New Criminal Laws: अब फाइलों में गुम नहीं होगा न्याय, एक क्लिक में खुलेगी अपराधी की कुंडली

New Criminal Laws In Hindi भारत में एक जुलाई 2024 से नई आपराधिक न्याय प्रणाली लागू होगी। अंग्रेजों के जमाने के कानूनों की जगह भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली बनाने के दौरान इसे अत्याधुनिक बनाने का फैसला किया गया। इसके लिए 2022 में इन अलग-अलग प्लेटफॉर्म को एक साथ जोड़ने के लिए कैबिनेट ने 3375 करोड़ रुपये आवंटित किये। दो साल में यह काम काफी हद तक पूरा हो गया है।

By Niloo Ranjan Edited By: Narender Sanwariya Publish:Fri, 28 Jun 2024 07:16 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 08:00 PM (IST)
New Criminal Laws: अब फाइलों में गुम नहीं होगा न्याय, एक क्लिक में खुलेगी अपराधी की कुंडली
देश में एक जुलाई से नई आपराधिक न्याय प्रणाली के आधार पर काम होगा। (Photo Jagran)

HighLights

  • एक जुलाई से ऑनलाइन उपलब्ध होंगे मुदकमे से जुड़ी जानकारी व दस्तावेज
  • ई-फारेंसिक, ई-कोर्ट, ई-प्रोसेक्यूशन और ई-प्रिजन को जोड़ने का काम पूरा
  • फिंगर प्रिंटस को न्याय प्रणाली व डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने का काम तेज

नीलू रंजन, नई दिल्ली। एक जुलाई से नए आपराधिक कानूनों (New Criminal Laws) के लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली फाइलों के बोझ से मुक्त हो जाएगी। पुलिस, फॉरेंसिक, अभियोजन, कोर्ट और जेल पूरी तरह से ऑनलाइन जुड़ जाएंगे और किसी एक जगह की गई इंट्री सभी जगहों पर तत्काल उपलब्ध हो जाएगी।

आइए जानते हैं दैनिक जागरण की सीरीज 'सुगम होगा न्याय' में (तीन नए आपराधिक कानून - पार्टी - 2) में कोर्ट और जेल की ऑनलाइन प्राणली के बारे में।

नए कानून के तहत फॉरेंसिक या मेडिकल रिपोर्ट पुलिस की जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश नहीं करना पड़ेगा, बल्कि यह ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म पर स्वत: कोर्ट को मिल जाएगा। इसी तरह से कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर जेल के अधिकारी के पास जाने की जरूरत खत्म हो जाएगी।

सूचनाओं के आदान-प्रदान होंगे सुलभ

ई-प्रिजन प्लेटफॉर्म पर स्वत: जेल के अधिकारी को मिल जाएगा। क्राइम एंड क्रिमिनिल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस), ई-फारेंसिक, ई-प्रोसेक्यूशन, ई-कोर्ट और ई-प्रिजन के बीच सूचनाओं के अबाध आदान प्रदान के लिए इनको आपस में जोड़ने (इंटर आपरेबल) का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है।

अब दस्तावेजों की जरूरत नहीं

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लागू होने के बाद थाना, कोर्ट, सरकारी वकील में मुकदमे से संबंधित सभी दस्तावेज अलग-अलग रखने की जरूरत नहीं रहेगी।

एक क्लिक में मिलेगी पूरी जानकारी

पुलिस की एफआईआर के साथ-साथ केस डायरी, फॉरेंसिक व मेडिकल रिपोर्ट व गवाहों के बयान सीसीटीएनएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे, जिन्हें कंप्यूटर पर एक क्लिक के साथ जज, सरकारी वकील और पुलिस का जांच अधिकारी देख सकता है।

एक क्लिक में मिल जाएगी पूरी डिटेल

तीनों कानूनों के क्रियान्वयन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे 'वन डाटा, वन इंट्री' के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। फॉरेंसिक टीम एफआइआर और केस नंबर के साथ अपनी रिपोर्ट ई-फॉरेंसिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड करेगा और तत्काल यह रिपोर्ट ई-कोर्ट, ई-प्रोसेक्यूशन और सीसीटीएनएस पर उपलब्ध हो जाएगा।

गलतियों की आशंका कम

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये लिये बयान या गवाही भी सभी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी। इससे अलग-अलग जगहों पर इंट्री में होने वाली गलतियों की आशंका भी नगण्य हो जाएगी।

मजबूत होगी न्याय प्रणाली

ऑनलाइन और डिजिटल सिस्टम में किसी रिपोर्ट, बयान या दस्तावेज के गुम होने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। इससे पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली की दक्षता में गुणात्मक सुधार आएगा।

नए आपराधिक न्याय प्रणाली में फाइलों के बोझ से मुक्ति के पीछे पिछले एक दशक की मेहनत है। सीसीटीएनएस, ई-कोर्ट, ई-प्रिजन, ई-फारेंसिक और ई-प्रोसेक्यूशन प्लेटफॉर्म तैयार करने का काम एक दशक से अधिक समय से चल रहा है। सीसीटीएनएस से देश के लगभग सभी 16 हजार से अधिक थाने जुड़ चुके हैं और आनलाइन एफआइआर की सुविधा से लैस हैं। इसी तरह से ई-कोर्ट से सभी अदालतें, ई-प्रिजन से सभी जेल, ई-फारेंसिक से सभी फारेंसिक लैब और ई-प्रोश्यूकिसन से सभी अभियोजन विभाग जुड़े चुके हैं।

नए आपराधिक कानून में जुवेलाइन होम्स, फिंगर प्रिंटस व आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़े अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म को जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है, जो एक साल के भीतर पूरा हो जाएगा।

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