विदेशी नागरिकता पाने वाले देशों में अव्‍वल है भारत

अच्‍छी नौकरी, लाइफस्‍टाइल व पढ़ाई के लिए विदेशी नागरिकता पाने वाले देशों की लिस्‍ट में भारत सबसे आगे है।

By Monika minalEdited By: Publish:Fri, 30 Jun 2017 10:38 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jun 2017 10:38 AM (IST)
विदेशी नागरिकता पाने वाले देशों में अव्‍वल है भारत
विदेशी नागरिकता पाने वाले देशों में अव्‍वल है भारत

मुंबई (जेएनएन)। दुनिया में विदेशी नागरिकता पाने वाले देशों की सूची में भारत सबसे आगे है। यहां के नागरिकों ने सबसे अधिक विदेशी नागरिकता अपनाई है। 2015 में 1.30 लाख भारतीय मूल के लोगों ने OECD के सदस्य देशों की नागरिकता हासिल की। जिसमें अधिकतर वर्क वीजा पर विदेश गए लोग हैं। इसके बाद मेक्सिको (1.12 लाख), फिलीपींस (94,000) और चीन के (78,000) नागरिकों ने सबसे अधिक विदेशी नागरिकता अपनाई है।

पेरिस में गुरुवार को ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) द्वारा रिलीज इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक (2017) रिपोर्ट के निष्‍कर्ष में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 में 20 लाख नागरिकों ने OECD देशों की नागरिकता हासिल की। यह 2014 में 3 फीसद अधिक थी। OECD यूरोपीय देशों, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान समेत 35 देशों का ग्‍लोबल थिंक टैंक है। इससे पहले OECD रिपोर्ट में कहा गया था कि विश्व में 156 लाख के आंकड़े वाले भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक है।

OECD के महासचिव एंजेल गुर्रिया ने रिपोर्ट में कहा, 'प्रवासियों, उनके बच्चों और शरणार्थियों को शामिल करने में सुधार करना सभी के लिए समावेशी और संपन्न भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण है।' वहीं, OECD में नए प्रवासियों की सूची में चीन शीर्ष पर बना हुआ है। हालांकि, सीरिया में शुरू हुए शरणार्थी संकट के कारण प्रवासियों की संख्या में आई तेजी के कारण भारत इस सूची में खिसक कर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है।

2015 के दौरान अच्‍छी नौकरी या अच्‍छे लाइफस्‍टाइल के लिए माइग्रेशन हुआ जो आगे भी जारी रहेगा। OECD देशों में नए प्रवासियों की संख्या 2015 में 70.39 लाख रही है और इनमें से चीन का 7.8 प्रतिशत हिस्सा रहा है। 2013 में 10 में से सिर्फ एक ही प्रवासी चीनी होते थे। OECD देशों में भारतीयों के प्रवास में गिरावट आई है। 2013 में 4.4 थी जो 2015 में 3.9 हो गई है।

डाटा के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी वे देश हैं जहां भारतीय सबसे अधिक बसना पसंद करते हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स में सबसे अधिक संख्या चीनी और भारतीय नागरिकों की रहती है। OECD देशों में 50 प्रतिशत से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स एशियाई देशों से हैं।

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