Maharashtra Politics: पंकजा को विधान परिषद की उम्मीदवारी, भाजपा ने इस वजह से दी बड़ी जिम्मेदारी

चार महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। भाजपा इन चुनावों में अपनी लोकसभा चुनाव की गलतियों को सुधारकर आगे बढ़ना चाहती है। संभवतः इसीलिए उसने पंकजा मुंडे को विधान परिषद का टिकट दिया है। इन चुनावों के परिणाम आने के बाद विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे मंत्रिमंडल का विस्तार भी होना है। पंकजा को मंत्री बनाकर भाजपा राज्य के ओबीसी समाज को सकारात्मक संदेश देना चाहती है।

By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya Publish:Mon, 01 Jul 2024 07:36 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 07:36 PM (IST)
Maharashtra Politics: पंकजा को विधान परिषद की उम्मीदवारी, भाजपा ने इस वजह से दी बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा ने पंकजा मुंडे को विधान परिषद चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। (File Photo)

HighLights

  • महाराष्ट्र में उच्च सदन के लिए 12 जुलाई को होगा चुनाव
  • पंकजा 6000 मतों के अंतर से हार गई थीं लोकसभा चुनाव
  • मराठवाड़ा में मराठा और ओबीसी के बीच आरक्षण पर टकराव

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। भाजपा नेत्री पंकजा मुंडे को भाजपा ने विधान परिषद चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। माना जा रहा है कि पंकजा को विधान परिषद में लाकर उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है। आज उनके अलावा भाजपा ने चार अन्य नेताओं सदाभाऊ खोत, परिणय फुके, अमित बोरखे एवं योगेश टिलेकर की उम्मीदवारी भी घोषित की है।

भाजपा पर फोड़ा था हार का ठीकरा

महाराष्ट्र में उच्च सदन की रिक्त हो रही 11 सीटों के लिए 12 जुलाई को चुनाव होने हैं। नामांकन की अंतिम तारीख दो जुलाई है। उससे एक दिन पहले पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पंकजा मुंडे की उम्मीदवारी घोषित कर उनके राजनीतिक पुनर्वास के संकेत दे दिए हैं। पंकजा पिछला विधानसभा चुनाव परली विधानसभा सीट से अपने ही चचेरे भाई एवं राकांपा उम्मीवार धनंजय मुंडे से हार गई थीं। तब से वह अपनी हार का ठीकरा भाजपा नेताओं, खासतौर से बिना नाम लिए देवेंद्र फडणवीस पर फोड़ती आ रही थीं।

हताश कार्यकर्ता कर चुके आत्महत्या

हाल के लोकसभा चुनाव में जब उन्हें बीड लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया, तो माना गया कि पार्टी उन्हें केंद्र की राजनीति में बुलाकर फडणवीस से उनका टकराव टालना चाहती है। लेकिन दुर्भाग्य से वह लोकसभा चुनाव भी करीब 6000 मतों के अंतर से हार गईं। उसके बाद से उनके समर्थकों में निराशा थी। उनकी हार से हताश चार कार्यकर्ता तो आत्महत्या भी कर चुके हैं।

मराठा समाज की नाराजगी

उनकी हार को मराठवाड़ा में मराठा एवं ओबीसी के बीच आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे टकराव का परिणाम भी माना गया। पिछले लोकसभा चुनाव में आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा को मराठा समाज की नाराजगी का सामना करना पड़ा, और अपने पुराने वोटबैंक ओबीसी को वह यह समझाने में नाकाम रही कि उनके कोटे के आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

महाराष्ट्र में वोटबैंक तैयार

पंकजा के पिता स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे न सिर्फ महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता थे, बल्कि वह महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज का भी एक प्रमुख चेहरा थे। वंजारी समाज से आनेवाले मुंडे भाजपा के ‘माधव’ समीकरण की महत्त्वपूर्ण कड़ी थे। 1980 में मुंबई में ही भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही महाराष्ट्र भाजपा ने माली, धनगर एवं वंजारी (माधव) आदि जातियों को साथ लेकर एक ऐसा वोटबैंक तैयार किया था, जो कांग्रेस के मजबूत मराठा वोटबैंक की टक्कर ले सकता था। लेकिन हाल के लोकसभा चुनाव में उसका यही समीकरण ध्वस्त होता दिखा। अब भाजपा उसी समीकरण को फिर से संभालने में जुट गई है।

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