Jharkhand के इस जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में रोढ़ा बनीं ये तीन महत्वपूर्ण योजनाएं, बीच में ही लटका काम

बोकारो को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाली तीन महत्वपूर्ण योजना फिलहाल अटक हुई हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका असर भी पड़ सकता है। इसमें पहली क्रिकेट स्टेडियम दूसरी महत्वपूर्ण योजना बोकारो में मेडिकल और तीसरी बोकारो हवाई अड्डा शामिल है। इन तीनों योजनाओं के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं और ये योजनाएं कई सालों से अटकी हुई हैं।

By Birendra Kumar Pandey Edited By: Shoyeb Ahmed Publish:Mon, 24 Jun 2024 06:23 PM (IST) Updated:Mon, 24 Jun 2024 06:23 PM (IST)
Jharkhand के इस जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में रोढ़ा बनीं ये तीन महत्वपूर्ण योजनाएं, बीच में ही लटका काम
Jharkhand के इस जिले की ये तीन महत्वपूर्ण योजनाएं बीच में ही लटक गई

HighLights

  • अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, मेडिकल कालेज व हवाई अड्डा हो गया राजनीति का शिकार
  • हवाई अड्डा पांच साल, क्रिकेट स्टेडियम तीन साल तो मेडिकल कालेज एक साल से है लटका

जागरण संवाददाता, बोकारो। बोकारो की राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाली तीन महत्वपूर्ण योजना फिलहाल अटक गई है। पहले क्रिकेट स्टेडियम को लेकर पहले विरोध हुआ।

इसके बाद जब सब कुछ ठीक हुआ, तो क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी के निधन के बाद योजना लटक गई। इसके बाद दूसरी महत्वपूर्ण योजना बोकारो में मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर है।

नहीं हो रहे हैं सार्थक प्रयास

इस मामले में ठेका नहीं मिलने को लेकर संवेदक कंपनी उच्च न्यायालय में गई, तो हवाई अड्डे को लेकर सेल, राज्य सरकार व एएआई के बीच समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा है। तीनों ऐसी योजना हैं जिससे कि बोकारो की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन सकती थी, पर सार्थक प्रयास नहीं हो रहा है।

किसी में राज्य सरकार का पेंच हैं, तो किसी में केन्द्र का, तो किसी में स्थानीय अधिकारी पेंच लगाए हुए हैं। जनता केवल आशा में है कि इनका निर्माण कब पूरा होगा। पर जमीनी हालात यह है कि चुनाव से पहले एक काम भी नहीं होगा। तीनों मामले चुनावी मुद्दा बनेंगे। कोई स्वीकृत कराने का श्रेय लेगा तो कोई रूकवाने का श्रेय लेने की तैयारी में है।

न्यायालय में बोकारो मेडिकल कॉलेज का मामला

बोकारो में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज बनने की प्रक्रिया पर फिलहाल कोर्ट के निर्णय पर निर्भर है। चूंकि लोकसभा चुनाव से पहले इस बात की चर्चा हुई कि मुख्यमंत्री मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास करने वाले थे। इसी बीच मामला न्यायालय के विचार में चला गया।

इससे बोकारो की उम्मीद को झटका लगा है। 687.5 करोड़ रुपया की लागत से निर्माण संबंधित टेंडर निकाला गया था। झारखंड स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से टेंडर जारी किया गया था । 36 माह में निर्माण कार्य पूरा होना था। टेंडर प्रकिया में दो कंपनियों ने हिस्सा लिया।

बाद में एक कंपनी को तकनीकी रूप से अयोग्य करार दे दिया गया इसके बाद उक्त कंपनी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है । मामला कोर्ट में रहने के कारण अब आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है। जब तक कोर्ट इस पर फैसला नहीं सुनाती, तब तक बोकारो को मेडिकल कॉलेज निर्माण की शुरुआत संभव नहीं है। माना जा रहा है कि चुनावी मुद्दा बनेगा।

बोकारो में एयरपोर्ट का मामला लटका

वर्ष 2018 में जब बोकारो में एयरपोर्ट के जीर्णोद्धार का शिलान्यास हुआ। बताया गया कि एक साल में सबकुछ हो जाएगा। पर 2024 में भी हवाई सेवा की शुरुआत होगी। यह संभव नहीं लग रहा है। चूंकि हवाई अड्डा में सेल, एयरपोर्ट ऑथरिटी तथा राज्य सरकार तीनों की भागीदारी है।

राज्य सरकार के अधिकारियों को हवाई अड्डे को लेकर कोई रूचि नहीं है। वहीं सेल के अधिकारी इस बात से बेफिक्र है कि जो करना है वह एयरपोर्ट ऑथरिटी को करना है।

रही बात राज्य सरकार की तो सरकार को केन्द्र प्रायोजित योजना में कोई रूचि नहीं है। वहीं इस्पात मंत्री कर्नाटक से हैं तो नागरिक उड्डयन मंत्री आंध्रप्रदेश से। ऐसे में कितना समन्वय बन पाएगा। यह समय के गर्व में है। माना यह जा रहा है कि चुनाव से पूर्व यह चालू हो ऐसा लग नहीं रहा है।

क्रिकेट स्टेडियम का मामला लटका

बोकारो में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को लेकर जमीन का हस्तांतरण क्या हुआ। अलग-अलग विस्थापित संगठनों का विरोध एवं प्रदर्शन के बाद प्रशसन से मामले को थोड़े दिनों तक टालने की सलाह दी। इसके बाद झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी का निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही मामला लटक गया।

चूंकि स्टेडियम बनाने में छह सौ करोड़ की लागत लगने वाली थी। इस राशि को बीसीसीआई से स्वीकृत कराने की बड़ी चुनौती को देखते हुए अब कोई पहल नहीं हो रही है। जो लोग विरोध कर रहे थे।

अब वे भी चाह लें तो शायद इस परियोजना को बीसीसीआई से स्वीकृति मिले। 2021 से यह मामला लंबित है। फिलहाल बोकारो के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का सपना-सपना ही रह गया है।

ये भी पढ़ें-

Jharkhand के सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के लिए ये जांच अनिवार्य, स्वास्थ्य विभाग ने दिए निर्देश

MGNREGA में बड़ा गड़बड़झाला! एक ही जमीन में खोद डाले आठ पोखर, ऐसे खुली पोल

chat bot
आपका साथी