रेलवे बांटेगी अपने महिला कर्मचारियों का दर्द, नवजात की मौत के बाद भी मिलेगी 60 दिनों की स्पेशल मैटरनिटी लीव

रेलवे महिला कर्मचारियों को सामान्य तौर पर छह महीने की मैटरनिटी लीव देती है। उनके लिए विशेष छुट्टी की सुविधा नवजात की देखभाल के लिए दी गई है। अब जन्‍म के बाद नवजात को गंवाने वाली महिलाओं को भी स्पेशल मैटरनिटी लीव मिलेगी जो 60 दिनों की होगी।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Thu, 10 Nov 2022 03:17 PM (IST) Updated:Thu, 10 Nov 2022 03:17 PM (IST)
रेलवे बांटेगी अपने महिला कर्मचारियों का दर्द, नवजात की मौत के बाद भी मिलेगी 60 दिनों की स्पेशल मैटरनिटी लीव
रेलवे ने भी उस असहनीय पीड़ा वाले पल को समझा और मां का दर्द बांटने की कोशिश की है।

जागरण संवाददाता, धनबाद: नौ महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में रखने और असहनीय पीड़ा के बाद उसे जन्म देते ही मां जैसे ही अपने बच्चे की एक झलक पा लेती है। उसके सारे दुख और तकलीफ पल भर में दूर हो जाते हैं। उसे कलेजे से लगाते ही दुनिया की सारी खुशियां एक साथ झोली में आ गिरती हैं। अब जरा उस मां की सोचिए, जिनके गर्भ से मृत शिशु का जन्म होता है, या फिर जन्म लेने के कुछ ही देर में कलेजे का टुकड़ा दूर चला जाता है। उस मां का दर्द और तकलीफ एक मां ही समझ सकती है।

अब रेलवे ने भी उस असहनीय पीड़ा वाले पल को समझा और मां का दर्द बांटने की कोशिश की है। रेलवे के नए नियम के मुताबिक अब ऐसी परिस्थिति में उन महिला कर्मचारियों को 60 दिनों की स्पेशल मैटेरनिटी लीव मिलेगी।

रेलवे से मिलने वाली है खास सुविधा

रेलवे महिला कर्मचारियों को सामान्य तौर पर छह महीने की मैटरनिटी लीव देती है। उनके लिए विशेष छुट्टी की सुविधा नवजात की देखभाल के लिए दी गई है। अब वैसे महिला रेल कर्मचारी जिन्हें मृत शिशु हुआ है या फिर जन्म के कुछ देर बाद ही उसकी मृत्यु हो गई है, उन्हें भी स्पेशल मैटरनिटी लीव मिलेगी, जो 60 दिनों की होगी। ऐसी घटनाओं के बाद सामान्य तौर पर महिलाओं के जीवन पर काफी असर पड़ता है। एक तरह से वह टूट जाती है। इसके मद्देनजर ही अब दो महीने की विशेष छुट्टी दी जाएगी।

आदेश प्रभावी होने की तिथि से नियम लागू

स्पेशल मैटरनिटी लीव को लेकर रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक पीएंडए एनपी सिंह ने आदेश जारी कर दिया है। आदेश जारी होने की तिथि से यह प्रभावी होगा। पुराने मामले इसमें शामिल नहीं होंगे।

यह होंगी शर्तें

- यदि किसी महिला कर्मचारी द्वारा पहले ही मातृत्व अवकाश का लाभ उठाया जा चुका है और उसकी छुट्टी जन्म/मृत जन्म के तुरंत बाद बच्चे की समाप्ति की तारीख तक जारी रहती है, तो बच्चे की मृत्यु तक प्राप्त मातृत्व अवकाश को उपलब्ध किसी अन्य प्रकार के अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है। चिकित्सा प्रमाण पत्र के लिए आग्रह किए बिना उसका छुट्टी खाता और बच्चे की समाप्ति की तारीख से 6o दिनों का विशेष मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है।

- यदि किसी महिला कर्मचारी द्वारा मातृत्व का लाभ नहीं उठाया गया है, तो जन्म/मृत जन्म के तुरंत बाद बच्चे की मृत्यु की तारीख से 60 दिनों का विशेष मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है।

- जन्म के तुरंत बाद बच्चे की मृत्यु की स्थिति को जन्म के 28 दिन बाद तक परिभाषित किया जा सकता है।

- विशेष मातृत्व अवकाश का लाभ केवल 2 से कम जीवित बच्चों वाली महिला रेल कर्मचारी और केवल अधिकृत अस्पतालों में बच्चे की डिलीवरी के लिए स्वीकार्य होगा।

- रेलवे से गैर-सूचीबद्ध निजी अस्पताल में आपातकालीन प्रसव के मामले में आपातकालीन प्रमाण पत्र अनिवार्य है।

इस संबंध में ईस्ट सेंट्रल रेलवे महिला कर्मचारी यूनियन की महिला इकाई की जोनल सचिव मीना कुंडू ने बताया कि नौ महीने गर्भ में रखकर कलेजे के टुकड़े को खो देने का दुख एक मां ही समझती है। उन्हें स्पेशल मैटरनिटी लीव देने का निर्णय स्वागतयोग्य है। मानसिक अवसाद से जूझ रही महिला छुट्टियों के बाद जब वापस काम करने आएंगी तो काम भी ठीक से कर सकेंगी।

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