धनबाद के वरिष्ठ पत्रकार बनखंडी मिश्र व डॉ. नीलम होंगे गोवा में सम्मानित Dhanbad News

डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक रंजन सिंह ने लूबी सर्कुलर रोड स्थित धनबाद परिसदन में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि इस वर्ष 18 जून को गोवा क्रांति दिवस की 75 वीं वर्षगांंठ है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 08 Jan 2021 05:23 PM (IST) Updated:Fri, 08 Jan 2021 05:23 PM (IST)
धनबाद के वरिष्ठ पत्रकार बनखंडी मिश्र व डॉ. नीलम होंगे गोवा में सम्मानित Dhanbad News
18 जून को गोवा क्रांति दिवस की 75 वीं वर्षगांंठ है। (फोटो जागरण)

धनबाद, जेएनएन: डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक रंजन सिंह ने लूबी सर्कुलर रोड स्थित धनबाद परिसदन में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि इस वर्ष 18 जून को गोवा क्रांति दिवस की 75 वीं वर्षगांंठ है।

गोवा मुक्ति युद्ध के महानायक डॉ. राममनोहर लोहिया थे। इस ऐतिहासिक दिन को स्मरण करते हुए डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 18-19 जून 2021 को गोवा में दो दिवसीय त्रि-देशीय/ट्राई नेशनल कांफ्रेंस आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में भारतवर्ष के अतिरिक्त बांग्लादेश और नेपाल से भी कई बुद्धिजीवी शामिल होंगे।

कार्यक्रम में गोवा मुक्ति युद्ध पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म प्रदर्शित की जाएगी। इसके अलावा एक स्मारिका का लोकार्पण होगा। डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक रंजन ने बताया कि सम्मेलन में गोवा सत्याग्रह के सेनानियों के अलावा डॉ. लोहिया के विचारों को मानने वाले एवं उनपर शोध करने वालों को डॉ. राममनोहर लोहिया स्मृति सम्मान भी दिया जाएगा।

धनबाद के वयोवृद्ध लेखक व पत्रकार बनखंडी मिश्र और डॉ. नीलम मिश्रा को सम्मानित किया जाएगा। बनखंडी मिश्रा डॉ. लोहिया के करीबी लोगों में रहे हैं, वहीं डॉ. नीलम ने कुछ वर्ष पहले डॉ. लोहिया पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। 

धनबाद से रहा है डॉ. लोहिया का गहरा जुड़ाव

फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक रंजन ने बताया कि झारखंड डॉ. लोहिया के समाजवादी आंदोलन की उर्वर भूमि रही है। धनबाद में सोशलिस्ट पार्टी और हिंद मज़दूर सभा के कई कार्यक्रमों में डॉ. लोहिया धनबाद आए। वे अंतिम बार धनबाद 1965 में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के सिलसिले में आए थे। यहाँ के एक बड़े ट्रेड यूनियन नेता इमामुल हई खान  थे। वे डॉ. लोहिया के विचारों से खासे प्रभावित थे। गोवा मुक्ति आंदोलन में यहां के कई सेनानियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

नौजवानों को गोवा की प्रचलित छवि बदलने की जरूरत

अभिषेक ने बताया कि गोवा में पुर्तगाल शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता सेनानियों ने यातनाएं सहीं और अपना बलिदान दिया, लेकिन, इतिहासकारों ने उसका सही मूल्यांकन नहीं किया। युवा पीढ़ी में ज़्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि गोवा किसका उपनिवेश था और यह कब स्वतंत्र हुआ? आज गोवा की एक अलग प्रचलित छवि बन गई है। नौजवानों को गोवा की वास्तविक छवि गढ़ने की आवश्यकता है। डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन लगातार इस दिशा में कार्यरत है। फाउंडेशन देश-विदेश से डॉ. लोहिया और उनके समाजवादी आंदोलन से संबंधित दुर्लभ दस्तावेज़ों का संकलन एवं संरक्षण कर रहा है, ताकि देश की भावी पीढ़ी डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से परिचित हो सके। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि डॉ. लोहिया के नाम पर सत्ता की राजनीति करने वाले दस्तावेज़ीकरण में उदासीन रहे। यही वजह है कि डॉ. लोहिया द्वारा लिखित कई महत्वपूर्ण किताबों का पुनर्प्रकाशन नहीं पाया। डॉ. लोहिया आज़ाद भारत के सबसे बड़े मौलिक चिंतक थे, लेकिन उनके विचारों का सही मूल्यांकन नहीं हो सका। जबकि उनके विचार आज ज़्यादा प्रासंगिक प्रतीत हो रहे हैं। इस पत्रकार वार्ता में बनखंडी मिश्र और डॉ. नीलम मिश्रा समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

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