मां कामाख्या के परिसर का होगा कायाकल्प, काशी-उज्जैन के बाद बनेगा तीसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर; जानें क्या-कुछ होगा खास

मां कामाख्या मंदिर के अलावा नीलांचल पर्वत पर कई और मंदिर स्थित हैं। मां कामाख्या देवी मंदिर के साथ ही इन सभी मंदिरों का भी विकास होगा। इन मंदिरों में मातंगी कमला त्रिपुर सुंदरी काली तारा भुवनेश्वरी बगलामुखी छिन्नमस्ता भैरवी धूमावती देवियों और दशमहाविद्या के मंदिर शामिल हैं। मां कामाख्य मंदिर कॉरिडोर बनाने का उद्देश्य असम में पर्यटन को बढ़ावा देना है।

By Shalini Kumari Edited By: Shalini Kumari Publish:Sun, 25 Feb 2024 11:23 AM (IST) Updated:Sun, 25 Feb 2024 11:23 AM (IST)
मां कामाख्या के परिसर का होगा कायाकल्प, काशी-उज्जैन के बाद बनेगा तीसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर; जानें क्या-कुछ होगा खास
मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर जल्द बनकर होगा तैयार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Maa Kamakhya Devi Temple Corridor: देश के खूबसूरत काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकाल कॉरिडोर के बाद अब मां कामाख्या मंदिर की बारी है। असम के गुवाहाटी में स्थित 51 शक्तिपीठों में शामिल मां कामाख्या देवी मंदिर अब 'दिव्य लोक' बनने जा रहा है। दरअसल, इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने इस कॉरिडोर की आधारशिला रख दी है।

पिछले साल, राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मां कामाख्या कॉरिडोर कैसा दिखेगा इसकी एक झलक साझा की थी। मां कामाख्या दिव्य परियोजना को पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल (PM-DevINE) योजना के तहत मंजूरी दी गई है। इस कदम का उद्देश्य राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देना भी है।

वीडियो में दिखी कॉरिडोर की झलक

मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर देश का तीसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर बनने जा रहा है। काशी विश्वनाथ और उज्जैन महाकाल कॉरिडोर के बाद मां कामाख्या गलियारे का स्थान होगा। मां कामाख्या गलियारे की रूपरेखा बहुत पहले ही तैयार कर ली गई है, जिसकी पहली झलक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक वीडियो पोस्ट कर दिखाई थी।

জয় মা কামাখ্যা |

Sharing a glimpse of how the renovated Maa Kamakhya corridor will look like in the near future . #NewIndia pic.twitter.com/XP0swh2i3l

— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 18, 2023

बेहद खास होगा मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर

कॉरिडोर का शुरुआती डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर लिया गया है, जिसके मुताबिक 15वीं शताब्दी के मंदिर को 21 सदी के हिसाब से तैयार किया जाएगा। मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर को 498 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। कॉरिडोर के निर्माण के बाद मंदिर के चारों ओर ओपन स्पेस 3000 वर्ग फुट से बढ़कर लगभग 1 लाख वर्ग फुट हो जाएगा। गलियारे की औसत चौड़ाई भी 10 फीट से बढ़ाकर 30 फीट की जाएगी। भविष्य में इस कॉरिडोर के आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए 3 एकड़ जमीन भी रिजर्व रखी जाएगी। मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर में मुख्य मंदिर के साथ ही नीलांचल पर्वत पर स्थित कई और मंदिरों का भी विकास होगा। मंदिर परिसर के अंदर वर्तमान में लगभग 4,000 श्रद्धालुओं की जगह है, लेकिन विकास कार्य के बाद लगभग 8,000-10,000 तीर्थयात्री एक साथ दर्शन कर सकेंगे। गर्भगृह में भी दर्शन को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा, जिसमें कुछ भक्त 'दर्शन' करेंगे और जो पूजा करना चाहते हैं, वह 'स्पर्शन' करेंगे।

श्रद्धालुओं के लिए कई रास्ते बनाए जाएंगे, ताकि अचानक भीड़ न बढ़े और भक्त आराम से दर्शन कर सकें। गर्मियों के दौरान श्रद्धालुओं के लिए ढकी हुई छत वाले रास्ते होंगे और वीआईपी पाथवे भी बनाया जाएगा। मुख्य प्रवेश द्वार पर और सड़क के दोनों किनारों पर पौधरोपण किया जाएगा। कॉरिडोर में मंदिर के विकास के साथ ही तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, अतिथि गृह, सार्वजनिक सुविधाएं, चिकित्सा केंद्र, बैंक और फूड स्टॉल जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। नीलांचल पर्वत के आधार से मंदिर परिसर तक के मूल मार्ग को अब आगंतुकों के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में फिर से तैयार किया जाएगा। नीलांचल पहाड़ी के आधार से कामाख्या मंदिर परिसर तक रोपवे के निर्माण की भी प्लानिंग की गई है। कामाख्या मंदिर परिसर के पास एक हेलीपैड के निर्माण से आगंतुकों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से मंदिर तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

कई मंदिरों को मिलाकर बनेगा कॉरिडोर

मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर में कई मंदिरों का विकास किया जाएगा। इन मंदिरों में मातंगी, कमला, त्रिपुर सुंदरी, काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती देवियों और दशमहाविद्या के मंदिर शामिल है। इनके साथ ही, पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग मंदिर हैं, जिन्हें संवारा जाएगा। इन सभी मंदिरों को मिलाकर एक कॉरिडोर बनाया जाएगा।

51 शक्तिपीठों में मां कामाख्या का मंदिर शामिल

देश के कई हिस्सों में कुल 51 शक्तिपीठ स्थापित हैं, उनमें से एक मां कामाख्या के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर असम के गुवाहाटी में नीलांचल पर्वत पर बना है, जिसमें विराजी मां कामाख्या को कामेश्वरी या इच्छा की देवी भी कहा जाता है। मां कामाख्या मंदिर तांत्रिक प्रथाओं का सबसे पुराना और सबसे प्रतिष्ठित केंद्र भी माना जाता है।

मां की योनी रूप में होती है पूजा

मां कामाख्या को दिव्य स्त्री शक्ति और प्रजनन क्षमता के अवतार के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस मंदिर की पहचान रजस्वला माता की वजह से है, जहां माता की पूजा योनी रूप में होती है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर के करीब से बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी हर वर्ष आषाढ़ महीने में लाल हो जाती है। कहा जाता है कि माता के रजस्वला होने की वजह से नदी का पानी लाल हो जाता है।

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