कामाख्या मंदिर कॉरिडोर पर कब शुरू होगा काम? सीएम हिमंत बिस्वा सरमा बोले- IIT गुवाहाटी को भेजा गया ब्लू प्रिंट

कामाख्या मंदिर कॉरिडोर पर काम जल्द ही शुरू किया जाएगा। यह बात असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कही है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके लिए आईआईटी गुवाहाटी की मंजूरी मिलने की देरी है। मालूम हो कि लार्सन एंड ट्यूब्रो कंपनी को कॉरिडोर परियोजना का कार्यभार सौंपा गया है। इस कंपनी ने आईआईटीजी की स्वीकृति के लिए अपनी निर्माण योजनाओं और उनका ब्लू प्रिंट भेज दिया है।

By AgencyEdited By: Sonu Gupta Publish:Fri, 28 Jun 2024 08:16 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 08:16 PM (IST)
कामाख्या मंदिर कॉरिडोर पर कब शुरू होगा काम? सीएम हिमंत बिस्वा सरमा बोले- IIT गुवाहाटी को भेजा गया ब्लू प्रिंट
कामाख्या कारिडोर का काम आईआईटीजी की मंजूरी के बाद ही होगा : हिमंता बिस्व सरमा। फाइल फोटो।

HighLights

  • लार्सन एंड ट्यूब्रो कंपनी को सौंपा गया है कारिडोर परियोजना का कार्यभार
  • आईआईटीजी की स्वीकृति के लिए भेजा गया है ब्लू प्रिंट

पीटीआई, गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि प्रस्तावित कामाख्या मंदिर कॉरिडोर पर काम आईआईटी गुवाहाटी की मंजूरी मिलने के बाद ही शुरू होगा। लार्सन एंड ट्यूब्रो कंपनी को कॉरिडोर परियोजना का कार्यभार सौंपा गया है। इस कंपनी ने आईआईटीजी की स्वीकृति के लिए अपनी निर्माण योजनाओं और उनका ब्लू प्रिंट भेज दिया है।

कब शुरू होगा काम?

मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को संवाददाताओं को यह जानकारी नीलांचल पर्वत पर कामाख्या मंदिर में अपनी पत्नी के साथ पूजा-अर्चना करने के बाद दी। उन्होंने बताया कि आइआइटी गुवाहाटी जल विज्ञान और भूविज्ञान संबंधी चिंताओं को दूर करने के बाद आईआईटीजी की मंजूरी मिलने पर ही कामकाज शुरू किया जाएगा। इस संबंध में आईआईटीजी को कोई समय सीमा नहीं दी गई है।

और कितना लगेगा समय?

हालांकि, इसे मंजूरी मिलने में तीन-चार महीने या उससे भी ज्यादा समय लग सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि पीडब्ल्यूडी को निर्माण कार्य में कोई परेशानी नहीं होगी बल्कि उसे केवल सड़कों की मरम्मत करना और चौड़ा करना है। इस मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।

मंदिर के पुजारियों ने इस मामले पर जताई है चिंता

उल्लेखनीय है कि मंदिर के कुछ पुजारियों ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रस्तावित विकास कार्य योजनाओं को लेकर चिंता जताई है। उनका आरोप है कि इस कार्ययोजना से अंदर-अंदर बहने वाले झरनों पर असर पड़ेगा और इनमें से एक झरना तो मंदिर के गर्भगृह तक जाता है। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई को करेगी। 

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