Emergency 1975: बेकसूरों को जेल में ठूंसा, आजादी पर लगाया ताला.... आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर जमकर बरसे अनुराग

आज ही के दिन सन् 1975 में देश में इमरजेंसी (Emergency 1975) लगाई गई थी। देश में इसे काले दिवस के रूप में जाना जाता है। हमीरपुर सीट से नवनिर्वाचित सांसद अनुराग ठाकुर ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दमनकारी नीतियों ने लोकतंत्र के ऊपर कभी न मिटने वाला धब्बा लगाया था।

By ranbir thakur Edited By: Prince Sharma Publish:Tue, 25 Jun 2024 08:31 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jun 2024 08:31 PM (IST)
Emergency 1975: बेकसूरों को जेल में ठूंसा, आजादी पर लगाया ताला.... आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर जमकर बरसे अनुराग
अनुराग ठाकुर ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस को जमकर सुनाई (फाइल फोटो)

HighLights

  • कांग्रेस ने आपातकाल के रूप लोकतंत्र पर लगाया अमिट काला धब्बा: अनुराग ठाकुर
  • रातोंरात लाखों निरअपराध लोगों को जेलों में ठूंस दिया: अनुराग ठाकुर
  • आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत 1,40,000 लोगों जेल में डाला गया: अनुराग ठाकुर

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने साल 1975 में कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र अमिट काला धब्बा बताया।

उन्होंने आपातकाल के विरुद्ध आवाज उठाने वाले और यातनाएं सह कर कांग्रेस की दमनकारी नीतियों का मुखर विरोध करने वाले लोकतंत्र के सभी प्रहरियों के प्रति अपनी कृतज्ञता समर्पित की है।

कांग्रेस की दमनकारी नीतियों, सत्ता पिपाशा व तानाशाही मानसिकता ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र के ऊपर कभी न मिटने वाला धब्बा लगाया था।‬

रातोंरात लाखों निरअपराध लोगों को जेलों में ठूंस दिया, प्रेस की आजादी पर ताला लगा दिया, लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली।

एक लाख चालीस हजार लोगों पर चलाए गए मुकदमे

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक आपातकाल के दौरान देशभर में आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत 1,40,000 लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेलों में डाल दिया गया। देशहित से ऊपर एक परिवार एक व्यक्ति के अहंकार को रखा गया।

‬संसद को दरकिनार कर अधिकारपत्र के जरिए आपातकाल जारी रखने के लिए इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति से बार-बार 'ऑर्डिनेंस' हासिल किए।

आपातकाल के विरुद्ध आरएसएस के संघर्ष का बस एक ही लक्ष्य था कि भारत में लोकतंत्र की गौरवमयी वापसी हो। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नागरिकों की स्वतंत्रता और मूल अधिकारों के हनन और खुद पर लगाई गई पाबंदी के खिलाफ देशभर में शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया।

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