गर्भवती महिलाएं एनीमिया से हो रही ग्रसित, शहरी क्षेत्र से अधिक मामले आए सामने; हीमोग्लोबीन की कमी सही नहीं

Jharkhand News गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबीन की कमी देखने को मिल रही है जबकि गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबीन कम नहीं होना चाहिए। शहर की तुलना में ग्रामीण महिलाओं में कम एनीमिया के मामले देखे जा रहे हैं। खासकर गर्भवती महिलाएं अधिक एनीमिक पाई जा रही हैं। जिले में एनीमिया से पीड़ित 30 प्रतिशत महिलाओं का इलाज नहीं हो पा रहा है।

By Anuj tiwariEdited By:
Updated: Fri, 08 Dec 2023 02:29 PM (IST)
गर्भवती महिलाएं एनीमिया से हो रही ग्रसित, शहरी क्षेत्र से अधिक मामले आए सामने; हीमोग्लोबीन की कमी सही नहीं
गर्भवती महिलाएं एनीमिया से हो रही ग्रसित, शहरी क्षेत्र से अधिक मामले आए सामने; हीमोग्लोबीन की कमी सही नहीं

जागरण संवाददाता, रांची। शहर की तुलना में ग्रामीण महिलाओं में कम एनीमिया के मामले देखे जा रहे हैं। खासकर गर्भवती महिलाएं अधिक एनीमिक पाई जा रही हैं। जिले के 14 प्रखंडों में गर्भवती महिलाओं की जांच की गई, जिसमें शहरी क्षेत्र की 52 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबीन 7 (ग्राम पर डाइल्यूट) से कम है।

शहरी क्षेत्र के कांके में किए गए जांच में पाया गया कि 1271 महिलाएं एनीमिक हैं। जबकि अन्य 13 प्रखंडों में की गई जांच में 596 महिलाएं ही एनीमिक पाई गईं। डाक्टरों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र में महंगे भोजन पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है, बल्कि मौसमी सब्जियों पर वे अधिक ध्यान देती हैं, जिन प्रखंडों में एनीमिया के कम मामले पाए गए हैं।

गर्भवती महिलाओं में कम नहीं होना चाहिए हीमोग्लोबीन

उनमें अनगड़ा, बेड़ो, बुंडू, बुढमू, चान्हो, लापुंग, मांडर, नामकुम, ओरमांझी, रातू, सिल्ली, सोनाहातू व तमाड़ शामिल हैं। हीमोग्लोबीन कम होने की वजह से लोगों में तरह-तरह की बीमारियां होती है। खास तौर पर गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबीन कम नहीं होना चाहिए। मालूम हो कि यह आंकड़ा अप्रैल से लेकर अक्टूबर माह तक का है।

महिलाओं का नहीं हो पा रहा एनीमिया का ठीक से इलाज

जिले में एनीमिया से पीड़ित 30 प्रतिशत महिलाओं का इलाज नहीं हो पा रहा है। इससे कई तरह की समस्या देखी जा रही है। इनमें सबसे बुरा हाल बेड़ो, बुंडू, बुढमू, चान्हो, मांडर व सिल्ली प्रखंड का है जहां पर एक भी एनीमिक महिला का इलाज शुरू नहीं हो पाया, जबकि शहरी क्षेत्र के कांके प्रखंड में 99 प्रतिशत महिलाओं का इलाज शुरू किया गया, इसके बाद अनगड़ा में 78 प्रतिशत व सोनाहातू में शत-प्रतिशत एनीमिक महिलाओं का इलाज किया गया।