रात के अंधेरे में करता था बास्केटबाल का अभ्यास, अब कतर में करेगा देश का प्रतिनिधित्व

पानीपत के लविश का अंडर-16 भारतीय बास्केटबाल टीम में चयन हो गया है। लविश रात के अंधेरे में अभ्यास किया करता था। वह 11 जून से कतर में होने वाली अंडर-16 एशियन बास्केटबाल में देश का प्रतिनिधित्व करेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Jun 2022 04:12 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jun 2022 04:12 PM (IST)
रात के अंधेरे में करता था बास्केटबाल का अभ्यास, अब कतर में करेगा देश का प्रतिनिधित्व
पानीपत के लविश का भारतीय बास्केटबाल टीम में चयन।

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। पानीपत के अहर गांव के लविश खैंची को बचपन से ही जिद थी कि इंडिया बास्केटबाल टीम में खेलेगा। इसके लिए वह रात को अंधेरे में भी घर में ही बास्केटबाल को दीवार पर मारकर अभ्यास करता था। दीवार का पैंट उतर जाता था। नींद खराब होने पर उसके पिता सतीश ने कई बार डांटा भी। वह नहीं माना।

उसकी जिद व जुनून को देखते हुए पिता ने टोकना बंद कर दिया और कहा कि खुलकर खेल। परिवार व देश का नाम रोशन कर। अहर के ऋषिकुल से दसवीं कक्षा की परीक्षा दे चुके 15 वर्षीय लविश ने इंडिया की अंडर-16 बास्केटबाल टीम में जगह बना ली है।

11 जून से कतर में होगी अंडर-16 एशियन बास्केटबाल चैंपियनशिप

वह 11 जून से कतर में होने वाली अंडर-16 एशियन बास्केटबाल में देश का प्रतिनिधित्व करेगा। यही नहीं अपने से बड़ी उम्र के खिलाड़ियों से भी बेहतरीन प्रदर्शन करने पर उनका इंडिया की अंडर-18 टीम में भी चयन हो गया है। लविश पहले भी दो बार नेशनल बास्केटबाल चैंपियनशिप में खेल चुका है।

पिता बनाना चाहते थे क्रिकेटर, बास्केटबाल में मन रम गया

लविश ने दैनिक जागरण को बताया कि पिता सतीश खैंची क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे। गांव में क्रिकेट की सुिवधा न होने के कारण और परिवार का आर्थिक स्थित मजबूत न होने से पिता प्रदेश की क्रिकेट टीम में जगह नहीं बना पाए। पिता का सपना था कि बेटा क्रिकेट में राज्य व राष्ट्रीय क्रिकेट की टीम में खेले। सात साल की आयु में पिता उसे क्रिकेट के मैदान में ले जाने लगे।

कुछ दिन बाद उसका क्रिकेट से मोह भंग हो गया। उसने गांव के साहिल को बास्केटबाल खेलते देखा। तभी से इसी खेल में खेलकर देश की टीम में जगह बनाने की ठान ली थी। अब इंडिया की टीम में जगह बनने पर सपना पूरा हो गया है। लविश के पिता उसे अच्छी कोचिंग देकर चैंपियन बनाने का श्रेय ऋषिकुल विद्यालय के कोच खुशविंद्र व दीपक शर्मा को देते हैं।

कभी न थकने की हुनर उन्हें चैंपियन बनाता है

अहर गांव के बास्केटबाल के कोच दीपक शर्मा ने बताया कि 2015 में लविश ने बास्केटबाल खेलना शुरू किया था। उसमें गजब का स्टेमिना है। अभ्यास के दौरान थकता नहीं है। उसे जो भी तकनीक बताई उसे बखूबी करता है। लविश मैदान में प्वाइंट गार्ड खेलता है। पीछे से बाल लेकर आता है और आगे खिलाड़ियों को पास करता है।

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