Parliament Session: राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान भी संसद में तल्खी, खूब हुआ शोर-शराबा; टोकाटाकी से असहज दिखीं मुर्मु

राष्ट्रपति के अभिभाषण समारोह पर भी सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लगातार बढ़ रही तनातनी का असर देखने को मिला। विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जमकर टोकाटाकी और हूटिंग की। वहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सेंगोल (पवित्र छड़ी) के प्रदर्शन पर विपक्ष दलों ने एतराज जताया और कहा है कि यह राजशाही का प्रतीक है ऐसे में इसे हटाकर उसकी जगह संविधान की प्रति लगाई जाए।

By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta Publish:Fri, 28 Jun 2024 02:37 AM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 02:37 AM (IST)
Parliament Session: राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान भी संसद में तल्खी, खूब हुआ शोर-शराबा; टोकाटाकी से असहज दिखीं मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करती हुईं। फोटोः एएनआई

HighLights

  • विपक्ष ने पूरे अभिभाषण के दौरान दस बार की हूटिंग
  • सत्ता पक्ष ने करीब 50 मिनट के अभिभाषण के दौरान 40 मिनट तक थपथपाई मेज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लगातार बढ़ रही तनातनी का असर राष्ट्रपति के अभिभाषण समारोह पर भी दिखने लगा है। यूं तो पिछले कुछ वर्षों से लगातार विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति अभिभाषण के बीच भी टिप्पणियां की जाने लगी है, लेकिन इस बार यह भी सीमा पार गया।

विपक्ष ने की जमकर टोकाटाकी

विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जमकर टोकाटाकी और हूटिंग की। एक समय तो राष्ट्रपति भी उनकी टोकाटाकी से विचलित दिखी और उन्हें कहना पड़ा कि सुनिए- सुनिए। बावजूद इसके विपक्ष अपने रवैए पर अड़ा दिखा। वहीं, सत्ता पक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण के हर शब्द पर मेज थपथपाता दिखा। करीब 50 मिनट के इस अभिभाषण में उसकी ओर से 40 मिनट तक रुक रुक कर मेजें थपथपाई गई।

 चुनाव नतीजों के बाद से ही विपक्ष की हर कोशिश है कि सरकार पर दबाव बढ़ाया जाए, जबकि संख्या बल में बहुमत के साथ आया राजग यह संदेश देने से नहीं चूक रहा कि जनता ने उन्हें जनादेश दिया है। यही कारण है कि बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद दिखी तल्खी गुरुवार को राष्ट्रपति अभिभाषण में भी खुलकर झलकी।

सत्ता पक्ष और विपक्ष ने किया शोर

अभिभाषण में जैसे ही सरकार के तीसरी बार जीत कर आने का जिक्र हुआ तो विपक्ष ने तुरंत ही हूटिंग शुरू कर दी। इसके बाद तो विपक्ष ने सिलसिलेवार तरीके से नॉर्थ-ईस्ट, सेना को सशक्त बनाने, युवा भारत, परीक्षाओं में सुधार, सीएए, जी-20 और आपातकाल आदि के जिक्र के दौरान हूटिंग और टोकाटाकी। नार्थ-ईस्ट, परीक्षा सुधार और आपातकाल का जिक्र आने पर तो दोनों ओर से काफी शोर किया गया।

आपातकाल का भी हुआ जिक्र

सरकार जानती थी कि आपातकाल का मुद्दा फिर से विपक्ष को भड़काएगा लेकिन उसका जिक्र किया गया। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण के प्रमुख अंशों को अंग्रेजी में पढ़ा। इस मौके पर भी विपक्ष ने और भी ज्यादा शोर मचाया।

हालांकि, उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान परीक्षा की पारदर्शिता के मुद्दे पर हुए ज्यादा शोर-शराबे को देखकर उसे अंग्रेजी में नहीं पढ़ा। अभिभाषण में सरकार के दस सालों के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल रहने वाले वन नेशन-वन इलेक्शन व यूसीसी का इस बार जिक्र न होने की भी चर्चा रही।

सेंगोल पर विपक्ष ने उठाया सवाल, कहा- यह राजशाही का प्रतीक

राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सेंगोल (पवित्र छड़ी) के प्रदर्शन पर विपक्ष दलों ने एतराज जताया और कहा है कि यह राजशाही का प्रतीक है, ऐसे में इसे हटाकर उसकी जगह संविधान की प्रति लगाई जाए। इस मुद्दे को सपा सांसद आरके चौधरी ने सबसे पहले उठाया और इसे लेकर लोकसभा अध्यक्ष को एक चिट्ठी भी लिखी है।

हालांकि, इसके बाद आरजेडी सांसद मीसा भारती ने भी उनकी मांग का समर्थन किया और कहा कि इसे बिल्कुल हटाया जाना चाहिए। यह और बात है कि बाद में अखिलेश यादव ने चौधरी के बयान से खुद को थोड़ा अलग कर लिया और कहा कि सेंगोल को तो शपथ ग्रहण के समय प्रधानमंत्री ने भी प्रणाम नहीं किया था।

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