सांसद की शान में गुस्‍ताखी: डीआरएम से मिलने पहुंचे तो गेट पर रोक दिया, फिर हाथ जोड़ मांगी माफी

शुक्रवार को डीआरएम से मिलने पहुंचे धनबाद सांसद पीएन सिंह को कार्यालय अधीक्षक ने गेट पर ही रोक दिया और अपने कक्ष में बैठकर इंतजार करने की बात कही। कार्यालय अधीक्षक का व्यवहार सांसद को नागवार गुजरा और उन्होंने इस पर सख्त आपत्ति जताई।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 05 Nov 2022 04:58 AM (IST) Updated:Sat, 05 Nov 2022 04:58 AM (IST)
सांसद की शान में गुस्‍ताखी: डीआरएम से मिलने पहुंचे तो गेट पर रोक दिया, फिर हाथ जोड़ मांगी माफी
सांसद के तल्‍ख तेवर पर हाथ जोड़कर खड़े कार्यालय अधीक्षक।

जागरण संवाददाता, धनबाद: अपने धनबाद के सांसद महोदय और रेलवे के संबंध ट्रैक पर लौट ही नहीं पा रहे। जब कुछ बेहतर होने को होता है तो उससे पहले परिस्थितियां ऐसी बिगड़ती हैं कि फिर दोनों ट्रेन की पटरियों की तरह साथ तो चलते हैं, पर एक-दूसरे से मिल नहीं पाते। अभी बीते महीने रेलवे बोर्ड की मीटिंग में ठंड में ठिठुरते हुए सांसद के पहुंचने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि रेलवे ने फिर माननीय की शान में गुस्‍ताखी कर दी।

शुक्रवार को डीआरएम से मिलने पहुंचे धनबाद सांसद पीएन सिंह को कार्यालय अधीक्षक ने गेट पर ही रोक दिया और अपने कक्ष में बैठकर इंतजार करने की बात कही। कार्यालय अधीक्षक का व्यवहार सांसद को नागवार गुजरा और उन्होंने इस पर सख्त आपत्ति जताई। इसे लेकर हंगामे की स्थिति पैदा हो गई। सांसद के साथ अन्य भाजपा नेताओं व समर्थकों ने भी विरोध शुरू कर दिया। सांसद की तल्खी देख कार्यालय अधीक्षक फौरन नरम पड़ गए। हाथ जोड़ कर माफी भी मांगी। बाद में सांसद की डीआरएम आशीष बंसल से काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान भी सांसद नाराज दिखे। सांसद का कहना था कि दोपहर एक बजे मेरा मिलने का टाइम फिक्स था। अगर बिफोर टाइम आ गए तो क्या एमपी आपके चैंबर में बैठकर इंतजार करेगा...? प्रोटोकाॅल जानते हैं...? इसके जवाब में कार्यालय अधीक्षक बोले- सर, हमको डीआरएम साहब बोले हैं, तभी न हम आपको बोले... नहीं तो हम क्यों बोलते...!

ज्यादा देर तो नहीं रुकना पड़ा, पर ठीक बात नहीं

इधर, डीआरएम से बात कर उनके चैंबर से बाहर आए सांसद पीएन सिंह ने कहा कि गंगा-दामोदर एक्सप्रेस और स्वर्णरेखा एक्सप्रेस के विलय को लेकर डीआरएम से बात करने आए थे। पहले से ही दोपहर एक बजे का समय निर्धारित था। बावजूद उन्हें रोका गया। हालांकि उन्हें ज्यादा देर नहीं रुकना पड़ा, पर यह ठीक बात नहीं है।

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