Jammu Kashmir: सीट नई लेकिन लड़ाई पुरानी! 'अनंतनाग' के लिए कश्मीर में ऐसे खत्म हुई आईएनडीआई गठबंधन की कहानी

जम्मू कश्मीर में आईएनडीआई गठबंधन आखिरकार टूट चुका है। पीडीपी और नेकां कश्मीर की तीनों सीटों से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। हालांकि आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार बरकरार है। सभी पार्टियों में अनंतनाग सीट को लेकर होड़ मची हुई है। अनंतनाग सीट ही है जिसे लेकर शायद गठबंधन में फूट पड़ी है। आइए जानते हैं कैसे एक-एक कर नेकां और पीडीपी गठबंधन से बाहर हो गईं।

By Jagran NewsEdited By: Gurpreet Cheema Publish:Thu, 04 Apr 2024 07:22 PM (IST) Updated:Thu, 04 Apr 2024 07:52 PM (IST)
Jammu Kashmir: सीट नई लेकिन लड़ाई पुरानी! 'अनंतनाग' के लिए कश्मीर में ऐसे खत्म हुई आईएनडीआई गठबंधन की कहानी
कश्मीर में खत्म हुआ आईएनडीआई गठबंधन (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आईएनडीआई गठबंधन (INDI Alliance) की कहानी अंतत: खत्म हो चुकी है। पीडीपी ने नेकां पर गठबंधन की मर्यादा भंग करने का आरोप लगाते हुए कश्मीर से जुड़ी तीनों सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। अब इन सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। निश्चित तौर पर भाजपा इसमें राह बनाकर कश्मीर में कमल खिलाने का प्रयास करेगी।

हालांकि, नेकां और पीडीपी दोनों दल एक-दूसरे के सिर गठबंधन तोड़ने का ठीकरा फोड़ रहे हैं। खास बात है कि कांग्रेस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठी है। तीन सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि उमर अब्दुल्ला ने हमारे लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा था।

तो वहीं दूसरी तरफ नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि हमने तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला तो पीडीपी के फार्मूले के आधार पर ही लिया है। वह शायद विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन नहीं चाहतीं।

उमर अब्दुल्ला द्वारा गुज्जर नेता मियां अल्ताफ अहमद लारवी को अनंतनाग-राजौरी सीट से प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही गठबंधन की उम्मीद पूरी तरह टूट गई थी।

उमर अब्दुल्ला को प्रत्याशी घोषित करने से पूर्व जम्मू-कश्मीर के हित में मुझसे चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन जिस तरह से उमर ने कहा कि पीडीपी कहीं नहीं है, उससे हमें ठेस पहुंची। भाजपा ने मेरी पार्टी को तोड़ा, लेकिन उमर के बयान से मेरे समर्थक और कार्यकर्ता निराश हैं। वह चाहते हैं कि हम चुनाव लड़ें। इसलिए हम चुनाव लड़ेंगे। उमर के रवैये के कारण ही गठबंधन टूटा है।

महबूबा मुफ्ती, पीडीपी प्रमुख

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का ऐसा मानना है कि आईएनडीआई गठबंधन बरकरार रहेगा। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने कहा कि जम्मू संभाग की दोनों सीटों पर नेकां व पीडीपी हमारा समर्थन कर रही हैं। अनंतनाग-राजौरी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी नहीं उतार रही और कश्मीर की अन्य दोनों सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया गया है। इन तीन सीटों पर आलाकमान अंतिम निर्णय लेगा।

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उमर ने महबूबा पर लगाए आरोप

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी साफ कह दिया है कि महबूबा मुफ्ती अगर सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती हैं तो यह उनकी इच्छा है। अगर वह अपने उम्मीदवार खड़ा कर रही हैं तो शायद वह विधानसभा में भी गठजोड़ नहीं चाहती हैं। हमने पीडीपी के फार्मूले के आधार पर ही तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। हमने तो उनके लिए अपना दरवाजा खुला रखा था, अगर अब वह दरवाजा बंद कर रही हैं तो इसमें हमारा कोई दोष नहीं है।

अब ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कैसे शांत रहेगी। कश्मीर में बढ़ते पारे के बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि चुनाव से पहले ही विरोधी दलों का गुपकार गठजोड़ तिनकों की तरह बिखर गया है। भाजपा अपने बलबूते पर चुनाव में जीत हासिल करेगी।

जम्मू कश्मीर में पांच लोकसभा सीटों में से दो जम्मू संभाग और दो कश्मीर में हैं, जबकि अनंतनाग-राजौरी सीट इन दोनों संभागों में पीरपंजाल पर्वत शृंखला के दोनों तरफ फैली है। इस सीट पर आईएनडीआई गठबंधन के घटकों में लगातार गतिरोध बना हुआ था। पीडीपी चाहती थी कि अनंतनाग सीट उसे मिल जाए पर नेकां कोई सीट छोड़ने को तैयार नहीं थी।

'अनंतनाग' को लेकर लड़ाई क्यों?

अनंतनाग-राजौरी सीट जम्मू कश्मीर राजनीतिक दलों के लिए काफी खास है। खास इसलिए क्योंकि यहां पर मतदाता धर्म, जाति, क्षेत्र व भाषा के आधार पर बंटे हुए हैं। यहां अधिकतम आबादी गोजरी, पहाड़ी और कश्मीरी बोलने वालों की है। साथ ही हिंदू आबादी भी अच्छी खासी है। यही कारण है कि बीजेपी, नेकां, पीडीपी और डीपीएपी के साथ अन्य पार्टियों की नजर इस सीट पर है। डीपीएपी संस्थापक गुलाम बनी आजाद ने तो स्वयं इस सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा भी की है।

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