धार्मिक स्वतंत्रता पर ज्ञान दे रहे अमेरिका को भारत ने फिर लगाई फटकार, कहा- पुरानी घटनाओं के माध्यम से गढ़ा गया नैरेटिव

भारत ने अमेरिका के विदेश मंत्राय द्वारा जारी उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत बढ़ने की बात कही गई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस रिपोर्ट में बहुत पक्षपात है और भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है। रणधीर जायसवाल ने कहा कि एक खास तरह की नैरेटिव गढ़ने के लिए इस रिपोर्ट में चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है।

By AgencyEdited By: Sonu Gupta Publish:Fri, 28 Jun 2024 05:39 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 05:45 PM (IST)
धार्मिक स्वतंत्रता पर ज्ञान दे रहे अमेरिका को भारत ने फिर लगाई फटकार, कहा- पुरानी घटनाओं के माध्यम से गढ़ा गया नैरेटिव
धार्मिक आजादी पर अमेरिकी रिपोर्ट वोट-बैंक राजनीति से प्रेरित: भारत

HighLights

  • वोट बैंक के विचारों से प्रेरित है रिपोर्टः विदेश मंत्रालय
  • रिपोर्ट में है भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव - रणधीर जायसवाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में धार्मिक आजादी पर सवाल उठाने वाले और अल्पसंख्यकों की स्थिति को खराब बताने वाली अमेरिकी रिपोर्ट को भारत सरकार ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से एक दिन पहले जारी इस रिपोर्ट को भारतीय विदेश मंत्रालय ने काफी ज्यादा पूर्वाग्रही और वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित बताया है।

जानबूझकर कुछ घटनाओं का किया गया चयन

भारत ने यह भी कहा है कि अमेरिकी रिपोर्ट में जान बूझ कर कुछ घटनाओं का चयन किया गया है, जबकि भारतीय कानून के तहत इस तरह की घटनाओं के खिलाफ जो कदम उठाये गये हैं, उन्हें नजरअंदाज किया गया है। अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता पर यह सालाना रिपोर्ट जारी करता है जिसमें दुनिया के अधिकतम देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताता रहता है।

हाल के वर्षों में उसने कई बार भारत की स्थिति को भी चिंताजनक बताता रहा है जिसे भारत सरकार खारिज करती रही है।  इस रिपोर्ट के आधार पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत के खिलाफ विवादित बयान भी दिया था

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि जिस प्रक्रिया के तहत यह रिपोर्ट तैयार की जाती है वह अपने आप में ही आरोप लगाने वाला, तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने वाला, मनमाने तरीके से तथ्यों का चयन करने वाला, पक्षपाती स्रोतों पर भरोसा करने वाला और चीजों को एक दृष्टिकोण से देखने वाला है। यह भारतीय संविधान के प्रावधानों और काफी सोच समझ कर तैयार भारतीय कानूनों को भी गलत तरीके से चित्रित करता है।

#WATCH | On US State Department's 2023 religious freedom report on India, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "We have noted the release by the US State Department of its report on international religious Freedom for 2023. As in the past, the report is deeply biased, lacks an… pic.twitter.com/SvW6SUwft3— ANI (@ANI) June 28, 2024

यह रिपोर्ट भारतीय न्यायपालिका के कुल फैसलों की सत्यनिष्ठता को भी चुनौती देता है। इस रिपोर्ट ने भारत के उन कानूनों पर भी सवाल उठाया है जो वित्तीय अनिमियतताओं को रोकने के लिए बनाये गये हैं। यह सवाल उठाता है कि क्या इस तरह के कानूनों की जरूरत है जबकि इस तरह के ही कठोर कानून अमेरिका में भी है। अमेरिका को इन सुझावों को खुद पर लागू करना चाहिए।

भारत और अमेरिका के बीच लगातार मानव अधिकारों के मुद्दे पर चर्चा होती रही है। पिछले वर्ष 2023 में भी भारत ने अमेरिका के समक्ष वहां होने वाले नफरत आधारित अपराधों, भारतीय नागरिकों के खिलाफ होने वाले नस्लीय हमलों, वहां पूजास्थलों व धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने वाले घटनाओं के साथ ही दूसरे देशों में आतंकवाद और कट्टरवाद की बात करने वाले तत्वों को राजनीतिक स्थान देने की घटनाओं को उठाया था। लेकिन इस तरह की वार्ता का मतलब यह नहीं है कि हमने दूसरे देशों को अपने आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का लाइसेंस दे दिया है।-  रणधीर जायसवाल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

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