संस्कृत विश्‍वविद्यालय में बनेगा देश का पहला महर्षि वाल्मीकि शोधपीठ, इस वर्ष से शुरू होगी पीएचडी

Maharishi Valmiki Sanskrit University Kaithal हरियाणा के कैथल के संस्‍कृति विश्‍वविद्यालय में देश का पहला महर्षि वाल्‍मीकि शोधपीठ बनेगा। इस वर्ष से पीएचडी शुरू हो जाएगी। वहीं इस बार उच्चतर शिक्षा विभाग के बजाय यूनिवर्सिटी पीजी कोर्स में दाखिले करेंगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 23 Jul 2022 10:27 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jul 2022 10:27 AM (IST)
संस्कृत विश्‍वविद्यालय में बनेगा देश का पहला महर्षि वाल्मीकि शोधपीठ, इस वर्ष से शुरू होगी पीएचडी
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में शोधपीठ। फाइल फोटो

कैथल, [सुनील जांगड़ा]। हरियाणा की पहले महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में देश का पहला महर्षि वाल्मीकि आर्ष शोधपीठ स्थापित किया जाएगा। शोधपीठ में महर्षि वाल्मीकि से संबंधित विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों को एक स्थान पर रखा जाएगा। इसके लिए पुस्तकालय का निर्माण किया जाएगा, जिसमें वाल्मीकि से संबंधित सभी पुस्तकों को रखा जाएगा।

इसका उद्देश्य वाल्मीकि की कृतियों, उनके व्यक्तित्व के ऊपर किए गए शोध, पत्र-पत्रिकाओं और रामायण के समस्त विभिन्न भाषाओं के संस्करणों को एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाना है। इसके लिए प्राथमिक चरण में पांच लाख रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेशचंद्र भारद्वाज ने बताया कि 18 जुलाई को विवि परिसर में कार्य परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। इसी सत्र में विवि में कापिष्ठल वेदव्यास पीठ की स्थापना की जाएगी। इससे कैथल में कृष्णयजुर्वेद की कठ-कपिष्ठल शाखा को वैश्विक पटल पर प्रतिष्ठापित किया जा सकेगा। यहां यजुर्वेद की कपिस्थल कट संगीता का अध्ययन किया जा सकेगा, जो देश में कहीं नहीं है।

पीएचडी के लिए 20 सीटें

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में इसी साल से पीएचडी शुरू होगी। इसके लिए 20 सीटें निर्धारित की गई हैं। इनमें अलग-अलग आठ विषयों में पीएचडी की पढ़ाई होगी। इसका उद्देश्य शोधार्थियों को विभिन्न पुरातन धर्मशास्त्र, दर्शन एवं संस्कृत सहित भारतीय भाषाओं में और प्राचीन पांडूलिपियों में निहित ज्ञान राशि को शोध के माध्यम से समाज में स्थापित करना है। इसके अलावा हरियाणा के संस्कृत अध्यापकों के लिए दो सीटें अलग से निर्धारित रखी गई हैं। फिलहाल विवि में आचार्य एमए, शास्त्री बीए और आठ विषयों में डिप्लोमा करवाया जा रहा है। दाखिला प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

इसी सत्र में होगी कपिष्ठल वेदव्यास पीठ की स्थापना, कार्य परिषद की बैठक में मिली मंजूरी

इस बार स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्स में उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से दाखिले नहीं किए जाएंगे। इस बार संबंधित यूनिवर्सिटी प्रदेशभर में मान्यता प्राप्त कालेजों में भी स्नातकोत्तर कोर्स में दाखिले करेंगी। पोर्टल पर वीरवार से आनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गई है। विद्यार्थी पांच अगस्त तक यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं। 23 से 27 प्रवेश परीक्षा होगी। 27 से 31 अगस्त के बीच परिणाम घोषित किया जाएगा।

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