टाटा से खड़गपुर तक की ट्रेनों में बर्थ बेच रहे टीटीई

चक्रधरपुर रेल मंडल की ट्रेनों की वातानुकूलित (एसी) बोगी में टीटीई यात्रियों को डेढ़ सौ रुपये में सीट बेच रहे हैं। इससे रेलवे को राजस्व की क्षति हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 08:00 AM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 08:00 AM (IST)
टाटा से खड़गपुर तक की ट्रेनों में बर्थ बेच रहे टीटीई
टाटा से खड़गपुर तक की ट्रेनों में बर्थ बेच रहे टीटीई

गुरदीप राज, जमशेदपुर : चक्रधरपुर रेल मंडल की ट्रेनों की वातानुकूलित (एसी) बोगी में जनरल टिकट और रिश्वत देकर यात्रा करना बेहद आसान हो गया है। यात्रा टिकट परीक्षक (टीटीई) खुलेआम रिश्वत वसूल कर एसी बोगी में सीटें मुहैया करा रहे हैं। टाटानगर स्टेशन पर शुक्रवार को एक ऐसा ही नजारा देखा गया। टीटीई की इस करतूत से रेलवे को राजस्व की क्षति हो रही है।

शुक्रवार की सुबह 11 बजे अहमदाबाद हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस टाटानगर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जैसी ही आकर रुकी। टीटीई सेकेंड एसी कोच नंबर ए-1 से बाहर निकले। रेल यात्रियों ने उन्हें घेर लिया। यात्री एसी में बैठने के लिए बर्थ की मांग करने लगे। किसी यात्री के पास टाटानगर से खड़गपुर तो किसी के पास टाटानगर से हावड़ा तक का जनरल टिकट था। टाटानगर से खड़गपुर तक का जनरल टिकट का किराया 75 रुपये है। उस टिकट पर टीटीई ने बर्थ नंबर लिख दिया। सभी यात्री एसी बोगी में सीट पर बैठ गए। कुछ यात्री टीटीई को प्लेटफार्म पर ही रुपये देने लगे। टीटीई ने वहां रुपये नहीं लिए। कहा कि सीट पर जाकर बैठो। यहां विजिलेंस टीम पकड़ लेगी। यात्री सेकेंड एसी में जा कर बर्थ पर बैठ गए। टीटीई बारी-बारी से सभी यात्रियों के पास जाकर प्रति यात्री 150 रुपये वसूलने लगा। इस तरह कोच में जितनी भी सीटे खाली थीं, 150-150 रुपये में बिक गई। इस खेल को देखकर दैनिक जागरण के संवाददाता ने भी यात्री बनकर टीटीई से बात की और मोबाइल में घटनाक्रम को कैद कर लिया।

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इसलिए बदस्तूर जारी है 'खेल'

ट्रेन की एसी बोगी में सफर करना आम यात्री के बूते की बात नहीं, क्योंकि किराया अधिक है। ऐसे में यात्री टीटीई को रिश्वत देकर सफर करना ही आसान समझते हैं। अहमदाबाद हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की सेकेंड एसी में टाटानगर से खड़गपुर तक के लिए मात्र 150 रुपये ही रिश्वत देने पड़ते हैं। जबकि वास्तविक किराया 745 रुपये है। चूंकि यात्रियों को पैसे की बचत हो जाती है। उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल जाती हैं। टीटीई की कमाई हो जाती है, इसलिए यह खेल बदस्तूर जारी है।

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खाली सीटों की रखते हैं सूची

टाटानगर स्टेशन पर कई ट्रेनें चूंकि खाली हो जाती हैं। सो, टीटीई पहले से ही ऐसी सीटों की सूची बनाकर रखते हैं। प्लेटफार्म पर जैसे ही ट्रेन रुकती है, जरूरतमंद यात्री उनके पास पहुंच जाते हैं। कायदे से टीटीई को टिकट बना कर ही बर्थ मुहैया कराना चाहिए, लेकिन पैसा कमाने के चक्कर में सीटों को बेच देते हैं। बर्थ खरीदने वाले ज्यादातर यात्री लंबी दूरी तक सफर करने वाले नहीं होते हैं। इस गंदे खेल से रेलवे को राजस्व का करोड़ों का चूना लग रहा है। वहीं टीटीई की जेब भारी हो रही है।

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