जुल्म और अत्याचार से लड़ने के लिए हुई थी सिख मार्शल आर्ट 'Gatka' की शुरुआत, आज 30 से ज्यादा देशों में है खास पहचान

जिस तरह हर खेल में हिम्मत मेहनत और लगन की जरूरत होती है ठीक उसी तरह पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट (Traditional Sikh Martial Art) गतका में भी यह गुण चाहिए होते हैं। सेल्फ डिफेंस का यह गेम शरीर को फिट (Physical Fitness) रखने में भी बड़ी भूमिका निभाता है। शुरुआत में सिर्फ गुरुद्वारों कीर्तन और अखाड़ों तक सीमित यह खेल आज 30 देशों में खेला जा रहा है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Publish:Tue, 02 Jul 2024 02:48 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jul 2024 02:48 PM (IST)
जुल्म और अत्याचार से लड़ने के लिए हुई थी सिख मार्शल आर्ट 'Gatka' की शुरुआत, आज 30 से ज्यादा देशों में है खास पहचान
जुल्म-ओ-सितम से लड़ने के लिए हुई थी Sikh Martial Art 'गतका' की शुरुआत

HighLights

  • 'गतका' आज सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि 30 अन्य देशों में भी अपनी पहचान बना चुका है।
  • सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी का इसके विकास में खास योगदान रहा है।
  • सिखों की इस पारंपरिक मार्शल आर्ट ने महिला सशक्तिकरण में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। "सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊं"। जुल्म-ओ-सितम से मुकाबला करने के लिए सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी ने अपने अनुयाइयों से यह आह्वान किया था। अत्याचार के खिलाफ और दीन-दुखियों की रक्षा के लिए 'गतका' मार्शल आर्ट (Sikh Martial Art-Gatka) की शुरुआत हुई थी।

गौरतलब है कि हर क्षेत्र की अपनी एक मार्शल आर्ट होती है, जैसे- जूजुत्सु (Jujitsu), कराटे (Karate), कलरीपायट्टु (Kalaripayattu) या फिर मुएथाई (Muaythai)। ऐसे ही, भारत में सिख समुदाय में देखने को मिलता है गतका (Gatka)। इसके अभ्यास में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी की स्टिक के कारण ही इस मार्शल आर्ट का नाम गतका पड़ा है। बता दें, 17वीं शताब्दी में सिख समुदाय अपनी आत्मरक्षा (Self-Defence) के लिए यही तरीका अपनाया जाता था।

पहले गुरुद्वारों, कीर्तन और अखाड़ों तक ही था सीमित

10वें सिख गुरू, गुरु गोबिन्द सिंह जी ने इस मार्शल आर्ट के विकास में बड़ा योगदान दिया। बता दें, कि आज 21वीं सदी में युवा इस मार्शल आर्ट्स को पूरे जोश के साथ आगे ले जाने का काम कर रहे हैं। सिख समुदाय के कई युवाओं के लिए मार्शल आर्ट का यह शौक अब जुनून में तब्दील हो चुका है। शुरुआत में गतका सिर्फ गुरुद्वारों, कीर्तन और अखाड़ों तक ही सीमित था, लेकिन आज यह एक राष्ट्रीय खेल (National Sport) है।

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'गतका' होता क्या है और कैसे खेला जाता है?

'लाठी' को गतका कहा जाता है। इसमें खिलाड़ी घेरे में खेलते हैं और सामने वाले के शरीर पर लाठी मारकर प्वाइंट लेते हैं। इसके बाद जिसे सबसे ज्यादा प्वाइंट मिलते हैं, वह जीत जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर इस खेल को प्रशिक्षित (Trained) गतका प्लेयर्स खेलते हैं, लेकिन आज यह सिर्फ भारत में नहीं बल्कि 30 देशों में खेला जाता है, जिसमें यूएस (United States), कनाडा (Canada), यूके (United Kingdom), न्यूजीलैंड (New Zealand) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) जैसे देश भी शामिल हैं।

कितने हथियारों की पड़ती है जरूरत?

क्या आप जानते हैं कि गतका में कितने हथियार काफी होते हैं? 5, 10, 20? जी नहीं, दरअसल, इस मार्शल आर्ट में 100 से ज्यादा प्रकार के पारंपरिक हथियार (More Than 100 Weapons) होते हैं। इन सभी हथियारों को चलाना सीखना और गतका जैसे फिजिकली डिमांडिंग खेल का प्रदर्शन करने के लिए मन और शरीर दोनों को अनुशासित होना चाहिए। कहते हैं गुरुद्वारे के आशीर्वाद के बिना गतका का असली एक्सपीरिएंस अधूरा रहता है।

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जुल्म से लड़ने के लिए हुई थी इसकी शुरुआत

गतका सिर्फ सेल्फ डिफेंस ही नहीं, बल्कि आपको दुनिया का सामना करना भी सिखाता है। महिला सशक्तिकरण (Women's Empowerment) में भी गतका काफी बड़ी भूमिका निभाता है। कहते हैं कि इस मार्शल आर्ट ने कई नाजुक लड़कियों को योद्धा या शूरवीर (Warrior) बनाया है।

गतका की शुरुआत भले ही अत्याचार या जुल्म (Oppression) से लड़ने के लिए हुई हो, लेकिन आज यह अपने अंदर के दानव (Demon) से लड़ने का प्रतीक है, जो हमेशा से शांति (Peace) और सशक्तिकरण के लिए संघर्ष करता रहा है। यह मार्शल आर्ट या स्पोर्ट्स युवाओं को दिमाग और शरीर की देखरेख करने के लिए प्रेरित (Inspire) कर रहा है और साथ ही पुरानी परंपरा (Custom) को भी आगे बढ़ा रहा है।

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