Himachal Disaster: पिछले साल हिमाचल की तबाही के क्या थे कारण, IIT मंडी के रिसर्च में हुए चौंकाने वाले खुलासे

Himachal Disaster हिमाचल में पिछले साल आई तबाही ने काफी नुकसान पहुंचाया था। हजारों लोगों की मौत हो गई। हजारों लोग बेघर हो गए। सैकड़ों लोग अपने मकान के साथ जमींदोज हो गए। घटना इतनी दर्दनाक थी कि लोगों के बीच भयानक डर का माहौल हो गया था। भारी बारिश से बाढ़ की संभावना बनी थी। भूस्खलन से भारी तबाही मची थी।

By Jagran NewsEdited By: Sushil Kumar Publish:Fri, 28 Jun 2024 05:27 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 05:27 PM (IST)
Himachal Disaster: पिछले साल हिमाचल की तबाही के क्या थे कारण, IIT मंडी के रिसर्च में हुए चौंकाने वाले खुलासे
Himachal Disaster: हिमाचल में तबाही के क्या थे कारण।

HighLights

  • तेजी से पिघलते ग्लेशियरों ने आग में घी डालने का किया था काम
  • 45 वर्ष बाद मंडी और कुल्लू जिला में आठ व नौ जुलाई को हुई थी रिकार्ड तोड़ वर्षा
  • मिट्टी में नमी से कम हुई थी अवशोषण दर, खड़ी ढलानों से चैनलाइज हुआ था वर्षा जल

हंसराज सैनी, जागरण मंडी। हिमाचल के मंडी व कुल्लू जिलों में पिछले वर्ष निम्न दबाव भारी वर्षा और विनाशकारी बाढ़ का कारण बना था। हिमालय क्षेत्र में कई दिन से बने निम्न दबाव के कारण भारी वर्षा हुई थी। तेजी से पिघली बर्फ ने आग में घी डालने का काम किया था। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के पिछले वर्ष आठ व नौ जुलाई को आई प्राकृतिक आपदा पर किए शोध में यह बात पता चली है।

यह शोध आइआइटी मंडी के सिविल एवं पर्यावरण इंजीनियरिंग स्कूल के सहायक प्रोफेसर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में किया गया है। शोध अमेरिका के जर्नल नेचुरल हजार्ड में प्रकाशित हुआ है। विवेक गुप्ता का कहना है कि शोध भविष्य में ऐसी आपदा से निपटने के काम आएगा। शोध में पता चला कि मिट्टी में नमी से पानी की अवशोषण दर कम हुई थी।

भारी वर्षा से नदी-नाले थे उफान पर

खड़ी ढलानों ने बाढ़ के पानी को चैनलाइज करने में मदद की थी। 45 वर्ष बाद दोनों जिलों में रिकार्ड तोड़ 159.3 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। इससे नदी-नाले उफान पर थे और सबने मिलकर तबाही मचाई थी। दोनों जिलों में छह जुलाई से हवा का दबाव बढ़ने लगा था।

आठ जुलाई को हवा की गति बढ़ गई। हवा एक साथ आ गई। नमी बढ़ने से वर्षा में वृद्धि हुई। इससे दोनों जिलों में आठ, नौ और 10 जुलाई को भारी वर्षा हुई थी।

100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा से आई बाढ़

नौ जुलाई को दोनों जिलों के 11 स्थानों में 100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा हुई थी। कुल्लू के कुछ स्थानों पर नौ जुलाई को 180 मिलीमीटर की उच्च वर्षा दर्ज की थी। भारतीय मानसून डाटा समाकलन और विश्लेषण के वर्षा रिकार्ड के अनुसार आठ और नौ जुलाई 2023 को कुल्लू और मंडी जिले में कुल 159.3 मिलीमीटर वर्षा हुई थी, जो 45 वर्ष में सबसे अधिक है।

यह सामान्य 41.16 मिलीमीटर से 287.03 प्रतिशत अधिक थी। कुल्लू के गड़सा स्टेशन में 150.5 मिलीमीटर, मंडी जिले में बरोट और भेल्ला स्टेशनों में क्रमशः 144.5 मिलीमीटर और 131.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की थी। अधिकांश स्थानों पर वर्षा की मात्रा ने जुलाई के लिए सामान्य मासिक वर्षा को पार किया था।

क्या है निम्न दबाव

निम्न दबाव या कम दबाव का क्षेत्र उस जगह को कहते हैं, जहां वायुमंडल का दबाव आसपास के क्षेत्र से कम हो जाता है। जब आसपास के क्षेत्र में दबाव अधिक होता है तो वहां की हवा उस निम्न दबाव के क्षेत्र में प्रवेश करती है। इसके साथ कई बार बादल भी आ जाते हैं जो वर्षा का मुख्य कारण बनते हैं।

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आठ जुलाई को दोपहर बाद शुरू हुई थी वर्षा

अवलोकन गेज से मिले संकेतों के मुताबिक वर्षा का क्रम आठ जुलाई को दोपहर में शुरू हुआ था। शोधार्थियों ने चार दिन में 17 स्थानों के डाटा जिनमें घंटेवार वर्षा की तीव्रता दर्ज की गई थी, का अध्ययन किया। कुल्लू और मंडी जिले में वर्षा पैटर्न को समझने के लिए उसे प्रभावी पाया है।

आठ से 11 जुलाई तक स्टेट डाटा सेंटर (एसडीसी) मंडी में इन 17 स्थानों का घंटेवार वर्षा की तीव्रता का डेटा उपलब्ध था। बरोट व सरकाघाट में क्रमशः 56.5 मिलीमीटर और 58 मिलीमीटर, कुल्लू में अधिकतम दैनिक वर्षा 45 मिलीमीटर दर्ज हुई थी। इससे दोनों जिलों में बाढ़ की संभावना बनी थी।

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