Shimla Lok Sabha Election Result 2024: आखिर अपना ही किला क्यों नहीं बचा पाई कांग्रेस, शिमला क्यों कहलाई जाती है पारंपरिक सीट

शिमला लोकसभा सीट से भाजपा के सुरेश कश्यप ने जीत हासिल कर ली है। इस चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त मिली है। खास बात यह है कि शिमला (Shimla Lok Sabha Election Result 2024) कांग्रेस की पारंपरिक सीट कहलाती है। ऐसे में कांग्रेस में हारना दर्शाता है कि पार्टी को अभी इस सीट पर और मंथन करने की आवश्यकता है।

By Rohit Sharma Edited By: Prince Sharma Publish:Tue, 04 Jun 2024 07:26 PM (IST) Updated:Tue, 04 Jun 2024 07:26 PM (IST)
Shimla Lok Sabha Election Result 2024: आखिर अपना ही किला क्यों नहीं बचा पाई कांग्रेस, शिमला क्यों कहलाई जाती है पारंपरिक सीट
आखिर अपना ही किला क्यों नहीं बचा पाई कांग्रेस,

HighLights

  • शिमला जिले में सात विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ तीन में मिली बढ़त
  • विधानसभा चुनाव में आठ में से सात सीट पर कांग्रेस को मिली थी जीत
  • कांग्रेस का परंपरागत किला रहा है शिमला जिला, अब मंथन की जरूरत

जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल में सत्ता में आने के डेढ़ वर्ष बाद भी कांग्रेस अपना किला नहीं बचा पाई। कांग्रेस का पारंपरिक किला माने जाने वाले शिमला जिले में पार्टी अपना परचम नहीं लहरा सकी। शिमला जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं।

इनमें से रामपुर विधानसभा क्षेत्र मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आता है जबकि सात विधानसभा क्षेत्र शिमला संसदीय क्षेत्र के हिस्से हैं। सात विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस को सिर्फ तीन विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली है, जबकि चार विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को बढ़त मिली है।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणामों में आठ में से सात विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था, जबकि भाजपा को सिर्फ चौपाल विधानसभा क्षेत्र से ही जीत मिल पाई थी।

मोदी लहर में ढह गया पारंपरिक किला

इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ ठियोग, रोहड़ू और जुब्बल और कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से ही बढ़त मिली है जबकि अन्य विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पीछे रही है।

कांग्रेस का पारंपरिक किला होने के अलावा शिमला जिले से प्रदेश सरकार में तीन मंत्री हैं। एक केंद्रीय संसदीय सचिव हैं। इसके बावजूद भी कांग्रेस का पारंपरिक किला मोदी लहर में फिर से ढह गया है।

ऐसे में कांग्रेस को आने वाले समय में पारंपरिक किला बचाने के लिए दोबारा मंथन करने की आवश्यकता है। हालांकि सेब बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त मिली है। सेब बागवानों के मुद्दों को भुनाने में कांग्रेस काफी हद तक कामयाब रही है। सेब बागवानों के लिए यूनिवर्सल कार्टन की अधिसूचना जारी करना और वजन के हिसाब से सेब बेचने का बागवान समर्थन कर रहे थे। इसमें इस क्षेत्र से बागवानों का कांग्रेस का समर्थन मिला है।

इसलिए है पारंपरिक किला

शिमला जिले को कांग्रेस का पारंपरिक किला यूं ही नहीं कहा जाता है। यह जिला प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के जमाने से कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है। इस क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को हराना अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए लोहे के चने चबाना जैसा काम होता है।

डॉ. वाईएस परमार के बाद हिमाचल के एक और मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर भी इसी जिले से रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जमाने में भी यह जिला कांग्रेस पार्टी की मजबूती का आधार रहा है।

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