National Birth Defect Prevention Month 2024: इन 4 वजहों से बर्थ डिफेक्ट का कारण बनते हैं बच्चे, ऐसे करें बचाव

National Birth Defect Prevention Month 2024 प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना पड़ता है। इस दौरान की गई जरा-सी लापरवाही न सिर्फ महिला बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक हो सकती है। इन वजहों से कई बार बच्चों में जन्म संबंधी विकार भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे कारण जो बर्थ डिफेक्ट की वजह बन सकते हैं।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Publish:Tue, 16 Jan 2024 04:22 PM (IST) Updated:Tue, 16 Jan 2024 04:22 PM (IST)
National Birth Defect Prevention Month 2024: इन 4 वजहों से बर्थ डिफेक्ट का कारण बनते हैं बच्चे, ऐसे करें बचाव
इन वजहों से बर्थ डिफेक्ट का कारण बनते हैं बच्चे

HighLights

  • प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर लापरवाही भारी पड़ सकती है।
  • यह सिर्फ महिला के लिए ही नहीं, बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • इस वजह से बच्चे कई तरह के बर्थ डिफेक्ट्स का शिकार बन जाते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। National Birth Defect Prevention Month 2024: प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को अपना और अपने बच्चे का खास ख्याल रखना जरूरी है। इस दौरान की गई जरा-सी लापरवाही न सिर्फ महिला, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकता है। साथ ही यह बर्थ डिफेक्ट का कारण भी बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि इस दौरान सभी जरूरी बातों का खास ख्याल रखा जाए। बच्चों में जन्म से जुड़े इन विकारों को लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल जनवरी को नेशनल बर्थ डिफेक्ट प्रीवेंशन मंथ के रूप में मनाया जाता है।

इस मौके पर बच्चों में होने वाले जन्म संबंधी विकारों और इससे जुड़े कुछ पर्यावणीय कारकों के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने गुरुग्राम के सीके बिड़ला हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग की प्रमुख सलाहकार डॉ. आस्था दयाल से बातचीत की।

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क्या है बर्थ डिफेक्ट?

इस बारे में बात करते हुए डॉक्टर कहती हैं कि बर्थ डिफेक्ट्स (Birth Defects) का मतलब की गर्भ की बच्चे की ग्रोथ या डेवलपमेंट में कुछ असामान्यताएं होना। लगभग 6% गर्भावस्था में बच्चों में बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते है और कई बार इसकी पहचान प्रेग्नेंसी के दौरान ही कर ली जाती है। वहीं, कुछ डिफेक्ट्स ऐसे होते हैं, जो डिलीवरी के बाद पहले एक-दो सालो में समझ आते हैं। डॉक्टर ने यह भी बताया कि इस तरह के विकारों के साथ हर साल लगभग 8 मिलियन बच्चे जन्म लेते हैं।

बर्थ डिफेक्ट के प्रकार

बच्चों में होने वाले बर्थ डिफेक्ट्स के कई प्रकार होते हैं, जिसमें कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट (congenital heart defects) सबसे आम है। इसमें दिल में छेद होना या हार्ट के स्ट्रक्चर में डिफेक्ट होना, क्लेफ्ट लिप, क्लेफ्ट पेलेट आदि शामिल हैं। इसके अलावा कुछ जेनेटिक कंडीशंस जैसे डाउन सिंड्रोम् या फिर बच्चे की बोन ग्रोथ में कुछ कमी, डाउन सिंड्रोम की वजह से उनका कद छोटा होना आदि कॉमन बर्थ डिफेक्ट्स देखे गए है।

बर्थ डिफेक्ट के कारण

बच्चों में होने वाले इन बर्थ डिफेक्ट्स के कारणों के बारे में बात करते हुए डॉक्टर बताती हैं कि लगभग 30% प्रेग्नेंसी में इन बर्थ डिफेक्ट्स का कारण पता चल जाता है और 70% प्रेग्नेंसी में बर्थ डिफेक्ट्स का कारण साफ नहीं होता है। हालांकि, आमतौर पर इसके 4 प्रमुख कारण हो सकते हैं, जिसमें जेनेटिक, किसी दवाई का साइड इफेक्ट्स, पर्यावरणीय कारक या फिर प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन्स शामिल हैं।

जेनेटिक डिफेक्ट

जेनेटिक डिफेक्ट यानी पेरेंट्स के क्रोमोसोम्स में डिफेक्ट होना या आपस में मिल कर बने एम्ब्रियो के क्रोमोसोम्स में कोई डिफेक्ट होना, जो डाउन सिंड्रोम, एडवर्स सिंड्रोम, पटाऊ सिंड्रोम की वजह बनते हैं, जिनका पता प्रेग्नेंसी में पता चल जाता है।

दवा का साइड इफेक्ट

अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला किसी भी मेडिकल कंडीशन के लिए दवा ले रही है, तो उस दवाई के साइड इफेक्ट्स से भी बच्चे में बर्थ डिफेक्ट्स आ सकते है।

प्रेग्नेंसी कॉम्प्लिकेशन्स

प्रेग्नेंसी कॉम्प्लिकेशन्स जैसे प्रेग्नेंट महिला को तेज बुखार होना या फिर कोई इन्फेक्शन हो जाना या बच्चे के यूट्रस के अंदर पानी कम हो जाना भी बच्चों में बर्थ डिफेक्ट्स का कारण बन सकते हैं।

एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स

एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स यानी पर्यावरणीय कारक जैसे शराब, स्मोकिंग, किसी केमिकल के संपर्क में आना या प्रदूषण से भी कई बार बच्चे में बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते हैं। विस्तार में जानते हैं पर्यावरणीय कारक के कुछ प्रकार- टॉर्च इन्फेक्शन, रूबेला इन्फेक्शन जैसे संक्रमणों के प्रति मेटर्नल एक्सपोजर से भी बच्चे में बहुत सारे बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते हैं। इंफ्लूएंजा होना या कोई भी वायरल फीवर या हाई ग्रेड फीवर होने से बच्चे में बर्थ डिफेक्ट्स आ सकते है। इसके अलावा चिकन पॉक्स या पालतू जानवर से जुड़े इन्फेक्शन से भी बच्चे में डिफेक्ट्स आ सकते हैं। इसके अलावा कुछ रेडिएशन एक्सपोजर जैसे की एक्स-रे या सीटी स्कैन के एक्सपोजर से भी बच्चे में बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते है। साथ ही कुछ न्यूट्रिशनल फैक्टर्स और माइक्रो न्यूट्रिशन की कमी से भी बच्चों में जन्म संबंधी विकार हो सकते हैं।

इन तरीकों से रोकें बच्चों में बर्थ डिफेक्ट्स

अगर आप अपने बच्चे को किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से बचाना चाहते हैं, तो अपनी डाइट का पूरा ख्याल रखें। यंग एज से ही पोषक तत्वों से भरपूर डाइट फॉलो करें, ताकि आपको प्रेग्नेंसी में कोई भी न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी न हो। साथ ही बचपन में ली जाने वाली रूबेला वैक्सीन को लेना भी न भूलें। अगर आपके घर में पेट्स हैं, तो अक्सर हाथों को बार-बार साफ करते रहें, ताकि टॉर्च इन्फेक्शन से बचा जा सके। अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको पहले से मेडिकल कंडीशन जैसे डायबिटीज या थाइरोइड है, तो कोशिश करें कि वह कंट्रोल में ही रहें। साथ ही आप जो दवाई ले रही हैं, उसे प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह पर बदल सकते हैं।

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Picture Courtesy: Freepik

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