आधे घंटे में मिला 90,000 रुपये से भरा खोया बैग

नब्बे हजार रुपये कैश, चार डेबिट कार्ड और एक चेक बुक से भरा बैग, अगर एक बार खो जाए तो हम उसके पाने की उम्मीद ही छोड़ देते हैं। पर गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) की मुस्तैदी की वजह से केवल तीस मिनट के अंदर एक ऐसा ही बैग बरामद कर लिया गया।

By Edited By: Publish:Mon, 11 Nov 2013 05:04 PM (IST) Updated:Mon, 11 Nov 2013 07:29 PM (IST)
आधे घंटे में मिला 90,000 रुपये से भरा खोया बैग

मुंबई। नब्बे हजार रुपये कैश, चार डेबिट कार्ड और एक चेक बुक से भरा बैग, अगर एक बार खो जाए तो हम उसके पाने की उम्मीद ही छोड़ देते हैं। पर गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) की मुस्तैदी की वजह से केवल तीस मिनट के अंदर एक ऐसा ही बैग बरामद कर लिया गया।

पुलिस के अनुसार एक अकाउंटेंट रूपेश कुमार धवले, भांडुप स्थित बैंक से अपने सहकर्मियों को देने के लिए सैलरी की रकम निकालकर अपने घर कोल्सेवाड़ी, कल्याण (ईस्ट) को जा रहा था। जब वह शनिवार रात 10 डोम्बीवली पहुंचा तो उसे पता चला कि उसका कैश से भरा बैग गायब है।

धवले ने कहा कि जब मैं भांडुप से ट्रेन में चढ़ा तो मुझे बैठने के लिए सीट नहीं मिली। बाद में मुझे खिड़की के पास वाली सीट मिली जहां बैठकर मैं बाहर देख रहा था। कुछ देर बाद मुझे आभास हुआ कि सर के ऊपर रैक पर रखा मेरा बैग वहां नहीं है। फिर मैंने जीआरपी कंट्रोल रूम के नंबर पर फोन कर अपने 90,000 रुपये कैश से भरे काले लैपटॉप बैग के चोरी होने की सूचना जीआरपी को दी।

खबर मिलते ही जीआरपी हरकत में आ गई। जीआरपी कल्याण के पुलिस कांस्टेबल अनिल जगदाणे बताते हैं कि सूचना मिलने पर मैं और मेरा साथी नाना कसाबे तुरंत कल्याण रेलवे स्टेशन गए और प्लेटफार्म नं. 1 पर पहुंचे। हमने देखा कि यात्री ट्रेन से बाहर निकल रहे थे और पूरी ट्रेन लगभग खाली हो गई थी। हमने देखा कि आखिरी यात्री ट्रेन से उतर रहा था जिसके हाथ में काला लैपटॉप का बैग था। उसने तुरंत वो बैग हमें सौंप कर कहा कि इसे किसी ने छोड़ दिया था।

जगदाणे और कसाबे ने फिर जीआरपी कंट्रोल रूम को फोन करके बैग मिलने की सूचना दी और बाद में धवले से मिलकर उन्हें बैग लौटा दिया।

धवले कहते हैं कि जीआरपी के इतने जल्दी बैग खोज लेने से मैं बहुत अचरज में पड़ गया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि पुलिस विभाग इतनी सहायक होगी और इतनी जल्दी कार्यवाही करेगी। मैंने पुलिस से ज्यादा मदद की उम्मीद नहीं की थी। ये पैसा मेरी कंपनी का है और मेरे सहकर्मियों की सैलरी के लिए है।

मैंने भी आज तक कई लोगों की चीजें लौटाई हैं। पिछले साल मैंने 0.5 तोला सोना और दो लैपटॉप बैग लौटाए थे। किसी को दूसरे इंसान की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए, धवले ने कहा। (मिड डे)

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