Hemant Soren Mining Lease Case: हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट से कहा- खदान लीज मामला मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश

Hemant Soren Mining Lease Case मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से खनन लीज आवंटन मामले की झारखंड हाईकोर्ट में आज हेमंत सोरेन की ओर से जवाब दाखिल किया गया। इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छुपाया है। याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। यह राजनीतिक साजिश है।

By M EkhlaqueEdited By:
Updated: Fri, 06 May 2022 07:28 PM (IST)
Hemant Soren Mining Lease Case: हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट से कहा- खदान लीज मामला मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश
Hemant Soren Mining Lease Case: हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट से कहा- खदान लीज मामला मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को माइनिंग लीज आवंटन के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई टल गई। अदालत नहीं बैठने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी है। संभावना है कि अगले सप्ताह इस मामले में सुनवाई होगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है। अधिवक्ता अमृतांश वत्स की ओर से दाखिल जवाब में हेमंत सोरेन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित होकर याचिका दाखिल की गई है। इसे भारी हर्जाने के साथ खारिज करना चाहिए। उनकी ओर से प्रार्थी शिव शंकर शर्मा के क्रेडेंशियल पर सवाल उठाते हुए तथ्यों को छुपाने की बात कही गई है। जवाब में कहा गया है कि प्रार्थी के परिजन दो दशक से उनके विरोधी रहे हैं। प्रार्थी शिवशंकर शर्मा के पिता डा गौतम शर्मा उनके पिता शिबू सोरेन के खिलाफ वर्ष 2006-07 में एक मामले में गवाह थे। इस मामले में शिबू सोरेन को तीस हजारी कोर्ट से सजा मिली थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने सजा के आदेश को निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी, लेकिन यहां भी अपील खारिज हो गई थी। इस तथ्य को प्रार्थी ने अदालत से छिपाया है। इससे प्रतीत होता है कि यह राजनीतिक बदले की भावना से दाखिल की गई है। इसे जनहित का मामला नहीं माना जा सकता है।

हेमंत सोरेन ने कहा- प्रार्थी और भाजपा के आरोप एक

हेमंत सोरेन ने बताया है कि उन्हें चुनाव आयोग से दो मई को एक नोटिस मिला है। आयोग ने उनसे जवाब मांगा है। आयोग ने भारतीय जनता पार्टी की ओर से 14 फरवरी को लिखे एक पत्र के आधार पर नोटिस किया है। भाजपा ने पत्र में जो आरोप लगाया है वही आरोप प्रार्थी ने भी लगाया है। दोनों के आरोप एक ही हैं। इससे प्रतीत होता है कि प्रार्थी एक राजनीतिक दल से नियंत्रित हो रहा है और राजनीति से प्रेरित होकर जनहित याचिका दाखिल की गई है। रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन का माइनिंग लीज 17 मई 2008 को दस साल के लिए मिला था। वर्ष 2018 में लीज नवीकरण के लिए उन्होंने आवेदन दिया था, लेकिन आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था। इसके बाद उपायुक्त ने वर्ष 2021 में नए सिरे से माइनिंग लीज के लिए आवेदन आमंत्रित किया। उन्होंने आवेदन दिया इसके बाद उन्हें माइनिंग लीज आवंटित किया गया। इस दौरान उन्होंने नियमों के अनुसार सभी प्रक्रिया पूरी की। लेकिन चार फरवरी तक उन्हें खनन करने की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने बिना किसी खोदाई के ही लीज को सरेंडर कर दिया।

जनहित याचिका दाखिल हाेने की तिथि तक माइनिंग लीज नहीं

जनहित याचिका दाखिल होने की तिथि तक उनके पास माइनिंग लीज नहीं थी। प्रार्थी ने अदालत के समक्ष तथ्यों को छिपा कर पेश किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि बिना सही तथ्यों के ही माइनिंग लीज लेने के आरोप लगाया गया है। इसलिए विधानसभा से अयोग्य किए जाने का कोई आधार नहीं बनता है। यह जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती। जब इस मामले की सुनवाई शुरू होगी तो जरूरत पड़ने पर इसपर कई कानूनी बिंदु को भी अदालत के समक्ष पेश करेंगे। बता दें कि शिवशंकर शर्मा ने याचिका दाखिल कर मुख्यमंत्री पर जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन कर रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर पत्थर खनन लीज अपने नाम पर लेने का आरोप लगाया है। कहा गया है कि मुख्यमंत्री के पास खान विभाग भी हैं। विभागीय मंत्री रहते हुए उन्होंने नियमों की अनदेखी की है। उनकी विधानसभा सदस्यता रद कर देनी चाहिए।