नए शोध में खुलासा, समुद्री नमक से कम हो सकता है डायबिटिक फुट अल्सर का जोखिम
विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटिक फुट अल्सर की बीमारी उस व्यक्ति को होती है जो डायबिटीज रोग में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में लापरवाही बरतते हैं। खासकर इंसुलिन का इस्तेमाल करने वाले मरीजों में यह समस्या अधिक होती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीजों को मीठा खाने की मनाही होती है। इस बीमारी में रक्त में शर्करा स्तर बढ़ जाता है और अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन का निकलना बंद जाता है। यह स्थिति टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में उतपन्न होती है। वहीं, टाइप 1 डायबिटीज में अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन निकलना बंद नहीं होता है। विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज में लापरवाही बिल्कुल नहीं नहीं करनी चाहिए। इससे सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे न केवल अन्य बीमारियां दस्तक देती हैं, बल्कि डायबिटीज से शरीर के अंगों पर बुरा असर डालती है। इससे कई मरीजों को डायबिटिक फुट अल्सर हो जाता है। अगर आपको डायबिटिक फुट अल्सर के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-
डायबिटिक फुट अल्सर क्या है
विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटिक फुट अल्सर की बीमारी उस व्यक्ति को होती है, जो डायबिटीज रोग में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में लापरवाही बरतते हैं। खासकर इंसुलिन का इस्तेमाल करने वाले मरीजों में यह समस्या अधिक होती है। इसके अलावा, मोटापा, धूम्रपान करना और शराब के सेवन से डायबिटिक फुट अल्सर होता है। इस बीमारी में पैर में घाव या छाला आ जाता है और इसके चारों ओर की त्वचा बेहद सख्त हो जाती है। कई मामलों में घाव बेहद खतरनाक हो जाता है।
इस स्थिति में घाव वाले स्थान की हड्डी भी क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके लिए डायबिटिक फुट अल्सर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। वहीं, डायबिटिक फुट अल्सर के प्रभाव और असर कम करने के लिए समुद्री नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात की पुष्टि एक शोध से होती है, जिसमें समुद्री नमक के फायदे को बताया गया है। यह शोध कई लोगों पर 12 हफ़्तों तक किया गया। इसमें डायबिटिक फुट अल्सर के प्रभाव को कम करने के लिए समुद्री नमक युक्त स्प्रे का इस्तेमाल किया गया। इससे घाव के जख्म को भरने में मदद मिली। हालांकि, इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।