बार-बार पैरों में झंझनाहट या घाव करते हैं इस बीमारी की ओर संकेत, भूलकर भी न करें अनदेखा
डायबिटीज के मरीजों को हाई ब्लड शुगर लेवल की वजह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिसमें Diabetic Foot Ulcer भी शामिल है। यह डायबिटीज की वजह से होने वाली एक फुट कंडिशन है जो काफी कष्टदायक हो सकती है। इसलिए आइए एक्सपर्ट से जानने की कोशिश करते हैं कि कैसे डायबिटीक फुट अल्सर के खतरे को कम किया जा सकता है।
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HighLights
- इंसुलिन हार्मोन की कमी या इसका सही इस्तेमाल न होने के कारण Diabetes की समस्या हो सकती है।
- डायबिटीज की वजह से पैरों में समस्या हो सकती है, जिसे डायबिटीक फुट अल्सर कहा जाता है।
- यह ज्यादातर हाई ब्लड शुगर के कारण नसों को नुकसान पहुंचने की वजह से होता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Diabetic Foot Ulcer: डायबिटीज (Diabetes) एक गंभीर बीमारी है, जो एक बार गले पड़ गई, तो ताउम्र पीछा नहीं छोड़ती। इस बीमारी में शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है या इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता है, जिसके कारण ब्लड में शुगर लेवल बढ़ने लगता है। आपको बता दें, कि इंसुलिन एक हार्मोन होता है, जो हमारे पैनक्रियाज में बनता है। यह ब्लड में मौजूद ग्लूकोज को सेल्स में प्रवेश करने में मदद करता है, जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है। लेकिन जब बॉडी इंसुलिन नहीं बना पाती या उसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाती, तब ग्लूकोज ब्लड में इकट्ठा होने लगता है, जिसके कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है।
ब्लड में शुगर लेवल बढ़ने की वजह से नसों को नुकसान पहुंचने लगता है। नसों को क्षति पहुंचने की वजह से शरीर का हर हिस्सा प्रभावित होने लगता है और ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक तरीके से नहीं हो पाता। इसलिए डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों के पैरों में घाव हो सकता है। इसे डायबिटीक फुट अल्सर (Diabetic Foot Ulcer) कहा जाता है। इसलिए इस बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। आइए जानें डायबिटीज की वजह से पैरों में क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
कैसे हो सकता है Diabetic Foot Ulcer?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, डायबिटीज में नसों को नुकसान पहुंचने की वजह से अक्सर पैरों में झंझनाहट होती है या वे बार-बार सुन्न हो जाते हैं। इसकी वजह से कई बार पैरों में कोई छाला या घाव होता है, तो उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है और वह घाव बढ़ने लगता है। नसें डैमेज होने की वजह से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर नहीं हो पाता और इसके कारण पैरों में होने वाले घाव काफी धीरे भरते हैं। स्किन इन्फेक्शन का खतरा डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा होता है, क्योंकि सूजन की वजह से उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिसके कारण वे इन्फेक्शन से लड़ नहीं पाते। ये इन्फेक्शन जल्दी ठीक न होने की वजह से शरीर के अन्य हिस्सों तक भी फैल सकते हैं, जिसके कारण उस हिस्से के टिश्यू मरने (Gangrene) लगते हैं।इन कारणों से डायबिटीक फुट कंडिशन्स (Diabetic Foot Conditions) हो सकती हैं। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने पैरों की खास निरिक्षण करते रहना चाहिए। अगर पैरों में कोई घाव, फोड़ा, बर्न, फटी स्किन, कैलस (रगड़ या ठेस के कारण त्वचा का हिस्सा कठोर हो जाता है), कॉर्न या फंगल इन्फेक्शन आदि नजर आए, तो तुरंत इसका इलाज करवाना जरूरी होता है। नहीं तो, ये कंडिशन्स डायबिटीक फुट अल्सर (Diabetic Foot Ulcer) में बदल सकते हैं।
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कैसे करें इससे बचाव?
डायबिटीक फुट में सबसे आम होता है फुट अल्सर (Diabetic Foot Ulcer)। इसकी वजह से आपकी इन्फेक्शन कई बार इतना बढ़ जाता है कि उसे सर्जिकली हटाना (Foot Amputated) पड़ता है। इसलिए इस कंडिशन से कैसे बचा जाए, इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. साहिल कोहली (मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम, के न्यूरोलॉजी और न्यूरोसाइंस विभाग के प्रमुख कंसल्टेंट) से बात की। आइए जानते हैं इस बारे में उन्होंने क्या बताया।
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