2019 तक होगा रेलवे का कायाकल्प, सारे आइसीएफ डिब्बे होंगे 'उत्कृष्ट' कोच में तबदील

उत्कृष्ट कोच की कई खूबियां हैं। मसलन, इनमें बादामी व मैरून रंग की बाहरी विनायल रैपिंग के साथ ब्रेल संकेतकों का उपयोग किया गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 03 Oct 2018 09:36 PM (IST) Updated:Thu, 04 Oct 2018 12:42 AM (IST)
2019 तक होगा रेलवे का कायाकल्प, सारे आइसीएफ डिब्बे होंगे 'उत्कृष्ट' कोच में तबदील
2019 तक होगा रेलवे का कायाकल्प, सारे आइसीएफ डिब्बे होंगे 'उत्कृष्ट' कोच में तबदील

संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलवे अपने आइसीएफ डिजाइन के पुराने डिब्बों को नया रंग-रूप देकर उन्हें 'उत्कृष्ट' कोच में परिवर्तित करेगा। बुधवार को कालका मेल में पहले उत्कृष्ट कोच की कामयाबी के साथ ही रेल मंत्रालय ने इस परियोजना को गति देने का फैसला किया है। इसके तहत आगामी मार्च तक लगभग तीन हजार पुराने डिब्बों को 'उत्कृष्ट' कोच में बदलने का प्रस्ताव है।

अगले वर्ष मार्च तक 2800 डिब्बों के कायाकल्प की योजना

'उत्कृष्ट' कोच परियोजना विशेष तौर पर उन पुराने डिब्बों के कायाकल्प के लिए तैयार की गई है जिनका उत्पादन चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) में हुआ था। इन डिब्बों को लेकर यात्रियों की शिकायत रही है कि ये एलएचबी डिब्बों के मुकाबले असुरक्षित ही नहीं असुविधापूर्ण भी हैं। इसे देखते हुए रेलवे बोर्ड ने डेढ़ वर्ष पहले सभी 40 हजार आइसीएफ डिब्बों के कपलर बदलने और एलएचबी जैसे सेंट्रल बफर कपलर (सीबीसी) लगाने का निर्णय लिया था। यह कार्य जारी है। उसी कड़ी में अब आइसीएफ डिब्बों को ज्यादा सुविधासंपन्न बनाने की योजना भी प्रारंभ की गई है।

रेलवे बोर्ड के नवनियुक्त सदस्य, चल स्टॉक राजेश अग्रवाल ने बताया कि उत्कृष्ट के तहत सभी 40 हजार आइसीएफ डिब्बों का कायाकल्प किया जाएगा। अगले वर्ष 31 मार्च तक तकरीबन 2800 डिब्बों का नवीकरण करने का प्रस्ताव है। जबकि उसके बाद अगले वित्तीय वर्ष के दौरान दस हजार रेक का और नवीकरण होगा।

एक आइसीएफ कोच को 'उत्कृष्ट' बनाने में लगभग तीन लाख रुपये का खर्च आता है। इस तरह 12,800 पुराने डिब्बों को 'उत्कृष्ट' बनाने में लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बाद के वर्षो में बाकी डिब्बों का भी कायाकल्प किया जाएगा।

'उत्कृष्ट' कोच की कई खूबियां हैं। मसलन, इनमें बादामी व मैरून रंग की बाहरी विनायल रैपिंग के साथ ब्रेल संकेतकों का उपयोग किया गया है। जबकि कंपार्टमेंट के भीतर एलईडी लाइटिंग, गो ग्रीन स्टिकर तथा नाइट ग्लो स्टिकर के अलावा स्वच्छ हाइब्रिड टायलेट (बायो-वैक्यूम) की व्यवस्था की गई है। इन दुर्गध रहित टायलेट में बेसिन-कम-डस्टबिन के अतिरिक्त बेहतर फिटिंग्स भी लगाई गई हैं।

स्मार्ट कोच

अग्रवाल ने स्मार्ट कोच परियोजना पर भी प्रकाश डाला, जिसकी शुरुआत पिछले महीने कैफियत एक्सप्रेस से की गई थी। स्मार्ट कोच के तहत ट्रेन के पहियों में विशेष सेंसर लगाए जाएंगे जो पहियों के अलावा बियरिंग और ट्रैक की हालत की जानकारी कोच में लगे कंप्यूटर को भेजेंगे हैं।

 'स्मार्ट कोच' की कामयाबी के बाद 100 डिब्बों में लगेंगे सेंसर

कैफियत के एक कोच के आठ पहियों में आठ सेंसर लगाए गए हैं, जिनसे अत्यंत उपयोगी सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं। इनके उत्साहव‌र्द्धक परिणामों को देखते हुए रेलवे ने नवंबर तक पांच रेक (100 कोच) में सेंसर लगाने की योजना बनाई है। एक कोच में सेंसर लगाने पर 14 लाख रुपये का खर्च आता है। इन संेसर का उपयोग वैगनों और डेडीकेटेट फ्रेट कारीडोर में करने पर विचार किया जा रहा है। 

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