दक्षिण पूर्व रेलवे में सेफ्टी के 6 हजार से अधिक पद हैं खाली, भर्ती के लिए NFIR ने रेलवे बोर्ड को लिखा पत्र
ओडिशा में 2 जून को हुए भयावह रेल हादसे के बाद रेलवे की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआइआर) ने सेफ्टी स्टैंडर्ड पर सवाल उठाते हुए रेलवे बोर्ड को एक पत्र भेजा है।
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HighLights
- दक्षिण पूर्व रेलवे (चक्रधरपुर, आद्रा, रांची व खड़गपुर मंडल) के सेफ्टी विभाग में 6,400 पद रिक्त।
- रिक्त पदों पर नई बहाली नहीं होने से कर्मचारियों पर लगातार काम का बोझ बढ़ता जा रहा है।
- ट्रेनों की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ी सेफ्टी विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की जिम्मेदारी।
जासं, जमशेदपुर। ओडिशा के बालेश्वर जिला स्थित बाहानगा बाजार स्टेशन में दो जून को हुई रेल दुर्घटना के बाद नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआइआर) ने रेलवे बोर्ड को एक पत्र भेजा है। इसमें रेलवे के सेफ्टी विभाग में रिक्त पदों को लेकर चिंता जाहिर की गई है।
NFIR ने रेलवे के सेफ्टी स्टैंडर्ड पर उठाए सवाल
सिर्फ दक्षिण पूर्व रेलवे (चक्रधरपुर, आद्रा, रांची व खड़गपुर मंडल) के सेफ्टी विभाग में 92 हजार पद हैं, जिसमें लगभग 85,600 कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि 6,400 पद रिक्त हैं। रेलवे बोर्ड को भेजे गए पत्र में एनएफआइआर ने सेफ्टी स्टैंडर्ड पर सवाल उठाए हैं।
रेलवे में मैनपावर बढ़ाने की है जरूरत
पत्र के माध्यम से कहा है कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जरूरी है कि सेफ्टी को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए जरूरी है कि नई परिसंपत्तियों (थर्ड व फोर्थ लाइन, वंदे भारत सहित अन्य योजनाओं) के लिए सेफ्टी ऑडिट कराकर पुन: मैनपावर तैयार करें और सेफ्टी विभाग के रिक्त पदों को भरा जाए, क्योंकि ट्रेनों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उसकी स्पीड भी बढ़ी है, जिसके कारण सेफ्टी विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
सेफ्टी के रिक्त पदों को भरने का रेलवे बोर्ड से आग्रह
एनएफआइआर के सहायक महामंत्री एसआर मिश्रा का कहना है कि हमने सेफ्टी के रिक्त पदों को भरने का आग्रह रेलवे बोर्ड से किया है, ताकि दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो और सुरक्षित रूप से ट्रेन का परिचालन हो सके। उम्मीद है कि रेलवे बोर्ड जल्द ही पहल करेगा।
सरेंडर किए जा रहे सेफ्टी के पद
बीते वित्तीय वर्ष दक्षिण पूर्व रेलवे में सेफ्टी विभाग के कुल पदों में से रिक्त एक प्रतिशत वैसे पदों को सरेंडर कर दिया गया, जिसमें कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद नई बहाली नहीं हुई। सूत्रों की माने तो चालू वित्तीय वर्ष में रेलवे बोर्ड ने सेफ्टी विभाग के दो प्रतिशत पदों को सरेंडर करने का लक्ष्य दिया है।
कर्मचारियों पर बढ़ता जा रहा काम का बोझ
रिक्त पदों पर नई बहाली नहीं होने से कर्मचारियों पर लगातार काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। एनएफआइआर ने अपने पत्र में कहा है कि इस कारण कर्मचारी काम को जल्द पूरा करने के लिए शार्टकट रास्ता अपनाते हैं, जो सेफ्टी के लिहाज से खतरनाक है। इस प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है।
क्रिएशन आफ द पोस्ट की खत्म हो चुकी परंपरा
रेलवे में पूर्व में जब भी कोई नई परिसंपत्ति आती थी, तो उसे संचालन व मेंटेनेंस के लिए तय मापदंड के अनुसार क्रिएशन आफ द पोस्ट के तहत नए कर्मचारी बहाल किए जाते थे, लेकिन विगत वर्षों से यह परंपरा अब समाप्त हो चुकी है। पहले प्रति लोको इंजन संचालन के लिए 2.5 कर्मचारी, ट्रैक मेंटेनर में प्रति किलोमीटर पर 0.80 कर्मचारी सहित लोको शेड, एसी मेंटेनेंस, टीएंडडी में (रेलवे के फार्मूले के अनुसार) नए कर्मचारी बहाल किए जाते थे।