जोड़ों के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है Rheumatoid Arthritis, ऐसे करें इसे मैनेज
रूमेटाइड अर्थराइटिस के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 2 फरवरी को रूमेटाइड अर्थराइटिस अवेयरनेस डे मनाया जाता है। यह एक ऑटो-इम्यून डिजीज है जिसका कोई इलाज नहीं है। इससे सबसे अधिक प्रभावित जोड़े होते हैं लेकिन शरीर के अन्य दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। जानें क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस और इसे मैनेज करने के तरीके।
HighLights
- हर साल 2 फरवरी को रूमेटाइड अर्थराइटिस अवेयरनेस डे मनाया जाता है।
- यह एक ऑटो-इम्यून डिजीज है, जिसमें जोड़ों में सूजन हो जाती है और काफी दर्द होता है।
- वजन कम करने, हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज से इस बीमारी को मैनेज किया जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Rheumatoid arthritis: हर साल 2 फरवरी को रूमेटाइड अर्थराइटिस अवेयरनेस डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक करने की कोशिश की जाती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में लगभग 1.8 करोड़ लोग रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित हैं। इस खौफनाक आंकड़े को देखते हुए, इस दिन के महत्व को समझा जा सकता है। इस बीमारी का कोई इलाज न होने की वजह से, इस बारे में जागरुक होना और भी अधिक आवश्यक हो जाता है। आइए जानते हैं, क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस और कैसे इसे मैनेज कर सकते हैं।
क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस?
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक क्रॉनिक ऑटो-इम्यून डिजीज है, जो शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों को प्रभावित करती है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या हो जाती है, जिस कारण से चलने-फिरने में खासतौर पर काफी तकलीफ होती है। यह घुटनों, उंगलियां, कलाई, एड़ी जैसे भागों को प्रभावित करता है, जिस वजह से इनके मूवमेंट में काफी दिक्कत सामना करना पड़ता है।
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क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, यह बीमारी न केवल आपकी हड्डियों को बल्कि, आंख, मुंह, दिल, त्वचा, फेफड़े और पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। हमारी हड्डियों में कार्टिलेज होता है, जो एक कनेक्टिव टीशू होता है, जो शॉक अब्जॉर्वर की तरह काम करते हैं। ये हड्डियों को घीसने से बचाने में भी मदद करते हैं। रूमेटाइड अर्थराइटिस में इनको नुकसान पहुंचता है। इस कारण से जोड़ों का आकार बिगड़ने लगता है और हड्डियां नष्ट होने लगती हैं। इम्यून सिस्टम के कुछ खास प्रकार के सेल्स इस प्रक्रिया में मदद करते हैं, जिस कारण से इसे ऑटो-इम्यून डिजीज कहा जाता है। ये सेल्स शरीर के अन्य दूसरे भागों में जाकर उन्हें भी प्रभावित कर सकते हैं।
क्या हैं इसके रिस्क फैक्टर्स?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डाटा के मुताबिक, रूमेटाइड अर्थराइटिस के कुल मामलों में से 70 प्रतिशत महिलाएं है, जिनमें से 55 प्रतिशत 55 साल से अधिक आयु की महिलाएं हैं। इस डाटा से यह समझा जा सकता है कि महिलाओं में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, स्कोकिंग, मोटापा और जेनेटिक्स की वजह से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
क्या हैं इसके लक्षण?
जोड़ों में सूजन जोड़ों में अकड़न खासकर सुबह के समय अधिक समय तक एक ही पोजिशन बैठने की वजह से अकड़न होना थकान कमजोरी बुखारकैसे कर सकते हैं इसे मैनेज?
वजन कंट्रोल करें- अधिक वजन होने की वजह से जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है, जिस कारण से रूमेटाइड अर्थराइटिस की वजह से होने वाला दर्द और अधिक बढ़ जाता है। इसलिए अगर आपका वजन अधिक है, तो कम करने की कोशिश करें। हेल्दी डाइट खाएं- अपनी डाइट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाले फूड आइटम्स को शामिल करें, जिससे रूमेटाइड अर्थराइटिस की वजह से होने वाली सूजन को कम करने में मदद मिल सके। इसके अलावा, कैल्शियम, विटामिन-डी और पोटेशियम से भरपूर फूड्स खाएं। आराम करें- रूमेटाइड अर्थराइटिस की वजह से, जोड़ों में काफी दर्द होता है। इसलिए दर्द से राहत पाने के लिए आराम करें और बहुत अधिक मेहनत वाली फिजिकल एक्टिविटी न करें। जोड़ों में सूजन की वजह से चोट लगने और टीशू डैमेज का खतरा अधिक रहता है। एक्सरसाइज करें- रूमेटाइड अर्थराइटिस की वजह से होने वाले दर्द के कारण, लोग अक्सर एक्सरसाइज आदि करना छोड़ देते हैं, लेकिन इससे समस्या और गंभीर हो सकती है। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह लेकर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जारी रखें। इससे जोड़ो को अधिक डैमेज से बचाने में मदद मिलेगी।यह भी पढ़ें: कम उम्र में आर्थराइटिस से बचाव करने के लिए करें लाइफस्टाइल में ये जरूरी बदलाव
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