थूकने की सफाई में रेलवे हर साल खर्च करता है अरबों रुपये, आधुनिक पीकदान रखेंगे स्टेशनों को चमाचम

कोरोना महामारी के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध के कड़े प्रविधानों के बावजूद यह बड़ी चुनौती बनी हुई है। इससे निपटने के लिए रेलवे 42 स्टेशनों पर रीयूजेबल और बायोडिग्रेडेबल स्पिटून (पीकदान) की वेंडिंग मशीनें या कियोस्क लगा रहा है ताकि स्टेशन चमाचम रहें।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 09:17 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 10:10 PM (IST)
थूकने की सफाई में रेलवे हर साल खर्च करता है अरबों रुपये, आधुनिक पीकदान रखेंगे स्टेशनों को चमाचम
रेलवे 42 स्टेशनों पर रीयूजेबल और बायोडिग्रेडेबल स्पिटून (पीकदान) की वेंडिंग मशीनें या कियोस्क लगा रहा है

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना महामारी के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध के कड़े प्रविधानों के बावजूद यह बड़ी चुनौती बनी हुई है। इससे निपटने के लिए रेलवे 42 स्टेशनों पर रीयूजेबल और बायोडिग्रेडेबल स्पिटून (पीकदान) की वेंडिंग मशीनें या कियोस्क लगा रहा है ताकि स्टेशन चमाचम रहें। इन पीकदान में बीज भी होंगे। लिहाजा इन्हें फेंकने पर इनमें मौजूद बीजों से पौधे उग सकेंगे और हरियाली बढ़ेगी। मालूम हो कि 'दैनिक जागरण' ने सबसे पहले 14 दिसंबर, 2020 को ही बता दिया था कि रेलवे इस तरह का कदम उठाने जा रहा है।

रेलवे अपने परिसरों को पान, गुटका और तंबाकू खाने वालों के थूकने से पड़े निशानों को साफ करने पर हर साल करीब 1,200 करोड़ रुपये और काफी पानी खर्च करता है। ऐसे यात्रियों को अपने परिसरों में थूकने से हतोत्साहित करने के लिए ही रेलवे ने यह पहल की है। इसके लिए रेलवे के पश्चिम, उत्तर और मध्य जोन ने नागपुर स्थित स्टार्टअप 'ईजीस्पिट' को कांट्रेक्ट दिया है और उसने काम शुरू भी कर दिया है। कंपनी ने नागपुर और औरंगाबाद नगर निगमों के साथ भी अनुबंध किया है।

पांच से 10 रुपये होगी कीमत

पीकदान में मैक्रोमोलेक्यूल पल्प टेक्नोलाजी और ऐसी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है जिससे लार में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस पीकदान में ही कैद होकर रह जाते हैं। साथ ही यह सामग्री थूक को सोखकर उसे ठोस रूप दे देती है। ये पीकदान पांच से 10 रुपये में उपलब्ध होंगे।

तीन साइज में होंगे उपलब्ध

इन पीकदान को बड़े आराम से जेब में रखा जा सकेगा। यात्री जहां व जब चाहें थूक सकेंगे, वहीं रेलवे परिसरों में थूकने के गंदे निशान भी नहीं बनेंगे। ये तीन साइज में उपलब्ध होंगे। पाकेट पाउच (10 से 15 बार इस्तेमाल कर सकने योग्य), मोबाइल कंटेनर (20 से 40 बार इस्तेमाल कर सकने योग्य) और स्पिट बिन।

अभी लगता है थूकने पर 500 रुपये जुर्माना

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इससे सभी यात्रियों खासकर बुजुर्गो को काफी सुविधा होगी। इसके अलावा यात्री रेलवे परिसरों में थूकने के प्रति हतोत्साहित होंगे। मालूम हो कि अभी रेलवे परिसर में थूकने पर 500 रुपये जुर्माने का प्रविधान है। 'ईजीस्पिट' की सह-संस्थापक ऋतु मल्होत्रा ने बताया कि इसे आप मिट्टी या कीचड़ कहीं भी फेंक सकते हैं, चूंकि यह बायोडिग्रेडेबल है तो इनमें मौजूद बीजों से पौधे उगने में मदद मिलेगी।

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