14 मौतों के बाद भी नहीं जागा रेलवे विभाग
संवाद सूत्र भुरकुंडा (रामगढ़) छह वर्ष पूर्व भुरकुंडा रेलवे स्टेशन के समीप 14 लोगों की
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संवाद सूत्र, भुरकुंडा (रामगढ़) : छह वर्ष पूर्व भुरकुंडा रेलवे स्टेशन के समीप 14 लोगों की मौत का मंजर आज भी लोगों के रोंगटे खड़ा कर देता है। वर्ष 2015 में भुरकुंडा स्टेशन के समीप लपंगा रेलवे पटरी को पार करने के दौरान एक बोलेरो एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गई थी। इस दुर्घटना में बोलेरो में सवार एक ही परिवार के 14 लोग काल के गाल में समा गए थे। बोलेरो के तो परखच्चे उड़ गए थे। दैनिक जागरण ने घटना से पूर्व खबर छापकर आगाह भी किया था। लेकिन इतनी बड़ी घटना बीत जाने के बाद भी रेलवे विभाग आज तक नहीं जागा। घटना के बाद तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने रेल मंत्रालय से ओवरब्रीज बनवाने की मांग की थी। लेकिन मामला आज तक ठंडे बस्ते में पड़ा है। हालांकि रेल प्रबंधन ने पटरी के बगल में सीमेंट का खूटा गाड़कर चार पहिया वाहनों पर तो रोक लगा दी है। लेकिन आज भी प्रतिदिन सैंकड़ों दो पहिया वाहन इस मानव रहित रेल पटरी से जान जोखिम में डाल पार करते हैं। भुरकुंडा रेलवे स्टेशन से महज दो किमी की दूरी पर कुरसे में भी मानव रहित रेल पटरी से सैंकड़ों लोगों का प्रतिदिन आवागमन होता रहता है।
जिले का दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र है भुरकुंडा
जिले का भुरकुंडा दूसरा सबसे बड़ा व्यावसायिक व औद्योगिक केंद्र है। भुरकुंडा बाजार को बड़ा बाजार बनाने में कोयलांचल सहित पहाड़ों की तलहटी पर बसे गांवों का अहम रोल होता है। पंरतु इन गांवों का भुरकुंडा के साथ अच्छा रोड लिक न होना विकास की रफ्तार को धीमी करती है। क्षेत्र के दर्जनों गांवों के सैंकड़ों लोगों का भुरकुंडा व भदानीनगर आगमन होने के लिए कुरसे व लपंगा मानव रहित रेलवे पटरी से गुजरकर ही पार होना होता है। अन्यथा दो-चार किमी की दूरी वाली जगह पर पहुंचने के लिए 15 से 20 किमी का सफर तय करना पड़ता है। इन मानव रहित फाटकों से प्रतिदिन बाईक सवार सैंकड़ों की संख्या में गुजरते हैं। जरूरत है इस दिशा में ठोस पहल करने की।
रेल मंत्रालय व सांसद से दर्जनों बार हुई है गुहार
दुर्घटना के बाद से ही दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने रेलवे विभाग के डीआरएम सहित रेल मंत्री व स्थानीय सांसद से ओवरब्रीज निर्माण को ले दर्जनों बार गुहार लगाई है। लपंगा में तो ग्रामीण संघर्ष समिति नाम की कमेटी बनाकर डीआरएम, एडीआरएम, सांसद के साथ हाजीपुर जोन व रेल मंत्रालय से भी गुहार लगाई गई है। लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी।