Indian Railways: सिग्नल तोड़ कर आगे बढ़ी शताब्दी एक्सप्रेस, लोको पायलट को किया गया निलंबित

तीन फरवरी को नई दिल्ली से भोपाल आ रही शताब्दी एक्सप्रेस को भोपाल स्टेशन से 500 मीटर दूर होम सिग्नल (प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से पहले वाला सिग्नल) लाल दिया था। यह ट्रेन को रोकने का संकेत था लेकिन ट्रेन वहां नहीं रुककर भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म एक तक आ गई।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2021 04:21 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2021 10:14 PM (IST)
Indian Railways: सिग्नल तोड़ कर आगे बढ़ी शताब्दी एक्सप्रेस, लोको पायलट को किया गया निलंबित
उस समय ट्रेन की गति 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

भोपाल, जेएनएन। शताब्दी एक्सप्रेस के सिग्नल तोड़कर आगे बढ़ने के मामले में लोको पायलट संजय खरे को निलंबित कर दिया गया है। घटना की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। इस मामले में लोको पायलट के साथ रेलवे के सिग्नलिंग और ऑपरेटिंग स्टाफ की लापरवाही भी सामने आ रही है। तीन फरवरी को नई दिल्ली से भोपाल आ रही शताब्दी एक्सप्रेस को भोपाल स्टेशन से 500 मीटर दूर होम सिग्नल (प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से पहले वाला सिग्नल) लाल दिया था। यह ट्रेन को रोकने का संकेत था, लेकिन ट्रेन वहां नहीं रुककर भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म एक तक आ गई। उस समय ट्रेन की गति 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इस प्लेटफॉर्म पर शताब्दी के प्रवेश करने से कुछ मिनट पहले तक गोरखपुर-एलटीटी स्पेशल एक्सप्रेस खड़ी थी। डीआरएम उदय बोरवणकर ने घटना की पुष्टि की है।

तीन स्तर पर लापरवाही

1. जब प्लेटफार्म-एक क्लियर नहीं था तो शताब्दी को होम सिग्नल तक आने की अनुमति नहीं देनी थी जो कि सिग्नल विभाग की तरफ से होम सिग्नल के पूर्व में पड़ने वाले सिग्नल को पीला करके दे दी गई थी।

2. जब होम सिग्नल लाल था तो लोको पायलट को ट्रेन बिल्कुल आगे नहीं बढ़ानी थी। लोको पायलट ने इसका ध्यान नहीं रखा और ट्रेन आगे बढ़ा दी।

3. दो स्तर पर हुई गलती के बावजूद जब ट्रेन लाल सिग्नल पार कर रही थी तो स्टेशन पर चौबीसों घंटे काम करने वाले ऑपरेटिंग स्टाफ को सक्रिय होकर ट्रेन कवाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

लाल सिग्नल पार करने पर नौकरी से हटाने के हैं नियम

रेलवे में ट्रेन के लाल सिग्नल पार करने की घटनाओं को एक तरह से हादसे की तरह ही लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लाल सिग्नल एकमात्र ऐसा निशान है, जिसके पहले हर हाल में ट्रेन को रोका जाना होता है। लाल सिग्नल इस बात का संकेत होता है कि सामने ट्रेन खड़ी है या फिर ट्रैक या पटरी टूटी है। यहां तक कि ट्रैकमैन भी सामने लाल झंडी दिखा दे तो ट्रेनों को रोकना पड़ता है। ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार रेलकर्मी, लोको पायलट को नौकरी से हटाने के नियम हैं।

पश्चिमी मध्य रेलवे जबलपुर जोन के मुख्य प्रवक्ता प्रियंका दीक्षित ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। अभी विस्तृत रिपोर्ट नहीं आई है। जिस भी स्तर पर गलती मिलेगी, रेलवे की तरफ से कार्रवाई की जाएगी।  

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