सिंधु जल संधि पर चर्चा के लिए भारत पहुंचा पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल, होटल के बाहर कड़ी सुरक्षा, क्या सुलझ सकता है यह विवाद?

Pakistani Delegation Reach India सिंधु जल संधि पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंच गया है। होटल के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक जल-वितरण संधि है। यह संधि 19 सितंबर 1960 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा लाई गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Sushil Kumar Publish:Mon, 24 Jun 2024 12:19 PM (IST) Updated:Mon, 24 Jun 2024 12:19 PM (IST)
सिंधु जल संधि पर चर्चा के लिए भारत पहुंचा पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल, होटल के बाहर कड़ी सुरक्षा, क्या सुलझ सकता है यह विवाद?
Pakistani Delegation Reach India: सिंधु जल संधि पर चर्चा के लिए भारत पहुंचा पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल।

HighLights

  • लंबे समय से लंबित जल विवाद में उलझे हैं दोनों देश।
  • पाकिस्तान की किशनगंगा और रतले पनबिजली संयंत्रों के निर्माण पर आपत्ति।
  • भारत ने तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए विश्व बैंक में एक अलग अनुरोध किया।

एएनआई, जम्मू। सिंधु जल संधि पर चर्चा के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा है। प्रतिनिधिमंडल रविवार शाम को जम्मू पहुंचा है। जम्मू के जिस होटल में प्रतिनिधिमंडल रुका हुआ है उसके बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रतिनिधिमंडल का बांध स्थलों को देखने के लिए किश्तवाड़ जाने का कार्यक्रम है।

बता दें कि सिंधु जल संधि पर 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत दोनों देश साल में एक बार बारी-बारी से भारत और पाकिस्तान में मिल सकते हैं। हालांकि, नई दिल्ली में होने वाली 2022 की बैठक को COVID-19 महामारी के मद्देनजर रद्द कर दिया गया था। आखिरी बैठक मार्च 2023 में हुई थी।

दोनों देशों के बीच है विवाद

भारत और पाकिस्तान जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर लंबे समय से लंबित जल विवाद में उलझे हुए हैं। पाकिस्तान ने 2015 में भारत द्वारा किशनगंगा (330 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) पनबिजली संयंत्रों के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संधि के प्रावधानों का उल्लंघन है।

भारत इन परियोजनाओं के निर्माण के अपने अधिकार पर जोर देता है और मानता है कि उनका डिजाइन पूरी तरह से संधि के दिशानिर्देशों के अनुरूप है। इसके बाद 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए।

भारत ने विश्व बैंक से किया अनुरोध 

हालांकि, पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई आईडब्ल्यूटी के अनुच्छेद IX द्वारा परिकल्पित विवाद समाधान के श्रेणीबद्ध तंत्र का उल्लंघन है। इसके बाद भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए विश्व बैंक में एक अलग अनुरोध किया।

जिसके बाद विश्व बैंक ने 2016 में खुद इसे स्वीकार किया और हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन प्रक्रियाओं दोनों पर कार्रवाई शुरू की है। हालांकि, समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर विचार आईडब्ल्यूटी के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं।

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क्या है सिंधु जल संधि

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक जल-वितरण संधि है। यह संधि 19 सितंबर 1960 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा लाई गई थी। इस संधि को व्यावहारिक बनाने के लिए विश्व बैंक भी इसका एक हस्ताक्षरकर्ता बना था। बता दें कि इस संधि के तहत ब्यास, रावी और सतलज के पानी पर भारत जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम के अधिकांश पानी पर पाक का अधिकार है।

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