बम की धमकी के पैटर्न में दिख रही आईएसआई की झलक, संप्रभुता,अखंडता और सुरक्षा पर हमला करने की नापाक कोशिश

खुफिया एजेंसियों ने खंगाले गए सुबूतों से ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल करने वाले की पहचान की है। यह पाकिस्तान के फैसलाबाद में एक सैन्य छावनी से संबंधित है जिससे संभावित रूप से बाहरी समर्थन भी मिला है। रूसी खुफिया विभाग द्वारा अनौपचारिक रूप से इस मामले में जानकारी साझा की गई है। जांच एजेंसियों के हाथ कुछ पुख्ता सबूत लगे हैं

By Anurag Mishra Edited By: Anurag Mishra
Updated: Thu, 16 May 2024 10:13 PM (IST)
बम की धमकी के पैटर्न में दिख रही आईएसआई की झलक, संप्रभुता,अखंडता और सुरक्षा पर हमला करने की नापाक कोशिश
चीन और पाकिस्तान की आईएसआई ने दहशत का माहौल बनाने के लिए एक नापाक और नाकाम कोशिश की है।

 नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी

दिल्ली-एनसीआर में एक मई को अचानक हड़बड़ी मच गई, जब 200 स्कूलों को उनके परिसर में बम होने की चेतावनी देने वाला एक ईमेल मिला , जिससे पूरे शहर में दहशत फैल गई। कुछ दिन बाद अस्पतालों में भी अलग-अलग दिनों में बम होने का धमकी वाला मेल आया जो कोरी अफवाह निकला। ऐसा सिर्फ दिल्ली में ही नहीं हुआ बल्कि बेंगलुरू के अस्पताल को भी बम से उड़ाने की धमकी मिली। इसके अलावा ऐसे ही धमकी भरे ई-मेल अहमदाबाद, जयपुर में भी मिले। कानपुर में भी सात स्कूलों को बम से उड़ाने का धमकी भरा ई-मेल मिला। सुरक्षा एजेंसियों की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि संभावित तौर पर चीन और पाकिस्तान की आईएसआई ने दहशत का माहौल बनाने के लिए एक नापाक और नाकाम कोशिश की है।

जांच के बाद यह सामने आया कि धमकी भरे ईमेल साइप्रस स्थित मेलिंग सेवा, beeble.com से भेजे गए थे। अधिकारी सक्रिय रूप से सुरागों की तलाश कर रहे हैं। पुलिस ने निकोसिया में सिकेंको टेक्नोलॉजी को भी यूजर की जानकारी देने के लिए पत्र लिखा है। खुफिया एजेंसियों बीती घटनाओं से भी इस मामले के तार जोड़ रही है। जहां पर विभिन्न शहरों में स्कूलों को इसी तरह की धमकियों से निशाना बनाया गया था, जो कथित तौर पर पाकिस्तान से सक्रिय आतंकियों द्वारा दी गई थी।

चीन और पाकिस्तान कनेक्शन

खुफिया एजेंसियों ने खंगाले गए सुबूतों से ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल करने वाले की पहचान की है। यह पाकिस्तान के फैसलाबाद में एक सैन्य छावनी से संबंधित है, जिससे संभावित रूप से बाहरी समर्थन भी मिला है। रूसी खुफिया विभाग द्वारा अनौपचारिक रूप से इस मामले में जानकारी साझा की गई है। जांच एजेंसियों के हाथ कुछ पुख्ता सबूत लगे हैं, अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग की है, जिसमें इंटरपोल के जरिए रूस से अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही लेटर्स रोगेटरी (लेटर रोगेटरी या अनुरोध पत्र किसी अदालत से किसी विदेशी अदालत को किसी प्रकार की न्यायिक सहायता के लिए किया जाने वाला औपचारिक अनुरोध है) भेजने की तैयारी की गई है , जिसका उद्देश्य इन धमकी भरे ईमेल की उत्पत्ति का पता लगाने में सहायता जुटाना है।

अहमदाबाद अपराध शाखा के जेसीपी शरद सिंघल के मुताबिक प्रारंभिक तौर पर धमकियों का पाकिस्तानी कनेक्शन लगता है। धमकी में अहमदाबाद, गुजरात में कम से कम 14 स्कूलों को निशाना बनाया था। जांच में शुरू में ईमेल की उत्पत्ति का पता रूसी डोमेन से लगाया गया। ये ई-मेल विशेष रूप से ईमेल एड्रेस "tauheedl@mail.ru" से किए गए थे। हालांकि, आगे की जांच में पाकिस्तान में एक सैन्य छावनी से लिंक का पता चला। ईमेल एक व्यक्ति तोहिक लियाकत के पास पाए गए, जो अहमद जावेद के नाम से काम कर रहा था। जेसीपी सिंघल ने आगे कहा कि एक अन्य एजेंसी द्वारा की गई जांच में यह भी पाया गया कि उक्त व्यक्ति 'नकली गतिविधियों' में शामिल था

ईमेल भेजने वाले को ढूंढने के लिए सिर्फ टेक्नोलॉजी का ही इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, बल्कि ईमेल के पैटर्न पर भी गौर किया जा रहा है। ईमेल में बेतरतीब तरीके से चुनिंदा इस्लामिक धार्मिक आयतें लिखी हैं। साथ ही भेजने वाले का नाम "सावारिम" भी एक ऐसे इस्लामिक गीत (नशीद) से लिया गया लगता है जिसे ISI ने बनाया था। इस गाने में खून-खराबा और युद्ध की बात होती है, जो इस ईमेल से मिलती-जुलती है।

ले. कर्नल सोढ़ी के अनुसार, “चीन जो भी करना चाहता है, उसका वह सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर इजहार कर देता है। हांगकांग से प्रकाशित होने वाले चीन सरकार के एक अखबार में 8 जुलाई 2013 को एक लेख प्रकाशित हुआ था। उसमें अगले 50 वर्षों में चीन के संभावित युद्धों का जिक्र था। उसमें यह भी कहा गया था कि 2035 में पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर और चीन अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने के लिए भारत पर हमला करेगा।” इसी साल 3 फरवरी को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम जे बर्न्स ने कहा था कि चीन 2027 में ताइवान पर कब्जा करने के लिए हमला कर सकता है और उसकी वजह से चीन और अमेरिका के बीच युद्ध हो सकता है।

पिछले काफी समय में देश में शांति का माहौल है। कश्मीर में भी सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों पर काफी लगाम लगाई है। ऐसे में देश के अंतर और बाहर पूर्व लेफ्टिनेंट जर्नल मोहन भंडारी कहते हैं कि मौजूद आईएसआई के एजेंट हर संभव प्रयास करेंगे की देश में अशांति का माहौल हो। इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि चीन इस तरह की अफवाहें फैलाने में पाकिस्तान की मदद कर रहा हो। एक तरफ इस तरह की कॉल चीन और पाकिस्तान की आतंकी साजिश का हिस्सा हो सकती हैं वहीं दूसरी तरफ इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि देश में चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा हो।

रूस से भेजे गए ई-मेल

पुलिस ने धमकी भरे ईमेल की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश की और पाया कि उन्हें एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का उपयोग करके भेजा गया था जो विदेशी सर्वर के माध्यम से डेटा को रूट और रीरूट करता था। पुलिस वीपीएन ट्रैफ़िक का पता लगाने के बाद इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एड्रेस को पता करने में भी कामयाब रही। माना जा रहा है कि ये ईमेल रूस से भेजे गए थे और इनका उद्देश्य दहशत पैदा करना था।

संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को तोड़ने की साजिश

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि पिछले दिनों दिल्ली- एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में बम की अफवाह फैला कर दहशत पैदा करने की कोशिश की गई है। इसे बेहद गंभीरता से लेना चाहिए। ई-मेल भेज कर किए जा रहे इस तरह के प्रयास को हमें साइबर टैरर के तौर पर देखना चाहिए। इस तरह बम की अफवाह फैला का देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। वहीं इस समय देश में चुनाव का माहौल है। ऐसे में ये घटना और भी गंभीर हो जाती है। स्कूलों में बम की अफवाह पैदा करना दिखाता है कि साजिश करने वाले पूरे समाज में डर का माहौल पैदा करना चाहते हैं। इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। वहीं पकड़े जाने वालों के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा धारा 66 एफ के तहत धारा दर्ज करना चाहिए।

पूर्व लेफ्टिनेंट जर्नल मोहन भंडारी कहते हैं कि देश की सुरक्षा एजेंसियों को एयरपोर्ट पर या किसी सार्वजनिक जगह पर बम की कॉल अक्सर मिलती है। कई बार ये हेरेसमेंट कॉल होती है जिसमें कोई असामाजिक तत्व सिर्फ पुलिस को या एजेंसियों को परेशान कर मजा लेना चाहता है। लेकिन स्कूलों और अस्पतालों में बम की अफवाह फैलाना बेहद गंभीर है। प्रोटोकॉल के तहत इस तरह की किसी भी सूचना मिलने पर सुरक्षा एजेंसियां जगह की पूरी तरह से जांच करती है।

भारत को कमजोर करने के लिए बनाई डॉक्टरिन

लेफ्टिनेंट कर्नल रिटायर्ड जी.एस.सोढ़ी कहते हैं कि ये परंपरागत युद्ध नहीं होता है, न ही शांति होती है। इसे आप एक तरह से प्रॉक्सी वार कह सकते हैं। पाकिस्तान और चीन भारत के खिलाफ ऐसे वार करता रहता है। पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक डॉक्टरिन लेकर आया था कि ब्लीड इंडिया इन टू वन थाउंजेड कट्स। इसके तहत मिसइनफॉर्मेशन और दुष्प्रचार को बढ़ावा दिया जाता है। पंजाब में आतंकी गतिविधियों को जब बढ़ावा दिया गया था तब यही मकसद था। सोढ़ी कहते हैं कि दुष्प्रचार के तहत पाकिस्तान इस धारणा को बढ़ावा देता है कि मुस्लिम पर अत्याचार हो रहा है। पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई फेक वीडियो फैलाती है। पाकिस्तान के स्टॉफ कॉलेज, टोयटा में अफसरों को इस बात की पढ़ाई कराई जाती है। पाक ने इसके तहत पंजाब में हर जगह आतंकी गतिविधियों को सपोर्ट किया। जम्मू और कश्मीर में भी पाक ने इसी फॉर्मूले को अपनाया और हर बार दुनिया के सामने बेनकाब हुआ।

ऐसी आईडी का इस्लामिक स्टेट करता है इस्तेमाल

पुलिस अफसरों ने बताया कि स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने जांच शुरू कर दी है। धमकी वाला ई-मेल 'savariim@mail.ru' की आईडी से भेजा गया है। सवारीइम एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब तलवारें टकराना है। इसे इस्लामिक स्टेट ने 2014 से इस्तेमाल करना शुरू किया था। अभी जांच शुरुआती दौर में है, इसलिए ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ये ई-मेल आईएस की तरफ से आया है। धमकी भरा ई-मेल भेजने के लिए प्रॉक्सी एड्रेस का प्रयोग हुआ है।

क्या है वीपीएन

VPN का फुल फॉर्म होता है, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क। यह नेटवर्क की ऐसी तकनीक होती है जो पब्लिक नेटवर्क जैसे इंटरनेट और प्राइवेट नेटवर्क जैसे वाईफाई में सुरक्षित कनेक्शन बनाती है। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। अगर आप वर्क फ्रॉम होम करते हैं तो आपके सिस्टम को सिक्योर बनाने के लिए कंपनियां वीपीएन का इस्तेमाल करती है। वीपीएन की मदद से आपके ऑफिस का सर्वर आपके कंप्यूटर और लैपटॉप के सिस्टम से जुड़ जाता है। फिर कर्मचारी बिना कंपनी के डाटा को ओपेन इंटरनेट पर डाले सुरक्षित तरीके से काम कर पाते हैं। हां पर इसके लिए अच्छे इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है और यह अच्छा कनेक्शन कर्मचारी के कंप्यूटर और ऑफिस के सर्वर दोनों जगह होना चाहिए।

यह तकनीक डाटा को हैकर से बचाती है

वीपीएन नेटवर्क को सुरक्षित रखने की तकनीक है और यह डाटा को हैकर से बचाती है। जिन निजी कंपनियों या सरकारी संस्थानों के पास ढेरों महत्वपूर्ण डाटा होता है वे वीपीएन के जरिए अपने डाटा को सुरक्षित कर लेती हैं। वीपीएन का ज्यादातर इस्तेमाल बिजनेस में किया जाता है, जैसे निजी कंपनी, स्कूल की वेबसाइट।