Ambedkar Jayanti 2024: आखिर क्यों दिया था बाबा साहेब ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा, क्या है इसके पीछे की कहानी

हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। इस दिन उनके सभी योगदानों के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। वे भारतीय संविधान के पिता भी कहलाए जाते हैं और वे आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी थे। लेकिन ऐसा क्या हुआ था कि उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Publish:Sat, 13 Apr 2024 06:34 PM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2024 08:44 PM (IST)
Ambedkar Jayanti 2024: आखिर क्यों दिया था बाबा साहेब ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा, क्या है इसके पीछे की कहानी
क्या है बाबा साहेब की कानून मंत्री पद से इस्तीफा देने की कहानी?

HighLights

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था।
  • हर साल इस दिन उनके योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
  • वे आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बने थे।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संविधान के पिता (Father of Indian Constitution) कहलाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। इसलिए हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती (Ambedkar Jayanti 2024) या भीम जयंती (Bhim Jayanti) मनाई जाती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर को बाबा साहेब भी कहा जाता है।

उनकी जयंती के दिन उनके योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके विचारों से सीख लेने की कोशिश की जाती है। इसी खास मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़े एक बेहद दिलचस्प किस्से के बारे में बताने वाले हैं कि कैसे महिलाओं के हक के लिए उन्होंने भारत के कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

भारत के पहले कानून मंत्री

अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ी तोड़कर, भारत लगभग 200 सालों बाद आजाद हुआ, लेकिन देश को सुचारू ढंग से चलाने के लिए कानून की जरूरत थी, इस तरह डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का गठन किया गया और बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बनें।

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समानता में रखते थे विश्वास

बाबा साहेब का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था, जिसकी वजह से उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। उनके जीवन के इन्हीं संघर्षों ने उनके विचारों को आकार दिया था। डॉ. अंबेडकर समानता में यकीन रखते थे। वे जाति के आडंबर को नहीं मानते थे और चाहते थे कि समाज में सभी को एक-बराबरी का अधिकार मिले। व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर मौके मिलने चाहिए न कि उनका जन्म किस परिवार में हुआ है, इस आधार पर। इसलिए उन्होंने अपने पूरे जीवन समाज से जाति प्रथा, महिलाओं को बराबरी और बड़े-छोटे के भेद को मिटाने के लिए काम किया। ऐसा ही वे भारत का कानून मंत्री बनने के बाद भी करना चाहते थे।

कानून मंत्री पद से दिया इस्तीफा

समाज में महिलाओं को भी पुरुषों के समान बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए, उन्होंने एक बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें पिता की संपत्ति पर बेटियों का भी बेटों के समान ही अधिकार होने का प्रस्ताव दिया गया था। इस बिल को हिंदू कोड बिल (Hindu Code Bill) कहा जाता है।

इस बिल में विवाह में जाति के महत्व को खत्म करने, तलाख के नियम और गोद लेने के लिए नियमों को पारित करने पर चर्चा की गई थी, लेकिन उनके इस बिल को कैबिनेट में पास होने की मंजूरी नहीं दी गई। इस बिल के पास न होने की वजह से हीं 1951 में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

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Picture Courtesy: Instagram

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