विभाजन का दंश झेलने वालों को मोदी सरकार ने दी नागरिकता, अब जी रहे सम्मानजनक जीवन; CAA पर राष्ट्रपति मुर्मु का बड़ा बयान

Parliament Session 2024 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज अपने अभिभाषण में कई अहम मुद्दे उठाए। जिसमें NEET पेपर लीक आपातकाल और नागरिकता भी शामिल रहा। मुर्मु ने कहा कि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत उन्हें भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करके विभाजन के कारण पीड़ित कई परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवन प्रदान किया है। मुर्मु ने कहा दिल्ली में 14 लोगों को जारी किया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Versha Singh Publish:Thu, 27 Jun 2024 02:31 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jun 2024 02:31 PM (IST)
विभाजन का दंश झेलने वालों को मोदी सरकार ने दी नागरिकता, अब जी रहे सम्मानजनक जीवन; CAA पर राष्ट्रपति मुर्मु का बड़ा बयान
द्रौपदी मुर्मु ने अपने अभिभाषण में किया CAA का जिक्र (फोटो- ANI)

HighLights

  • CAA को लेकर मुर्मु का बयान
  • शरणार्थियों को नागरिकता देना हुई शुरू
  • 15 मई को दिल्ली में 14 लोगों को जारी किया नागरिकता प्रमाण पत्र

पीटीआई, नई दिल्ली। Parliament Session 2024: NDA की सरकार बनने के बाद आज पहली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संसद में अपना अभिभाषण दिया। इस दौरान मुर्मु ने कहा कि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत उन्हें भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करके विभाजन के कारण पीड़ित कई परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित किया है।

सरकार दे रही शरणार्थियों को नागरिकता- राष्ट्रपति मुर्मु

18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मुर्मू ने विवादास्पद सीएए का उल्लेख किया और कहा कि मोदी सरकार ने इस अधिनियम के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा, नागरिकता ने विभाजन के कारण पीड़ित कई परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित किया है। मैं उन परिवारों के बेहतर भविष्य की कामना करती हूं जिन्हें CAA के तहत नागरिकता दी गई है।

14 लोगों को दी गई नागरिकता- राष्ट्रपति मुर्मु

सीएए के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र का पहला सेट 15 मई को दिल्ली में 14 लोगों को जारी किया गया था। इसके बाद, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड और भारत के अन्य हिस्सों में नागरिकता प्रदान की।

CAA को दिसंबर 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से उत्पीड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए अधिनियमित किया गया था, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।

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