जल संरक्षण की दिशा में रेलवे ने बढ़ाए कदम... धनबाद में लगेगा रीसाइक्लिंग प्लांट

रीसाइक्लिंग प्लांट में मीटर लगा होगा जो यह बताएगा कि कितना लीटर पानी एक दिन में शोधित किया गया। शोधित पानी का कई बार धुलाई में इस्तेमाल होगा।

By mritunjayEdited By: Publish:Sat, 27 Apr 2019 11:48 AM (IST) Updated:Sun, 28 Apr 2019 10:54 AM (IST)
जल संरक्षण की दिशा में रेलवे ने बढ़ाए कदम... धनबाद में लगेगा रीसाइक्लिंग प्लांट
जल संरक्षण की दिशा में रेलवे ने बढ़ाए कदम... धनबाद में लगेगा रीसाइक्लिंग प्लांट

धनबाद, तापस बनर्जी। धनबाद से खुलने वाली ट्रेनों में सवार होते ही आप पाते हैं कि कोच धुली हुई और  साफ-सुथरी है। पर क्या आपने कभी यह भी सोचा है कि एक पूरी टे्रन धुलने में कितने पानी की खपत हो जाती है। और वह पानी नालियों में बेकार चला जाता है।

जी हां, टे्रनों की साफ-सफाई में रोजाना 60 से 70 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। धुलाई के बाद इस पानी को कोई उपयोग नहीं होता और नालियों में चला जाता है। अब ऐसा न हो इसके लिए रेलवे कोचिंग डिपो में वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट लगाएगी जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इससे उपयोग किए पानी का रीसाइकिल कर उसका बार-बार उपयोग किया जा सकेगा।

प्लांट में लगा मीटर बताएगा कितना लीटर शोधित हुआ पानीः रीसाइक्लिंग प्लांट में मीटर लगा होगा जो यह बताएगा कि कितना लीटर पानी एक दिन में शोधित किया गया। शोधित पानी का कई बार धुलाई में इस्तेमाल होगा। पानी की रिसाइक्लिंग से भूगर्भ जल का कम दोहन होगा।

हर रोज पानी की खपत

बेड रोल धुलाई - 25-30 हजार लीटर

ट्रेनों की धुलाई - 60-70  हजार लीटर

बेड रोल धुलने का पानी भी होगा रीसाइकिलः एसी कोच के यात्रियों को दिए जानेवाले बेडरोल की धुलाई में प्रतिदिन औसतन 25-30 हजार लीटर पानी खर्च होता है। यह पानी भी दोबारा इस्तेमाल में नहीं आता है। रीसाइक्लिंग प्लांट लगने से बेड रोल धुलने में इस्तेमाल होनेवाला पानी भी रीसाइकिल होगा।

वर्षा का पानी बचाने को रेन वाटर हार्वेस्टिंगः कोचिंग डिपो में होनेवाले अन्य कार्यों के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग को भी मंजूरी मिली है। फिलहाल एक छोटे से फिश टैंक का निर्माण किया गया है, जहां रंग-बिरंगी मछलियां पल रही हैं। डिपो परिसर के अन्य हिस्सों में वर्षा जल संग्रहण किया जाएगा।

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