चीन की जर्मनी में होने वाली धमाकेदार एंट्री, ग्रीस के बाद अब बर्लिन पर कस रहा है ड्रैगन का शिकंजा
एक तरफ जहांं अमेरिका चीन को बांधने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी तरफ चीन का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यूरोप में ग्रीस के बाद अब चीन जर्मनी में भी लंबी छलांग लगाने वाला है।
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नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। एक तरफ जहां अमेरिका चीन को सीमाओं में बांधने की कवायद कर रहा है वहीं दूसरी तरफ चीन लगातार अपने पांव फैलाता जा रहा है। एशिया से भी बाहर अ सने यूरोप में एक बड़ा हाथ मारा है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए देश के सबसे बड़े बंदरगाह हैम्बर्ग के एक टर्मिनल की कुछ हिस्सेदारी चीन को बेचने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद चीन की सरकारी कंपनी कास्को को ये हिस्सेदारी बेची जाएगी।
जर्मनी से पहले ग्रीस के पोर्ट पर चीन का कब्जा
यूरोप में केवल जर्मनी ही चीन की तरफ नरम नहीं पड़ा है बल्कि इससे पहले ग्रीस ने भी ऐसा ही कदम उठाते हुए देश के अहम परेयस पोर्ट की दो तिहाई हिस्सेदारी कॉस्को को बेच दी थी। ये सौदा वर्ष 2016 में तब किया गया था जब ग्रीस की आर्थिक हालत बेहद पतली थी और उसको कर्ज उतारने के लिए पैसों की जरूरत थी। आपको बता दें कि ग्रीस ने अपने लगभग सारे अहम बंदरगाह विदेशी कंपनियों को बेच दिए हैं। आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए ग्रीस ने अपनी नीतियों में कई तरह का बदलाव करते हुए ये फैसला लिया था।
यूरोपीय देशों की पसंद बना है चीन
ग्रीस को अपने यहां पर चीन के कदम रखने से कोई आपत्ति भी नहीं है। भले ही पश्चिमी देश चीन के बढ़ते कदमों को एक खतरे के रूप में देखते हैं लेकिन अपने फायदे के लिए यूरोपीय देश चीन को अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं। इसकी एक बानगी ग्रीस के पीएम के उन बयानों में भी मिलती है जिसमें उन्होंने कहा था कि ये एक फायदेमंद सौदा रहा है। चीन ने भी इस सौदे को एक मिसाल के रूप पेश किया था। आपको बता दें कि चीन लगातार विभिन्न देशों में बंदरगाहों को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया में काफी गंभीर दिखाई दे रहा है। इसका एक मकसद केवल व्यापार ही नहीं है बल्कि वो इन बंदरगाहों के जरिए अपनी रणनीतिक स्थिति को भी विश्व में मजबूत करना चाहता है। यही वजह है कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग समुद्री लिंक को सबसे अधिक तवज्जो दे रहे हैं।
ग्रीस में चीन का निवेश
ग्रीस के परेयस पोर्ट की ही बात करें तो चीन ने इसका आधुनिकीकरण किया है। मौजूदा समय में ये पूर्वी भूमध्यसागर का सबसे बड़ा और यूरोप का 7वां बड़ा बंदरगाह है। हालांकि चीन की कंपनी कास्को वहां के श्रम कानून के दायरे में रहते हुए ही काम करने को बाध्य है। ग्रीस को भी पोर्ट के निरीक्षण का अधिकार है। इस पोर्ट के अधिग्रहण के बाद ग्रीस में चीन के सामान की आवक काफी बढ़ गई है। इसका एक अर्थ ये भी है कि चीन अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में फैलाने के लिए बंदरगाहों की तरफ कदम बढ़ा रहा है। चीन के हाथों में परेयस पोर्ट आने का असर दूसरे बंदरगाहों पर भी पड़ रहा है। कई जगहों पर नौकरियों में गिरावट और राजस्व में कमी भी देखी गई है। जानकारों की राय में ग्रीस और दूसरी जगहों पर किए गए चीन के निवेश में काफी अंतर है। बता दें कि चीन के पास मौजूदा समय में ग्रीस परेयस पोर्ट के करीब 67 फीसद शेयर हैं। इस तरह से चीन का इस पोर्ट पर एकाधिकार है।
ग्रीस की आर्थिक हालत बेहद खराब
ग्रीस को लेकर जानकारों की राय है कि वो 2007 के आर्थिक मंदी के बाद दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया था, जिसके चलते इस पोर्ट का कंटेनर टर्मिनल उसने 2009 में चीन को बेच दिया था। 2010 में भी चीन अंतरराष्ट्रीय कर्ज के नीचे दब गया था। इसके बाद उसने फिर वही कदम उठाए जो पहले उठाए थे, जिसके चलते इस पोर्ट में चीन की हिस्सेदार बढ़ गई। मौजूदा समय में ग्रीस के 14 एयरपोर्ट जर्मनी के हाथों में हैं।
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