Health Tips: क्या आप भी नवजात शिशु को शहद देना मानते हैं सही, तो जानें क्या है सच्चाई

बच्चे को जन्म के बाद हेल्दी रखने के लिए कई तरीके भी अपनाते हैं। कई जगह नवजातों को जन्म के तुरंत बाद शहद दिया जाता है। हालांकि यह बच्चों के लिए कितना सुरक्षित है इस बारे में शायद भी कभी किसी ने जानने की कोशिश की होगी। ऐसे में आप इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे बच्चे को शहद देना सही है या नहीं-

By Jagran NewsEdited By: Harshita Saxena Publish:Sat, 03 Feb 2024 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 03 Feb 2024 07:59 AM (IST)
Health Tips: क्या आप भी नवजात शिशु को शहद देना मानते हैं सही, तो जानें क्या है सच्चाई
क्या नवजात को शहद देना सही है?

HighLights

  • अपने नवजात बच्चों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
  • इसी मकसद से कई लोग जन्म के बाद बच्चों को शहद खिलाते हैं।
  • हालांकि, नवजात को शहद खिलाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Health Tips: घर में बच्चे की किलकारी सभी को दिल को सुकून पहुंचाती है। अपने नवजात बच्चे को सेहतमंद बनाने के लिए लोग कई उपाय अपनाते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है, बच्चे को जन्म के बाद शहर चटाना। पुराने जमाने में अक्सर बच्चे के जन्म के बाद दादी-नानी उन्हें शहद चटाती थीं। यह ट्रेडिशनल तरीका धीरे-धीरे बहुत ही प्रचलित होता गया और अभी भी कई लोग अपने नवजात शिशुओं को शहद देने से पीछे नहीं हटते हैं। हालांकि, 12 महीने से कम उम्र के बच्चे को शहद देना कितना सही है या नहीं, इस बारे में शायद ही किसी ने कभी जानने की कोशिश की होगी।

सच्चाई यह है कि 12 महीने से छोटे बच्चों को शहर देनाबिल्कुल सही है। 12 महीने से कम उम्र के बच्चों को शहद देने के नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो नवजात शिशुओं के लिए शहद को सही मानते हैं, तो जानें इसके कुछ दुष्परिणामों के बारे में-

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नवजात को इसलिए नहीं दें शहद

शहद में एक बैक्टीरिया के स्पोर मौजूद होते हैं, जिसे क्लोस्ट्रीडियम बोट्यूलिनम कहते हैं। यह बैक्टीरिया मिट्टी में पाए जाते हैं और मधुमक्खी इसे अपने छत्ते तक ले आती है। इस बैक्टीरिया से एक गंभीर बीमारी हो सकती है, जिसे बोट्यूलिज्म कहते हैं। खास तौर से बच्चों में इंफैंटाइल बोट्यूलिज्म होना बहुत आम है। साल भर से छोटे बच्चों के गट में इन स्पोर्स से बचाव करने के लिए गुड बैक्टीरिया मौजूद नहीं होते हैं, जिससे बच्चा बहुत अधिक बीमार पड़ सकता है। ध्यान दें कि शहद किसी भी रूप में हो, इसे एक साल से छोटे बच्चों को देने से बचना चाहिए, फिर चाहे वो किसी सिरप के रूप में हो या फिर किसी बेकरी आइटम में। बोट्यूलिज्म के लक्षण 6 घंटे से लेकर 30 दिन के अंदर दिखाई देने लगते हैं।

बोट्यूलिज्म के लक्षण

कब्ज पलकें झपकाना सांस लेने में कठिनाई लार टपकना कमज़ोर होना बिना कारण रोना थकान चिड़चिड़ापन खाने में दिक्कत निगलने में दिक्कत चेहरे के एक्सप्रेशन का खत्म होना

यह भी रखें ध्यान

इस प्रकार कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और देरी न करें। यूरीन टेस्ट से इसका परीक्षण किया जाता है। बीमारी सुनिश्चित होने के बाद बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ सकता है। डॉक्टर शिशु बोटुलिज्म का इलाज बोटुलिज्म इम्यून ग्लोब्युलिन इंट्रावेनस (बीआईजीआईवी) नाम के एंटीटॉक्सिन से करते हैं। बीमारी की गंभीर बढ़ने पर आईसीयू की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

इसलिए बेहतर होगा कि ऐसी विषम परिस्थिति को आने से ही रोक लिया जाए और बच्चे को बिना डॉक्टर के निर्देश के कोई भी ऐसी चीज खाने पीने की चीज न दें, जो उसके सेहत ने साथ खिलवाड़ करे।

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Picture Courtesy: Freepik

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