोटिस

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से तुरंत कोई राहत नहीं मिल पाई है। हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया पर आधारित डिविजन बेंच ने डेरा प्रमुख की फरलो की अर्जी पर मुख्य याचिका के साथ 31 जुलाई तक स्थगित कर दी।

इसी के साथ कोर्ट ने एसजीपीसी व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया है। डेरा प्रमुख ने इससे पहले अवकाशकालीन बेंच के सामने 14 जून को यह अर्जी दायर की थी लेकिन अवकाशकालीन बेंच ने कोई आदेश जारी न करते हुए कहा था कि चीफ जस्टिस की बेंच ही इस अर्जी पर सुनवाई करेगी क्योंकि उसी बेंच में यह मामला विचाराधीन है।

डेरा प्रमुख ने मांगी 21 दिन की फरलो

डेरा प्रमुख ने हाई कोर्ट से 21 दिन की फरलो देने के निर्देश देने की मांग की है, ताकि वह इस अवधि के दौरान जेल से बाहर रहकर 'कल्याणकारी गतिविधियां' कर सकें। डेरा प्रमुख ने कहा है कि फरलो के लिए अधिकारियों को आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन हाई कोर्ट के 29 फरवरी के स्थगन आदेश के कारण इस याचिका पर विचार नहीं किया गया है।

फरलो पर रिहाई को लेकर दी ये दलीलें

फरलो पर रिहाई की मांग करते हुए उनकी अर्जी में कहा गया है आवेदक की अध्यक्षता में डेरा द्वारा कई कल्याणकारी गतिविधियां की जाती हैं, जैसे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, नशा मुक्ति और गरीब लड़कियों की शादी आदि, जिसके लिए आवेदक द्वारा प्रेरणा अभियान चलाने की आवश्यकता है। यह तर्क दिया गया है कि राज्य ने पहले ही 89 ऐसे दोषियों को पैरोल और फरलो प्रदान किया है, जिन्हें आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है।

हाईकोर्ट ने कही थी ये बात

हाईकोर्ट ने सात अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में फैसला किया था कि डेरा प्रमुख कट्टर अपराधी की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं। हाई कोर्ट को यह भी बताया गया है कि हरियाणा गुड कंडक्ट कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर साल 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है।

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याचिका में कहा कि कभी नहीं किया फरलो का दुरुपयोग

याचिका में यह भी कहा गया है कि उसने अतीत में पैरोल या फरलो की छूट का दुरुपयोग नहीं किया है और हमेशा समय रहते आत्मसमर्पण किया है। यहां तक कि उसे किसी भी स्तर पर विशेष सुविधा भी दी गई है। डेरा प्रमुख के अनुसार, 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो पहले से ही उपयुक्त अधिकारियों द्वारा विचाराधीन है। 29 फरवरी को हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए।

एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका के चलते HC में लंबित मामला

यह मामला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दायर याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट में लंबित है। याचिका में डेरा प्रमुख को दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी होने के बावजूद हरियाणा सरकार द्वारा बार-बार पैरोल या फरलो पर रिहा करने पर आपत्ति जताई गई है।

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