एफडीआइ से नहीं चल सकती बुलेट ट्रेन, फ्रांस ने दिया झटका
बुलेट ट्रेन के लिए एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और निजी निवेश की तलाश में जुटी मोदी सरकार को फ्रांस ने बड़ा झटका दिया है। मुंबई-अहमदाबाद ट्रेन रूट पर किए गए संभाव्यता अध्ययन में फ्रांस ने इस पर बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सरकार को एफडीआइ या पीपीपी के फेर में पड़ने के बजाय खुद पैसा लगाने को कहा
नई दिल्ली (संजय सिंह)। बुलेट ट्रेन के लिए एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और निजी निवेश की तलाश में जुटी मोदी सरकार को फ्रांस ने बड़ा झटका दिया है। मुंबई-अहमदाबाद ट्रेन रूट पर किए गए संभाव्यता अध्ययन में फ्रांस ने इस पर बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सरकार को एफडीआइ या पीपीपी के फेर में पड़ने के बजाय खुद पैसा लगाने को कहा है।
पिछले हफ्ते रेल मंत्रालय को सौंपी अध्ययन रिपोर्ट में फ्रांस ने कहा है कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाईस्पीड ट्रेन चलाने पर 60,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा लागत आएगी। कोई भी निजी या अंतरराष्ट्रीय कंपनी अपने बूते इतना पैसा नहीं लगा सकती। इसकी वजह यह है कि विश्व में कहीं भी निजी निवेश या पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल पर हाईस्पीड परियोजनाओं का विकास नहीं हुआ है। सरकारों ने ही इनमें पैसा लगाया है, जबकि निजी कंपनियों को ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई है। लिहाजा, यदि भारत सरकार अपनी पहली बुलेट ट्रेन परियोजना को कामयाब होते देखना चाहती है तो उसे न केवल खुद पैसे लगाने होंगे, बल्कि निजी ऑपरेटर का चुनाव भी जल्द करना होगा।
दरअसल, फ्रांस को इसकी चिंता है कि कहीं यह परियोजना जापान के हाथ न चली जाए। इस परियोजना पर जापान भी अध्ययन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यात्रा के दौरान जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे की ओर से भारत में बड़े निवेश का एलान किया जा चुका है।
फ्रांस ने परियोजना की कामयाबी के लिए उच्च घनत्व यातायात को आवश्यक बताया है। इसके लिए सालाना कम से कम दो करोड़ यात्री चाहिए। महज धनी या आभिजात्य यात्रियों के बूते यह संभव नहीं। लिहाजा बड़े पैमाने पर मध्य व निम्न मध्य वर्ग के यात्रियों के लिए भी बुलेट ट्रेन में जगह बनानी होगी और इन दोनों वर्गो के माफिक किराया श्रेणियों वाली अलग-अलग तरह की ट्रेनें चलानी होंगी। रिपोर्ट में प्रीमियम बुलेट ट्रेन में बिजनेस व इकोनॉमी क्लास के साथ क्रमश: 3,500 रुपये और 1,900 रुपये, जबकि सामान्य बुलेट ट्रेन के लिए एक समान 700 रुपये का किराया रखे जाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही ज्यादा यात्रियों को आकर्षित करने के लिए हाईस्पीड लाइनों को सेमी हाईस्पीड लाइनों के साथ संबद्ध करने की सलाह भी दी गई है।
रिपोर्ट में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए दक्ष मानव संसाधन की जरूरत भी बताई गई है। इसके लिए अलग से कॉरपोरेशन बनाने का सुझाव दिया गया है। मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन चलाने की संभावना तलाशने के लिए संप्रग सरकार ने 2012-13 में जापान के अलावा फ्रांस सरकार के साथ भी करार किया था। जापान की पहली अंतरिम रिपोर्ट जुलाई में आ चुकी है। दूसरी अंतरिम रिपोर्ट नवंबर में आनी है। जापान अपनी अंतिम रिपोर्ट अगले साल जुलाई में देगा।
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