Heart Attack in Kids: तो इन वजहों से अब बच्चे भी हो रहे हैं हार्ट अटैक का शिकार

Heart Attack in Kids हार्ट अटैक के मामले अब सिर्फ बूढ़े और बड़ों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी देखने को मिल रहे हैं। ऐसे केसेज़ जिसमें बच्चे की हार्ट अटैक से मौत ही हो गई तो क्या है इसकी वजहें आइए जानते हैं क्या है इसकी वजहें।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Mon, 22 May 2023 10:00 PM (IST) Updated:Mon, 22 May 2023 10:00 PM (IST)
Heart Attack in Kids: तो इन वजहों से अब बच्चे भी हो रहे हैं हार्ट अटैक का शिकार
Heart Attack in Kids: तो इन वजहों से अब बच्चे भी हो रहे हैं हार्ट अटैक का शिकार

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।  Heart Attack in Kids: हार्ट अटैक एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका खतरा अब बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी देखने को मिल रहा है। दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे हार्ट की मसल्स को नुकसान होता है। यह तब हो सकता है जब कोरोनरी आर्टरी में प्लाक के निर्माण से आर्टरी फट जाती है, जिससे रक्त का थक्का बन जाता है जो ब्लड के सर्कुलेशन को अवरुद्ध कर देता है। ब्लड सर्कुलेशन की कमी उस क्षेत्र में हार्ट की मसल्स के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाती है या नष्ट कर देती है, जिससे गंभीर समस्याएं या जान जाने का खतरा हो सकता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर के सलाह की आवश्यक होती है।

जैसा कि ऊपर बताया गया कि अब बच्चों में भी हार्ट अटैक के मामले देखने को मिल रहे हैं। 

पहला मामला

हैदराबाद में एक 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक 16 साल के लड़के को अचानक हार्ट अटैक आ गया और अस्पताल में उसकी मौत हो गई। दुख की बात ये है कि जिस दिन उसे हार्ट अटैक आया, उसी दिन उसका जन्मदिन था और वह अपना बर्थडे केक लेने  बाजार गया था। परिवार के मुताबिक सचिन आसिफाबाद का रहने वाला था। वह बाजार गया था कि अचानक उसके सीने में तेज दर्द हुआ। इसके बाद वह बेहोश होकर गिर पड़ा। जिसके बाद उसे तुरंत नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ती ही चली गई और अंत में उसकी मौत हो गई। 

दूसरा मामला

ग्रेटर नोएडा के जलपुरा गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में 8वीं के छात्र रोहित सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक छात्र रोहित सिंह की उम्र मात्र 15 साल है। जानकारी के मुताबिक रोहित सिंह आठवीं क्लास में पढ़ता था। खेलने के दौरान वह अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ा जिसके बाद उसे निजी अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया है। स्कूल के टीचर्स ने कुछ देर बच्चे के हाथ पैर दबाया और पानी भी पिलाया लेकिन बच्चा होश में नहीं आया।

शरीर में जब खून का ब्लॉकेज हो जाता है, तो दिल की मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं करतीं और यही वजह है कि लोगों में हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या हो जाती है। बच्चों में यह समस्या इसलिए देखने को मिल रही है (खासकर इस कोरोना काल में), क्योंकि वह बिना कुछ खाए-पिए घंटों बैठे रह रहे हैं, जिसकी वजह से उनके शरीर में मेटाबॉलिक रेट खराब हो रहा है और हाइपोग्लेसेमिया की वजह से उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है। आइए जानते हैं बच्चों में हार्ट अटैक से जुड़े वो कौन से संकेत हैं, जिन्हें माता-पिता को समझने की जरूरत है।

बच्चों में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले

नियमित रूप से ना खाना

- कुछ युवा और किशोर अनहेल्दी डाइट, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड्स का ज्यादा का सेवन करते हैं जिसके कारण उनके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। जिसकी वजह से हृदय में रक्त परिसंचार में भी कमी हो सकती है और इसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

- युवाओं में तंबाकू और अन्य नशीली पदार्थों का सेवन करने से हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। धूम्रपान, तम्बाकू या अन्य नशीली पदार्थों के सेवन से हार्ट के ब्लड सर्कुलेशन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

- आजकल के बच्चे मोबाइल के एडिक्ट हो गए हैं। फोन न मिलने पर उन्हें गुस्सा आने लगता है, स्ट्रेस होने लगता है। ये एक बहुत बड़ी वजह है उनमें हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों की। 

- कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से बच्चों का रूटीन पूरी तरह से खराब हो गया था। देर रात तक जगना, मोबाइल में बिजी रहना, गेम खेलना और फिर सुबह देर से उठना, ये सारी चीजें ने उनके फिजिकल और मेंटल हेल्थ को प्रभावित किया है। इस तरह की लाइफस्टाइल भी बच्चों में हार्ट अटैक का कारण बन रही है।

बचाव के उपाय

- माता-पिता बच्चों की आदतों पर ध्यान दें।

- उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।

- बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज़ के लिए प्रेरित करें।

- स्कूल, पढ़ाई किसी चीज़ को लेकर तनाव है तो उनसे बात करें उसे सॉल्व करने की कोशिश करें। 

(Dr Shuchin Bajaj, Founder Director, Ujala Cygnus Group of Hospitals से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik

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