अलकतरा घोटाला मामले में बहस पूरी, 25 साल बाद इस दिन आएगा फैसला; ये है पूरा मामला

Jharkhand News अलकतरा घोटाले में सीबीआइ कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी है। अब 25 साल बाद कोर्ट 29 जून को फैसला सुनाएगी। दरअसल सड़क मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर लाखों रुपये सरकारी राशि का गबन हुआ था। इसमें तीन आरोपित ट्रायल फेस कर रहे हैं। घोटाला साल तत्कालीन बिहार सरकार में 1992-93 से लेकर 1997 तक जारी रहा।

By Manoj Singh Edited By: Shashank Shekhar Publish:Tue, 25 Jun 2024 12:31 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jun 2024 12:31 PM (IST)
अलकतरा घोटाला मामले में बहस पूरी, 25 साल बाद इस दिन आएगा फैसला; ये है पूरा मामला
अलकतरा घोटाला मामले में बहस पूरी, 25 साल बाद इस दिन आएगा फैसला; ये है पूरा मामला

HighLights

  • CBI ने 6 दिसंबर 1999 को जांच शुरू की
  • पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
  • दो लोगों की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो गई

राज्य ब्यूरो, रांची। अलकतरा घोटाला मामले में सीबीआइ कोर्ट 25 साल बाद फैसला सुनाएगी। मामले में बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसले के लिए 29 जून की तिथि निर्धारित की है। सड़क मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर आरईओ वर्क्स डिवीजन, रांची के अभियंता और ठेकेदारों की मिलीभगत से लाखों रुपये सरकारी राशि का गबन हुआ था।

इस मुकदमे में तीन आरोपित कनीय अभियंता विवेकानंद चौधरी, कुमार विजय शंकर एवं बिनोद कुमार मंडल ट्रायल फेस कर रहे हैं। तीनों पर आरईओ वर्क्स डिवीजन रांची में पदस्थापित रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षड्यंत्र के तहत सरकारी राशि का गबन करने का आरोप है।

क्या है पूरा मामला

यह घोटाला साल तत्कालीन बिहार सरकार में वर्ष 1992-93 से लेकर 1997 तक जारी रहा। घोटाला प्रकाश में आने के बाद इसकी जांच सीबीआइ से कराई गई। सीबीआइ ने छह दिसंबर 1999 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की। जांच पूरी करते हुए सीबीआइ ने पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

इनमें दो की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो गई है। आरोपितों ने 12 सड़क की मरम्मत का कार्य दिखा उसी के अनुसार अलकतरा की मांग की। इन्होंने 11 सड़क की मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर सरकारी राशि का गबन कर लिया था। लगभग 1500 मिट्रिक टन अलकतरा आइओसीएल से ट्रांसपोर्टर के माध्यम से आरोपितों ने प्राप्त किया।

ट्रांसपोर्टर को चालान भी दिया, लेकिन स्टाक रजिस्टर में प्राप्ति से काफी कम मात्रा दिखाई गई। इस गबन को छिपाने के लिए एक फर्जी एकाउंट जनवरी 1997 में तैयार किया गया था। इस एकाउंट में न आपूर्ति आदेश और न ट्रक नंबर अंकित था।

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