Hemant Soren Bail: क्या बेकसूर हैं पूर्व CM हेमंत सोरेन? झारखंड HC ने जमानत देते हुए कह दी 3 बड़ी बातें

रांची जमीन घोटाला मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को नियमित जमानत दे दी है। हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि किसी भी रजिस्टर/राजस्व रिकॉर्ड में उक्त भूमि के अधिग्रहण और कब्जे में याचिकाकर्ता की प्रत्यक्ष भागीदारी का कोई संकेत नहीं है। प्रार्थी को जमानत देने से कोई हानि नहीं होने वाली है।

By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya Publish:Fri, 28 Jun 2024 03:12 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 03:12 PM (IST)
Hemant Soren Bail: क्या बेकसूर हैं पूर्व CM हेमंत सोरेन? झारखंड HC ने जमानत देते हुए कह दी 3 बड़ी बातें
झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को बेल मिल गई है। (फोटो- जागरण)

HighLights

  • झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को मिली बेल
  • झारखंड HC ने जांच एजेंसी ED को झटका दिया
  • HC ने कहा- प्रार्थी को जमानत देने से कोई हानि नहीं होगी

जागरण टीम, रांची। Hemant Soren Bail रांची जमीन घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत दे दी है। हेमंत सोरेन बेल बॉन्ड (Hemant Soren Bail Bond) भरने के बाद जेल से बाहर आ जाएंगे।

हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत हुए ईडी को झटका भी दिया है। हाई कोर्ट ने केस को लेकर 3 बड़ी बातें कही हैं। जिससे हेमंत सोरेन का पक्ष काफी मजबूत होता दिख रहा है। चलिए अब हम आपको बताते हैं कि हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत हेते हुए क्या कुछ कहा?

झारखंड हाई कोर्ट की 3 बड़ी बातें-

झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने बेल हियरिंग के दौरान कहा- पूरे केस से पता चलता है कि प्रार्थी विशेष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से 8.86 एकड़ भूमि के अधिग्रहण और कब्जे के साथ-साथ "अपराध की आय" से जुड़े होने में शामिल नहीं है। किसी भी रजिस्टर/राजस्व रिकॉर्ड में उक्त भूमि के अधिग्रहण और कब्जे में याचिकाकर्ता की प्रत्यक्ष भागीदारी का कोई संकेत नहीं है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता (Hemant Soren) ने 2010 में उक्त भूमि का अधिग्रहण किया था और उस पर उसका कब्जा था, तो उस समय वह सत्ता में नहीं था, तो भूमि से विस्थापितों द्वारा अपनी शिकायत के निवारण के लिए अधिकारियों से संपर्क न करने का कोई कारण नहीं था। हाई कोर्ट ने आगे कहा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) का यह दावा कि उसकी समय पर की गई कार्रवाई ने अभिलेखों में जालसाजी और हेराफेरी करके भूमि के अवैध अधिग्रहण को रोका है, इस आरोप की पृष्ठभूमि में विचार करने पर एक अस्पष्ट कथन प्रतीत होता है कि भूमि पहले से ही अधिग्रहित थी और याचिकाकर्ता द्वारा उस पर कब्जा कर लिया गया था।

अंत में झारखंड हाई कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा- "प्रार्थी को जमानत देने से कोई हानि नहीं होने वाली है"।

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