इंसानियत हुई शर्मसार गिड़गिड़ाते रहे परिजन, नहीं पसीझा TMH प्रशासन का दिल, इस कारण तीन दिनों तक नहीं दिया शव
एक बार फिर मानवता उस समय शर्मसार हो गई जब शुक्रवार रात हुई मौत के बाद भी बकाया 3.84 लाख का बिल जमा नहीं करने पर टीएमएच प्रबंधन ने बाराद्वारी के देवनगर निवासी कीर्ति जाला का पार्थिव शरीर देने से इन्कार कर दिया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता: एक बार फिर मानवता उस समय शर्मसार हो गई, जब शुक्रवार रात हुई मौत के बाद भी बकाया 3.84 लाख का बिल जमा नहीं करने पर टीएमएच प्रबंधन ने बाराद्वारी के देवनगर निवासी कीर्ति जाला का पार्थिव शरीर देने से इन्कार कर दिया।
सीने में दर्द के बाद टीएमएच में कराया भर्ती
जब स्वजनों ने चंदा कर एक लाख रुपये जमा किए, तब तीन दिन बाद स्वजनों को शव सौंपा गया। सोमवार शाम शव का स्वर्णरेखा घाट पर अंतिम संस्कार हो पाया। साकची पेट्रोल पंप के पीछे भाड़े पर सैलून चलाने वाले कीर्ति जाला को 25 दिसंबर की रात सीने में दर्द की शिकायत हुई। स्वजनों ने उन्हें तत्काल टीएमएच में भर्ती कराया।
टाल-मटोल करते रहे डाक्टर
कीर्ति के भतीजे कुणाल का कहना है कि मरीज की स्थिति नाजुक है, ऐसा कहते हुए डाक्टरों ने बड़े पापा को वेंटिलेटर पर डाल दिया, जिसके एक दिन का खर्च लगभग 35 हजार रुपये है। अस्पताल में भर्ती करने के दौरान हमने 29 हजार रुपये जमा किए। इसके बाद जब भी जब बड़े पापा की हालत के बारे में डाक्टर से पूछते तो वे यही कहते कि रिकवर हो रहा है।
एक जनवरी तक जब स्थिति में सुधार नहीं दिखा तो हमने डाक्टरों से आग्रह किया कि लगातार बिल बढ़ रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, हमें कोई दूसरा विकल्प दे दें, हम चले जाएंगे लेकिन डाक्टर कहते रहे कि मरीज रिकवर कर रहा है। अभी कुछ करना या कहीं और शिफ्ट करने से जान को खतरा है।
अचानक बताया मरीज के आर्गन फेल होने से मौत, पकड़ा दिया चेक
भतीजे ने बताया कि शुक्रवार रात 10 बजे अचानक टीएमएच प्रबंधन की ओर से जानकारी दी गई कि मरीज को निमोनिया होने के कारण उनके सभी आर्गेन फेल हो गए हैं। अब उन्हें बचाना संभव नहीं है, अपने स्वजनों को बुला लें। इस सूचना के साथ ही 3.84 लाख रुपये का बिल भी पकड़ा दिया गया। बिल जमा नहीं करने पर टीएमएच प्रबंधन सोमवार तक स्वजनों को पार्थिव शरीर नहीं दिया गया।
परिवार में नहीं है कोई कमाने वाला
कीर्ति के इकलौते बेटे की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है, जबकि एक बेटी की शादी हरियाणा में हुई है। अब घर में कीर्ती की पत्नी आशा, बेटे की विधवा पत्नी और 11 साल का पोता बचा है। स्वजनों ने अपनी आर्थिक स्थिति का दुखड़ा टीएमएच प्रबंधन के सामने सुनाया लेकिन उन्होंने बिल भुगतान के बिना पार्थिव शरीर देने से इंकार कर दिया।
सांसद का पत्र भी नहीं मानता टीएमएच प्रबंधन
टीएमएच का बिल माफ कराने के लिए स्वजन सांसद विद्युत वरण महतो के कार्यालय पहुंचे। वहां से पत्र भी टीएमएच प्रबंधन के नाम भेजा गया लेकिन टीएमएच प्रबंधन उस पत्र को भी नहीं मानता। अधिकारी कहते हैं कि पूरा बिल माफ नहीं हो सकता। कम से कम बिल का आधा पैसा जमा करना ही होगा। ऐसे में समाज और स्वजन आपस में एक लाख रुपये चंदा कर टीएमएच में जमा किया, जिसके बाद कीर्ति का अंतिम संस्कार हो पाया।