Musical Pillars of Hampi: भारत का ऐसा अनोखा मंदिर, जहां पत्थरों से भी निकलते हैं स्वर

दुनियाभर में ऐसे कई मंदिर हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आज हम बात करेंगे भारत के एक ऐसे अनोखा मंदिर के बारे में जहां पत्थर भी सुर में बोलते हैं। जी हां यहां मौजूद खंभों (Musical Pillars of Hampi) से सरगम के सातों सुर निकलते हैं। इस जगह के अनसुलझे रहस्य एक बार के लिए आपको भी चौंका कर रख देंगे। आइए जानें।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Publish:Mon, 17 Jun 2024 10:33 PM (IST) Updated:Mon, 17 Jun 2024 10:33 PM (IST)
Musical Pillars of Hampi: भारत का ऐसा अनोखा मंदिर, जहां पत्थरों से भी निकलते हैं स्वर
प्राचीन भारत की कला का शानदार नमूना है हम्पी का विट्ठल मंदिर (Image Source: X)

HighLights

  • हम्पी के विट्ठल मंदिर की भव्यता पहली नजर में ही किसी को भी अपना दीवाना बना लेती है।
  • यहां मौजूद म्यूजिकल पिलर्स को देखने के लिए पर्यटक दुनियाभर से बड़ी संख्या में आते हैं।
  • इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में देव राय द्वितीय के शासन काल में किया गया था।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Musical Pillars of Hampi: कर्नाटक के हम्पी में मौजूद हैं, पत्थरों से बने मैजिकल और म्यूजिकल पिलर्स। तुंगभद्रा नदी के तट पर बसा, कई हजार एकड़ में फैला, मंदिरों और स्मारकों से भरा एक विशाल परिसर। इन पिलर्स में ऐसे ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो संगीत बनाने की काबिलियत रखते हैं।

दुनियाभर में मशहूर हैं ये म्यूजिकल पिलर्स

हम्पी का विट्ठल मंदिर कला का शानदार नमूना है, जिसे पूरी तरह से परफोरेटेड लोकल ग्रेनाइट से बनाया गया है। आज भी ऐसे कई पिलर्स हैं, जिनमें कई प्रॉपर्टीज हैं, और इनकी यही खूबी इन्हें म्यूजिकल पिलर्स बनाती हैं। ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर बने इन 56 पिलर्स में कई कॉलम हैं। कुछ में तो मूर्तियां भी बनी हुई हैं।

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15वीं शताब्दी में हुआ था मंदिर का निर्माण

हम्पी के इन पत्थरों में अनोखे Crystalline Structure वाले मिनरल्स हैं, जैसे- ऑर्थोक्लेज। हम्पी की इस खूबी की वजह और कुछ नहीं, बल्कि इन कॉलम के व्यास और लंबाई का अनुपात ही है, जिससे इन्हें बजाने पर आवाज और बेहतर सुनाई देती है। बता दें, इन पिलर्स को 15वीं शताब्दी में देव राय द्वितीय (Deva Raya II) के शासन काल में बनाया गया था। कहते हैं यहां के देवता विट्ठल को भेंट अर्पण करते हुए, इन्हीं खंभों के संगीत पर नृत्य किया जाता था। गौरतलब है कि भगवान विष्णु को ही यहां विट्ठल के रूप में पूजा जाता है।

प्राचीन भारत की कला का शानदार नमूना

इस जगह को देखकर आप भी यह कहने पर मजबूर हो जाएंगे कि प्राचीन भारत के कारीगरों का कोई जवाब नहीं है! यहां उन्होंने न सिर्फ इन बेहद खास पत्थरों की खूबी को पहचाना, बल्कि रंग मंडप को बनाते वक्त ऐसे पत्थरों को चुना, जिनसे बेहतरीन संगीत निकलता है।

बता दें, लिथोपोन (Lithopone) नामक यह पत्थर दुनियाभर में और भी हैं, जैसे- अफ्रीका के रॉक गांग्स और वियतनाम के जाइलोफोन जैसे दिखने वाले इंस्ट्रूमेंट्स, लेकिन कहीं भी ऐसे म्यूजिकल पिलर्स आपको शायद ही मिलें। कहना गलत नहीं होगा कि संगीत भारत की मिट्टी में कुछ इस तरह से बसा है, कि यहां तो पत्थरों से भी स्वर निकलते हैं।

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