Coronavirus 3rd Wave: हमारे पास हैं ये दो बड़े हथियार, जो कंट्रोल करेंगे आने वाली कोरोना लहर को!

Coronavirus 3rd Wave प्रिया अब्राहम देश में SARS-CoV-2 पर वैज्ञानिक अनुसंधान में सबसे आगे लीड कर रही हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के ओटीटी चैनल इंडिया साइंस के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 02:50 PM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 02:50 PM (IST)
Coronavirus 3rd Wave: हमारे पास हैं ये दो बड़े हथियार, जो कंट्रोल करेंगे आने वाली कोरोना लहर को!
हमारे पास हैं ये दो बड़े हथियार, जो रोकेंगे आने वाली कोरोना लहर को!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus 3rd Wave: आईसीएमआर-एनआईवी की निदेशक सुश्री प्रिया अब्राहम ने बताया कि साल 2021 मुश्किल साल था लेकिन हमने इस साल काफी कुछ पाया भी है। आपको बता दें कि प्रिया अब्राहम देश में SARS-CoV-2 पर वैज्ञानिक अनुसंधान में सबसे आगे लीड कर रही हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के ओटीटी चैनल इंडिया साइंस के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए।

बच्चों के लिए कोवैक्सिन का ट्रायल किस स्टेज पर पहुंचा है और हम कब तक इस वैक्सीन के आ जाने की उम्मीद कर सकते हैं?

इस वक्त, 2 से 18 साल के बच्चों के लिए कोवैक्सिन के फेज़-2 और 3 का ट्रायल चल रहा है। हमें उम्मीद है कि इनके परिणाम हमें जल्द मिल जाएंगे। इसके परिणाम रेगुलेटर्स को दे दिए जाएंगे। तो सितंबर या फिर अक्टूबर तक बच्चों के लिए कोविड-19 की वैक्सीन हमारे पास होगी। इसके अलावा ज़ाइडस केडिला की वैक्सीन का ट्रायल भी चल रहा है। ये भी बच्चों के काम आएगी और जल्द ही उपलब्ध होगी।

इनके अलावा, देशवासियों के लिए और कौन-कौन सी वैक्सीन्स उपलब्ध हो सकती हैं?

ज़ाइडस केडिला पहली डीएनए वैक्सीन होगी जो इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। इसके अलावा, जेनोवा बायोफार्मासूटिकल्स लिमिटेड की m-RNa वैक्सीन, बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवोवैक्स भारत में मिलेंगी। इसके अलावा भारत बायोटेक इंटरनैशनल लिमिटेड की इंट्रा-नेज़ल वैक्सीन भी आएगी, जो बेहद दिलचस्प होगी। इसे इंजेक्शन नहीं बल्कि सीधे नाक के ज़रिए दिया जाएगा।

क्या वर्तमान में उपलब्ध कोई भी वैक्सीन डेल्टा-प्लस वैरिएंट पर असर करेगा?

सबसे पहली बात, डेल्टा-प्लस वैरिएंट की डेल्टा वैरिएंट की तुलना में फैलने की संभावना कम है। 130 देशों में ज़्यादातर मामले डेल्टा वैरिएंट के ही सामने आ रहे हैं। ये दुनियाभर में फैल चुका है और तेज़ी से संक्रमित भी करता है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, हमनें उनके शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज़ पर शोध किया और दूसरे वैरिएंट के खिलाफ इसकी जांच की। इस दौरान पाया गया कि इस वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी की प्रभावकारिता दो से तीन गुना कम हो गई। इसके बावजूद वैक्सीन आपको काफी हद तक बचा सकती है।

डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी की प्रभावकारिता कुछ कम ज़रूर हो रही है, लेकिन गंभीर संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन ज़रूरी है ताकि लोग अस्पताल में भर्ती होने से बचें, यहां तक कि मृत्यु से भी। इसलिए वैरिएंट चाहे जो भी हो, वैक्सीन आपको गंभीर संक्रमण से बचाएगी।

क्या आने वाले समय में हमें बूस्टर डोज़ की ज़रूरत पड़ेगी? क्या इस पर किसी तरह का शोध हो रहा है?

बूस्टर डोज़ पर बाहर के कई देशों में शोध चल रहा है और बूस्टर के लिए कम से कम 7 अलग-अलग तरह की वैक्सीन को आज़माया जा चुका है। फिलहाल जब तक सभी देशों तक वैक्सीन न पहुंच जाए, तब तक के लिए WHO ने इस पर रोक लगाई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच वैक्सीन का एक ख़तरनाक अंतर है। लेकिन, भविष्य में बूस्टर डोज़ लग सकती हैं।

Wearing mask properly and actively encouraging everyone to get vaccinated are the two biggest weapons to control further waves”

Priya Abraham, National Institute of Virology Director speaks on scientific developments on #COVID19https://t.co/NkZRtx8zwn pic.twitter.com/Rc29MSruUx— PIB India (@PIB_India) August 18, 2021

क्या मिक्स एंड मैच वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है? क्या इससे हमें फायदा पहुंचेगा?

एक-दो मामले ऐसे सामने आए थे, जहां दोनों डोज़ में दो अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गई थीं। हमने एनआईवी में उन नमूनों का परीक्षण किया और पाया कि जिन दो लोगों को दो अलग-अलग वैक्सीन लगाई गई थीं, वे सुरक्षित थे। दो अलग वैक्सीन की वजह से किसी तरह का बुरा प्रभाव नहीं देखा गया और इम्युनोजेनेसिटी भी थोड़ी बेहतर थी। इसलिए इससे जान को ख़तरा नहीं होगा। अभी इस पर रिसर्च जारी है और इसके बारे में कुछ दिन बाद हम कुछ डिटेल में कह सकते हैं।

बाज़ार में अब सेल्फ टेस्टिंग किट्स भी उपलब्ध हैं। क्या इससे कोविड टेस्ट में तेज़ी आ सकेगी?

सेल्फ टेस्टिंग किट्स एंटीजन टेस्टिंग के लिए हैं, तो इनका रिज़ल्ट RT-PCR की तुलना कम सटीक है। जिन लोगों में कोविड से जुड़े लक्षण दिख रहे हैं, सिर्फ उनके परिणाम बेहतर आ सकते हैं।

क्या मॉनसून के दौरान कोविड-19 संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है?

जी हां, डेंगू, चिकनगुनिया और ज़ीका वायरस जैसे वायरल इंफेक्शन जो मच्छर के काटने से फैलते हैं, मॉनसून में तेज़ी से फैलते हैं। घर के आसपास पानी का जमाव न होने दें, जिसमें मच्छर अंडे दे सकते हैं। मच्छरों के काटने से फैलने वाले इन संक्रमणों के साथ कोरोना का संक्रमण हो जाना स्थिति को और भी गंभीर बना सकता है।

मीडिया में ऐसी कई तस्वीरें दिखने को मिल रही हैं, जिसमें लोगों की भीड़ नज़र आ रही है। इस तरह का ग़ैरज़िम्मेदाराना व्यवहार कितना नुकसान पहुंचा सकता है?

निश्चित रूप से, यह एक बड़ी समस्या है, भीड़ का जमाव कर हम अगली लहर को 'आमंत्रित' कर रहे हैं। WHO का भी कहना है कि यह महामारी उस वक्त ख़त्म हो जाएगी, जब हम चाहेंगे। यह हमारे हाथ में है। इसका मतलब हमें सावधान रहना होगा। खासतौर पर आने वाले त्योहारों के सीज़न में, हमें भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना होगा क्योंकि इन्हीं जगहों से वायरस फैलता है।

क्या ऐसा मुमकिन है कि अब लहर न आए?

नए वैरिएंट्स आते रहेंगे। हमारे पास दो हथियार हैं, जिनकी मदद से हम ख़ुद को सुरक्षित रख सकते हैं। ये हैं- अच्छी तरह मास्क पहनें और दूसरों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके बाद अगर कोरोना की नई लहर आती भी है, तो वो इतनी ख़तरनाक साबित नहीं होगी।

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